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Friday, March 29, 2024

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कांग्रेस की लडाई अब वसुंधरा पर हुई केंद्रित, भाजपा-कांग्रेस में डाक्यूमेंट वार, धौलपुर पालिका प्रमुख का ट्रांसफर

नयी दिल्ली/जयपुर : राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व ललित मोदी प्रकरण अब कांग्रेस व भाजपा के बीच डाक्यूमेंट वार में बदल गया है. दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर कागजातों के जरिये झूठ बोलने का आरोप लगा रही हैं. यह राजनीतिक लडाई इतनी दिलचस्प हो गयी है कि दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की प्रेस कान्फ्रेंस […]

नयी दिल्ली/जयपुर : राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व ललित मोदी प्रकरण अब कांग्रेस व भाजपा के बीच डाक्यूमेंट वार में बदल गया है. दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर कागजातों के जरिये झूठ बोलने का आरोप लगा रही हैं. यह राजनीतिक लडाई इतनी दिलचस्प हो गयी है कि दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की प्रेस कान्फ्रेंस के कुछ ही देर बाद जयपुर में प्रदेश स्तर के भाजपा नेता अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब देती है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अब एक तरह से इस पूरे विवाद को प्रदेश इकाई को ही ट्रांसफर कर दिया है. इस बीच जिस धौलपुर महल पर कथित कब्जे को लेकर भाजपा व कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है, वहां के नगरपालिका प्रमुख का स्थानांतरण कर दिया गया है और उन्होंने इस मामले में मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कल ही दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस कर दावा किया था कि धौलपुर महल सरकारी संपत्ति है और ऐसा बयान वसुंधरा राजे के पति भी दे चुके हैं. जयराम रमेश ने कहा था कि इस पर वसुंधरा व ललित मोदी कब्जा कर हेरिटेज होटल चला रहे हैं, जिसे राजस्थान भाजपा ने खारिज कर दिया था. इसके बाद आज जयराम रमेश ने नेशनल अरकाइव से डाउनलोड किया गया दस्तावेज पेश किया. यह दस्तावेज 1949 का है, जिस समय राजवाडों की संपत्ति सरकार जब्त कर रही थी. उन्होंने कहा कि इसमें क्रम संख्या नौ पर धौलपुर महज का जिक्र है और इसे भी सरकारी संपत्ति घोषित किया गया है. उन्होंने कहा कि हालांकि उस वक्त राजाओं को आजीवन रहने के लिए महल दिया गया था व खुद खर्चे उठाने की शर्त रखी गयी थी.
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने दो करोड रुपये का फजीवाडा किया है. नेशनल हाइवे के लिए जब सिटी पैलेस इलाके में जमीन अधिग्रहण की जरूरत पडी थी, तब इस अधिग्रहण के लिए दुष्यंत को दो करोड रुपये दिये गये थे. उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल 2013 को सीबीआइ में इसकी शिकायत की गयी थी. उन्होंने यह भी कहा कि दुष्यंत के पिता हेमंत सिंह व उनके बीच सिर्फ चल संपत्ति का बंटवारा हुआ था.
वहीं, राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी एवं चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौर ने प्रेस कान्फ्रेंस कर जयराम रमेश के इन सारे आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कांग्रेस पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया. इस दौरान दोनों नेताओं ने मीडिया को कुछ डाक्यूमेंट दिखाये और उससे उद्धृत करते हुए कहा कि जयराम रमेश के सारे आरोप गलत हैं. हालांकि अशोक परनामी व राजेंद्र राठौर ने मीडिया को वे दस्तावेज देने से इनकार कर दिया. पत्रकारों के बार-बार के आग्रह पर भी उन्होंने उन दस्तावेजों की फोटो कॉपी मीडियाकर्मियों को नहीं सौंपे और कहा कि आप अगर मामले के तह में जाना चाहते हैं तो इसे आरटीआइ से प्राप्त करें. जबकि मीडियाकर्मी यह कहते रहे कि आप महज दस मिनट में फोटो कॉपी करा कर हमें डाक्यूमेंट दे सकते हैं.
अशोक परनामी ने कहा कि जयराम रमेश 1949 के आदेश के आधार पर जिस महल को सरकारी बता रहे हैं, उसे सरकार ने ही 1954 में धौलपुर महाराज को दे दिया, तो भला यह सरकारी कैसे रहा. उन्होंने वसुंधरा राजे के पुत्र पर दो करोड रुपये के फजीवाडे के आरोप को खारिज करते हुए डाक्यूमेंट प्रदर्शित करते हुए कहा कि सरकार ने ही उन्हें भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजा दिया, फिर इसमें फर्जीवाडा कैसा और उनकी गलती कैसी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ही उन्हें मुआवजा दिया. उन्होंने कहा कि दस्तावेज बताते हैं कि राजा दुष्यंत सिंह संपत्ति को बेच व लीज पर दे सकते हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि जिस सीबीआइ शिकायत की बात वे कह रहे हैं, उस समय केंद्र व राज्य में कांग्रेस की ही सरकार थी, फिर बात आगे क्यों नहीं बढी. उन्होंने कहा कि जब भी इस मामले की जांच होगी, सच सामने आ जायेगा. भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर दुप्रचार करने का आरोप लगाया.
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