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मोमेंटम झारखंड और स्थानीय नीति की घोषणा हमारी बड़ी उपलब्धि : प्रतुल शाहदेव

प्रभात खबर फेसबुक लाइव कार्यक्रम में शनिवार को झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव शामिल हुए. प्रतुल शाहदेव ने इस दौरान राज्य, सरकार व पार्टी संगठन से जुड़े तमाम मुद्दों पर प्रभात खबर डॉट कॉम के सवालों का बेबाकी से जवाब दिया और अपनी पार्टी का उन मुद्दों पर पक्ष रखा जिस पर उसे […]

प्रभात खबर फेसबुक लाइव कार्यक्रम में शनिवार को झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव शामिल हुए. प्रतुल शाहदेव ने इस दौरान राज्य, सरकार व पार्टी संगठन से जुड़े तमाम मुद्दों पर प्रभात खबर डॉट कॉम के सवालों का बेबाकी से जवाब दिया और अपनी पार्टी का उन मुद्दों पर पक्ष रखा जिस पर उसे विपक्ष घेरना चाहता है.प्रतुलने सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन के कारण भी बताये और कहा कि ढाई साल में रघुवर दास सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि स्थानीय नीति है, जिससे आदिवासी-मूलवासी के लिए नौकरी के द्वारा खुल रहे हैं. उन्होंने राज्य के डीजीपी डीके पांडेय के बयानों पर भी अपनी राय रखी और असहमति जतायी. किसान आत्महत्या, डीसी रेल लाइन, रांची के इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित कई दूसरे सवालों पर राहुल सिंह से बातचीत के दौरान उन्होंने बेबाकी से जवाब दिये. पढ़ें उनसे हुई बातचीत का अंश :

सवाल : अभी-अभी आपलोगों ने मोदी फेस्ट मनाया है, कैसा रहा वह आयोजन?

जवाब : पिछले तीन सालों में हमारी सरकार ने जो काम किया है, उसको बताने के लिए हमने मोदी फेस्ट का आयोजन किया. इसके साथ ही जो योजनाएं हैं, उसमें रजिस्ट्रेशन कैसे करायें, इसे मोदी फेस्ट के माध्यम से बताने की हमने कोशिश की. यह सफल रहा.


सवाल : लेकिन, इसी दौरान दो ऐसी घटनाएं हुईं, जिससे ऐसा लगा कि आपके मोदी फेस्ट में खलल पड़ गयी. एक तो धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन बंद हो गयी, दूसरा राज्य के दो किसानों ने आत्महत्या कर ली. पीयूष गोयल का दौरा रद्द हो गया.

जवाब : धनबाद के झरिया क्षेत्र की आग 100 साल पुरानी है. 2005 में केंद्र सरकार के पास एक फाइनल रिपोर्ट आयी थी कि इस रेल ट्रैक के नीचे की आग को रोकना मुश्किल है. लेकिन, यूपीए सरकार ने कुछ नहीं किया. फिर हमारी सरकार आयी तोअधिकारियोंकी इस पर बैठक हुई. हमारी प्राथमिकता थी कि लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर इस पर फैसला लिया जाये. दूसरे विकल्प पर विचार हो रहा है.

जहां तक किसानों की मौत का सवाल है, तो मौत किसी कारण से हो इससे हमारी पार्टी मर्माहत है. लेकिन, इस मौत को खेती से जोड़ने का जो राजनीतिक प्रयास है वह उचित नहीं है. हमारी सरकार और पार्टी की ओर से हम बार-बार उनके प्रति संवेदना प्रकट कर रहे है. ये मौतें खेती के लोन के कारण नहीं हुई थी. हमारी सरकार ने कृषि लोन को पहले चुकाने पर ब्याज एक प्रतिशत कर दिया है. ऐसा फैसला पूरे देश में हमारी सरकार ने पहली बार बात की. पीयूष गोयल जी का दाैरा निजी कारणों से रुका था.

सवाल : लेकिन हमारी टीम वहां गयी थी, किसान के परिवार से बात की. उन्होंने बताया कि हमने केसीसी लोन लिया था, उसे पहले जब चुकाने गये थे तो कहा कि आपका लोन खत्म हो गया है, लेकिन बाद में बैंक वाले ज्यादा लोन की भरपाई को कहने लगे?

जवाब : उनका पहले 40 हजार का लोन था जो 62 हो गया.यहलोन उनकी पत्नी के नाम पर था. हमारा बैंकिंग सिस्टम उसकी वसूली में रियायत बरतता है. हम किसानों की पीड़ा समझते हैं. हमारी सरकार ने उनके बच्चे के शिक्षा का बीड़ा उठाया है. कोई भी मौत दु:खद होती है.


सवाल : पारसनाथ की पहाड़ियों पर मोतीलाल बास्के की नौ जून को कथित पुलिस मुठभेड़ में हत्या हो गयी. बाद में डीजीपी ने कहा कि पूरे मामले का पता लगाया जायेगा.

जवाब : बास्के की जहां मौत हुई, उसकी भौगोलिक स्थिति को समझें. वह पारसनाथ व मधुवन के बीच का इलाका है. वहां सेल्फ लोडेड राइफल मिला, वाकी टॉकी मिला. आइइडी बनाने का समान मिला. इस तरह के मुठभेड़ में इनपुट होते हैं. हम यह मानते हैं कि यह एक जंग है. चिदंबरम साहब ने भी ऐसा कहा था. प्रथम दृष्टया नहीं लगता की इसमें कोई गड़बड़ी हुई है और इंटरनल सिस्टम इसकी जांच कर रहा है.


सवाल : लेकिन, बास्के घरेलू कपड़े पहने थे. कोई व्यक्ति किसी दस्ते में शामिल रहेगा, तो वह ऐसे कपड़े तो नहीं पहनेेगा जिससे उसे भागने में, दौड़ने में दिक्कत हो.

जवाब : इसमें दो तरह की चीजें हैं. जहां पुलिस का दबाव होता है, वहां वे गांव वाले के पहनावे में आ जाते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें आगे कर देते हैं. जहां उनकी मौत हुई वह चार-पांच पहाड़ी के अंदर का इलाका है और मुझे लगता है कि इस पर सवाल उठाना उचित नहीं होगा.


सवाल : विपक्ष इसे आदिवासी बनाम गैर आदिवासी का मुद्दा बना रहा है. शिबू सोरेन वहां गये. वे कह रहे हैं कि गरीब आदिवासी मारे जा रहे हैं. विपक्ष इसे बड़े मुद्दे बना रहा है.

जवाब : जो गलत है, गलत है. आतंकवादी, नक्सली का कोई धर्म जाति नहीं होता. जो राष्ट्र के दुश्मन हैं, उस पर भेद नहीं करना चाहिए. हमारा सबका साथ-सबका विकास का नारा है. संकीर्ण राजनीति से उबरना चाहिए.

सवाल : सीएनटी-एसपीटी एक्ट को लेकर पहले से बहुत सारे सवाल हैं.आपके लिए कई प्रतिकूल चीजें हैं. भाजपा के कई लोग संकेतों में कई बार ऐसी बातें कहते हैं, जिससे विपक्ष को समर्थन मिलता है.

जवाब : आपने यह यक्ष प्रश्न उठाया है. सीएनटी-एसपीटी में जो संशोधन हमारी सरकार ने किया है, उससे विपक्ष यह साबित कर दे कि इसके आधार पर प्राइवेट इंडस्ट्री को जमीन दी जायेगीतो उसी दिन हमारी सरकार इसे रद्द कर देगी. विपक्ष इसे कभी नहीं कर पाया. उन्हें जो सबसे बड़ी दिक्कत हो रही है कि एससीआरए कोर्ट की बाध्यता है, उसे खत्म करदिया गया.इससेआपआदिवासीजमीन का रेगुलाइजेशन करवाते थे. इससे कुछ आदिवासी नेता हैं, जो बड़ी-बड़ी भूमि के मालिक हैं, नये जमींदार हैं, उन्हें इससे दिक्कत हो रही है.

अगर कोई अनुसूचित जनजाति या मूलवासी भाई है तो वह कोई बड़ी जमीन को कामर्शियल यूज करना चाहते हैं, तो उनका कृषि लगान बना रहेगा. वे उसकी खरीद-बिक्री नहीं कर सकते हैं, लेकिन उसे रेंट पर लीज पर दे सकते हैं. यह सरकारने आधारभूत संरचना के लिए किया. विपक्ष ने पूरा भ्रम फैलाने का प्रयास किया है.

प्रतुल शाहदेव से बातचीत का वीडियो देखने के लिए इस लिंक को क्लिक करें


सवाल : विपक्ष कहता है कि आपकी सरकार के ढाई साल में तीन गोलीकांड हुए, आप क्या कहेंगे?

जवाब : हम केरेडारी से शुरू करते हैं. हेमंत जी के समय वहां गोलियां चलीं. बड़कागांव व गोला में जो घटनाएं घटी उसमें किन लोगों का नाम आया. एक में योगेंद्र साव का नाम आया, दूसरे में जायसवाल जी का नाम आया. वे किस दल से जुड़े हैं यह बोलने की जरूरत नहीं है. आदिवासियों-मूलवासियों को बरगला कर उन्हें मोहरा नहीं बनाना चाहिए.

सवाल : विपक्ष कई मुद्दों पर साथ में आता है,प्रेसकान्फ्रेंस करता है, सड़क पर उतरता है. क्या लगता है कि यहां बिहार की तर्ज पर कोई महागंठबंधन बनेगा?

जवाब : विपक्ष तो पहले यह तय करे कि उनके महांगंठबंधन का नेता कौन होगा. बाबूलाल जी होंगे, हेमंज जी होंगे या शिबू सोरेन होंगे. विपक्ष के गंठबंधन का हमारे स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा.


सवाल : पिछले दिनों रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव का ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि जनभावनाएं उनके साथ थीं.

जवाब : हमारी रघुवर सरकार बिना किसी दबाव के काम करती है. भोर सिंह यादव एक अच्छे अधिकारी हैं. कुछ लोगों ने मुद्दे उठाये थे, तो भाजपा भोर सिंह के पक्ष में आयी थे. उन्हें डीडीसी बनाया गया है और डीसी के बाद विकास के लिए किसी जिले में यहसबसे अहम पद होता है.

लेकिन चार महीने में ही ट्रासंफर?

यह सरकारकी सामान्य प्रक्रिया है. हमारी सरकार की ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों की बैकिंग करती है. जब कुछ संगठनों ने भोर सिंह का विरोध किया था, तो हमारी पार्टी और सरकार उनके पक्ष में आयी थी. यह दबाव में किया गया ट्रांसफर नहीं है.

सवाल :रांचीसे जाते-जातेभाेरसिंह यादव बड़ा सवाल उठा गये कि यहां मिलावटखोरों का बड़ा नेटवर्क है.

जवाब : सरकार इस पर संजीदा है. मिलावटखोरी अभिशाप है. उन्होंने ऐसे मामले सामने लाये. हमारी सरकार इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.

रांची शहर का इन्फ्रस्ट्रक्चर डेढ़ दशकों मेंबहुत बदली नहीं है. सरकार कैसे इस दिशा में बढेगी?

आपके मित्र आते होंगे तो वह कहते होंगे कि रांची काफी बदली है. हालांकि यह सच है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर में वैसा बदलाव नहीं आया है जैसा आना चाहिए. कई सरकारी भवन शहर के बाहर बनाने पर काम कर रहे हैं. फ्लाइओवर, मैट्रो बनाने की योजना है.

सवाल : आपने कहा कि मैट्रो बनेगा. जब एक किमी, पौने किमी, आधा किमी लंबा फ्लाइअोवर बनने के मुद्दे के खिलाफ ही लोग समूह में ज्ञापन लेकर पहुंचते तो दस किमी, 15 किमी लंबी मैट्रो लाइन कैसे बनेगी?

जवाब : इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है. झारखंड में जब भी भूमि अधिग्रहण हुआ लोग ठगे गये. ऐसे में यहां केलोग भूमि का एक छोटा-सा टुकड़ा देने में परहेज करते हैं. हमारी सरकार इस कन्फ्यूजन, विश्वासघात से लोगों को उबारना चाहती है. पुराना अनुभवन खराब रहा है. हम इसे बदलने का प्रयास कर रहे हैं. हम लोगों को समझायेंगे कि यह शहर की बेहतरी के लिए अच्छा होगा और हमें विश्वास है कि वे मान जायेंगे.


सवाल : सरायकेला-खरसावां में बच्चा चोरी के नाम पर लोगों की हत्या हो गयी? क्या यह कानून-व्यवस्था का सवाल नहीं है?

जवाब : यह एक अजीब घटना है. ऐसा लगता है कि मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया गया, जबकि बच्चा चोरी की कोई घटना नहीं हुई. एक बड़ी साजिश चल रही थी राज्य सरकार को बदनाम करने की. एकता मंच के नाम पर लोग सड़क पर उतर कर तोड़फोड़ करते हैं, फिर दूसरे लोग निकलते हैं. ऐसी घटना पूरे राज्य में फैलायेजाने की आशंका थी, लेकिन मुख्यमंत्री जी ने इसे मॉनिटर कर नियंत्रित किया.

लेकिन, लगातार चार-पांच दिन ऐसा होता रहा?

पहले दिन की घटना आकस्मिक थी. दूसरे दिन प्रशासन ने मना किया था, लेकिन ऐसा लगा कि साजिश हो रही हो और फिर घटना हो गयी. राज्य के दूसरे शहरों में ऐसा माहौल बनने लगा. इस सुनियोजित घटना के पूरे राज्य में होने का डर था, लेकिन इसे सरकार ने नियंत्रित किया.


डीजीपी साहब के बयान हाल में काफी चर्चित हुए कि छह ईंच छोटा कर देंगे, चुन-चुन कर एक-एक हजार गोली मारेंगे? क्या यह फिल्मी डाॅयलोग जैसा बयान नहीं है? सत्ताधारी पार्टी इससे कहां तक सहमत है?

जवाब : मैंने डीजीपी साहब के बयान का वीडियाे फुटेज नहीं देखा है. इसलिए इस पर कोई टिप्पणी करना हमारे लिए उचित नहीं है. नक्सलियों के खिलाफ जंग चल रही है. हमारे जवान इलाके में निकलते हैं तोकष्ट में रहते हैं, कब हमला हो जाये पता नहीं. हमारे जवानों को लोकल से सहारा लेना होता है. ऊपर के अधिकारियों द्वारा कभी-कभी ऐसा बयान उत्साह बढ़ाने के लिए आ जाता है. लेकिन,ऐसे बयान से परहेज करने चाहिए.

सवाल : अभी पार्टी में काफी एक्सारसाइज हुआ है. सौदान सिंह आये थे, नये संगठन मंत्री भी आ गये हैं. क्या उद्देश्य है?

जवाब : हमारी पार्टी संगठन आधारित पार्टी है. कार्यकर्ता हमारी रीढ़ हैं. दीनदयाल जी का शताब्दी वर्ष चल रहा है. उनकीथिंकिंग को हम जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं. इसलिए हम घर-घर, बूथ-बूथ तक जा रहे हैं.

सवाल : पार्टी और सरकार के बीच कितना तारतम्य है. अभी गिलुवा जी ने धनबाद में बयान दिया था कि कार्यकर्ताओं की सुनी जानी चाहिए. सरयू राय ने भी कहा है कि हमारे कार्यकर्ताओं को यह तो लगे कि वे सरकारी पार्टी के हैं.

जवाब : पार्टी और संगठन में तालमेल है. मंत्री पार्टी कार्यालय में बैठते हैं. कार्यकर्ताओं की बात सुनी जाती है. जहां तक गिलुवा जी की बात है, तो उन्होंने दूसरे दिन यह भी कहा कि उनकी बात को दूसरे संदर्भ में लिया गया.

सवाल :लिट्टीपाड़ा की हार के बाद ऐसा लगता है कि संगठन में अति सक्रियता आ गयी है.

जवाब :लिट्टीपाड़ा 40 साल से झामुमो के कब्जे में है. हम वहां पहले बड़े वोट के अंतर से हारतेथे. पहली बार हमलोगों ने 50 हजार वोट के मार्जिन को क्रॉस किया और जीत का अंतर कमा है. इस हार में भी हमारी जीत है.

सरकार जब पांच साल बाद जनता के बीच जाती है, तो वह अपने दस-बारह उपलब्धि बताती है. तो ढाई साल में आपकी सरकार के कौन सेपांच बड़े काम है, जिन्हें लेकर जनता के बीच जायेंगे.

जवाब : हमारी सरकार की कई उपलब्धियां हैं. सबसे बड़ी उपलब्धि स्थानीय नीति की घोषणा होना है. ऐसा नहीं होने से यहां के आदिवासी-मूलवासी नौकरियों से वंचित रह जाते. हमने उनके लिए नौकरी के दरवाजे खोले हैं. कृषि लोन को एक प्रतिशत पर उपलब्ध कराना, सीएनटी-एसपीटी एक्ट का सरलीकरण, मोमेंटम झारखंड के द्वारा निवेश का दरवाजा खोलना.येहमारीसरकारकी चार-पांचप्रमुख उपलब्धियां हैं, ऐसे तो हमारी सरकार की अनंत उपलब्धियां हैं.

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