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दर्जनों थानों के सामने से गुजरती हजारों बसें, नहीं होती कोई जांच

पटना: राज्यभर में रोजाना एनएच व एसएच किनारे के अलावे छोटे-बड़े बाजार समेत अन्य स्थानों पर मौजूद दर्जनों थानों के सामने से हजारों बसें गुजरती हैं. परंतु इन बसों में कभी भी किसी तरह की चेकिंग नहीं की जाती है. खास कर स्थानीय या कम दूरी की चलनेवाली बसों में तो पुलिसवाले चेकिंग करने की […]

पटना: राज्यभर में रोजाना एनएच व एसएच किनारे के अलावे छोटे-बड़े बाजार समेत अन्य स्थानों पर मौजूद दर्जनों थानों के सामने से हजारों बसें गुजरती हैं. परंतु इन बसों में कभी भी किसी तरह की चेकिंग नहीं की जाती है. खास कर स्थानीय या कम दूरी की चलनेवाली बसों में तो पुलिसवाले चेकिंग करने की बात सोचते तक नहीं हैं.

बसों में क्या ढोया जा रहा और किस तरह का सामान रखा हुआ है, इसे देखने की जहमत कोई थाना नहीं उठाता है. इसी का नतीजा है कि पटना से शेखपुरा जा रही एक निजी बस में नालंदा जिला के हरनौत बाजार के पास आग लग गयी, जिसमें आठ से ज्यादा लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गयी. इतनी तेजी से इतनी भयावह आग लगने का कारण बस में रखा कैल्सियम कारबाइड बताया जा रहा है. जब पटना के बस स्टैंड से बस खुली, तो हरनौत तक रास्ते में मेन रोड के बगल में सात-आठ थाने पड़े थे. लेकिन, किसी थाने ने बस को रोक कर इसे चेकिंग करना जरूरी नहीं समझा. अगर रास्ते में पड़नेवाला एक भी थाना बस की चेकिंग कर लेता और कारबाइड को बरामद कर लेता, तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं हो पाता.

एमवी एक्ट में पुलिस को जो भी अधिकार दिये गये हैं, उनका पालन पूरी सख्ती से कराया जायेगा. बसों में सामानों की चेकिंग के आदेश जल्द ही जारी कर दिये जायेंगे. चेकिंग की व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है.
एसके सिंघल, एडीजी, मुख्यालय
पुलिस ओवरलोडिंग छोड़ सब कुछ कर सकती चेक
अपराध नियंत्रण और सुरक्षा के अन्य वजहों से बिहार पुलिस को एमवी (मोटर व्हेकिल) एक्ट के तहत किसी भी वाहन की चेकिंग करने, सामानों की जांच करने और कागजात चेक करने का अधिकार दिया गया है. इसके लिए दारोगा, इंस्पेक्टर से लेकर फिल्ड में तैनात ऊपर तक के सभी अधिकारियों को पूरा अधिकार है. हालांकि पुलिस महकमा के पास वाहनों में ओवरलोडिंग चेक करने और इसे लेकर जुर्माना करने का कोई अधिकार नहीं है. यात्री वाहनों में ओवरलोडिंग की समस्या भी सबसे बड़ी समस्या है, लेकिन परिवहन विभाग भी इसे लेकर कभी कोई कार्रवाई नहीं करता है. बस संचालकों से पैसे लेकर ओवरलोडिंग की पूरी छूट रहती है. परिवहन विभाग की तरह ही पुलिस विभाग भी वाहनों में सुरक्षा से जुड़े मानकों और ढोये जा रहे सामानों की चेकिंग करने के प्रति कभी कोई रुचि नहीं दिखाता है. इसी का नतीजा है कि लोकल वाहनों में बेखौफ संवेदनशील और ज्वलनशील पदार्थ ढोये जाते हैं. लोकल बसों की छतों पर रखे सिलेंडर आसानी से देखे जा सकते हैं. यात्रियों की सुरक्षा की चिंता किसी को नहीं है.

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