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झारखंड की सेहत और शिक्षा दोनों खराब स्थिति में केंद्र करेगा मदद

रांची : नीति आयोग की बैठक में यह फैसला लिया गया कि झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई के क्षेत्र में केंद्र से सर्वाधिक मदद की जरूरत है. झारखंड में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति का अंदाजा अखबार में छप रही खबरों से लगाया जा सकता है. नीति आयोग की बैठक में भी इस सबसे […]

रांची : नीति आयोग की बैठक में यह फैसला लिया गया कि झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई के क्षेत्र में केंद्र से सर्वाधिक मदद की जरूरत है. झारखंड में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति का अंदाजा अखबार में छप रही खबरों से लगाया जा सकता है. नीति आयोग की बैठक में भी इस सबसे महत्वपूर्ण विषय माना गया. आयोग की बैठक दिन भर चली. वीके सारस्वत ने बताया, झारखंड कई क्षेत्रों में बेहतर कर रहा है. पर शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सिंचाई, ऊर्जा सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत से पीछे चल रहा है. राज्य सरकार को इन क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए केंद्र सरकार की मदद की जरूरत है.

झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में मदद करेगा केंद्र

केंद्र सरकार द्वारा स्कूलों की ऑनलाइन निगरानी के लिए टेक्नोलॉजी अनेबलड सर्विसेज इन स्कूल योजना शुरू की जा रही है. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा पहले छत्तीसगढ़ व आंध्र प्रदेश का चयन किया गया था. राज्य की ओर से केंद्रीय शिक्षा सचिव से झारखंड को भी इस योजना से जोड़ने का आग्रह किया गया. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की सचिव ने केंद्रीय शिक्षा सचिव को बताया कि झारखंड सरकार द्वारा विद्यालयों में टैब दिया जा रहा है. एेसे में यह योजना झारखंड में शुरू करने में और अासानी होगी.

प्रोजेक्ट भवन स्थित विभागीय कार्यालय में हुई बैठक में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने राज्य में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से आठ केंद्रीय विद्यालय शुरू करने की तैयारी के बारे में बताया. केंद्रीय विद्यालय खूंटी, लोहरदगा व दुमका में नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. गिरिडीह, चतरा व पलामू में केंद्रीय विद्यालय के लिए भूमि चिह्नित कर लिया गया गया. अगले माह से इन विद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी.

फरवरी 2016 में कैबिनेट के निर्णय के बाद पोषाहार के रूप में अंडे देने की योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तीन जिलों में चली थी. रांची, दुमका व पूर्वी सिंहभूम के आंगनबाड़ी व लघु आंगनबाड़ी केंद्रों में छह माह तक अंडे दिये गये हैं. कैबिनेट की सहमति के बाद निकले विभागीय संकल्प में यह जिक्र था कि योजना सफल रही, तो इसे अन्य सभी जिलों में लागू किया जायेगा. पर यह काम शुरू नहीं हो सका है. राज्य भर के 38432 आंगनबाड़ी केंद्र के तीन से पांच वर्षीय बच्चों के लिए अंडा आपूर्ति करने के लिए फिर से टेंडर निकल सकता है.

झारखंड में स्वास्थ्य के हालात पर केंद्र की चिंता जायज

विधानसभा की लोकलेखा समिति ने गुरुवार को रिम्स के विभिन्न विभागों का निरीक्षण किया था. उस दौरान कई विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर अौर डॉक्टर अपने चैंबर से नदारद थे. समिति ने ड्यूटी आवर में नदारद रहनेवाले डाॅक्टरों की सूची मांगी थी. सूची के आधार पर रिम्स प्रबंधन ने इन लोगों को शो-कॉज भी जारी कर दिया. इसके बावजूद यहां के कई डॉक्टरों को इससे काेई फर्क नहीं पड़ा. रिम्स में अचौक निरीक्षण की खबर इसलिए क्योंकि आप राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की हालत से राज्य के स्वास्थ्य का अंदाजा लगा सकते हैं.

राज्य में सामान्य व विशेषज्ञ चिकित्सक के करीब 2900 पद सृजित हैं. पर करीब 1600 चिकित्सक ही सेवा दे रहे हैं. झारखंड में सिर्फ तीन मेडिकल कॉलेज हैं. इनसे हर वर्ष करीब 200 डॉक्टर ही झारखंड को मिल पाते हैं. पर इनमें से भी ज्यादातर ग्रामीण इलाके में जाना नहीं चाहते हैं. लोकलेखा समिति के निरीक्षण के बाद प्रभात खबर टीम ने दोपहर बाद 3:30 बजे शाम 4:00 बजे के बीच रिम्स ओपीडी का जायजा लिया, तो कई यूनिट इंचार्ज नदारद मिले. कुछ ओपीडी में सीनियर डॉक्टर थे, जबकि कुछ में जूनियर डाॅक्टर ही मरीजों को परामर्श दे रहे थे.

प्रभात खबर संवाददाता ने जब एक जूनियर डॉक्टर से पूछा कि यूनिट इंचार्ज कहां हैं, तो उन्होंने बताया कि यूनिट इंचार्ज का समय एक बजे तक रहता है. दूसरी पाली में उनका आना कोई आवश्यक नहीं है. एक तरफ राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल बीमार हो रहा है तो दूसरी तरफ पिछले साल वर्ष स्वास्थ्य विभाग ने कुल 686 चिकित्सकों की नियुक्ति की अधियाचना जेपीएससी को भेजी थी. आयोग ने इसके विरुद्ध 145 चिकित्सकों के नाम की ही अनुशंसा की. इनमें से भी सिर्फ 40 चिकित्सकों ने ही ज्वाइन किया.

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