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छोटा सा इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस चुरा लेगा आपका सब कुछ, बैलेंस कर देगा जीरो

नोटबंदी. अगर आप इ-ट्रांजेक्शन करते हैं, तो हो जाइए सावधान ! स्वैप मशीन में डिवाइस से हैकर उड़ा रहे पैसे विजय सिंह पटना : नोटबंदी के बाद इ-ट्रांजेक्शन का प्रचार हो रहा है. इसका चलन भी तेजी से बढ़ा है. कैशलेश की बातें हो रही हैं. लोगों की मजबूरी भी है और सरकार इसे लोगों […]

नोटबंदी. अगर आप इ-ट्रांजेक्शन करते हैं, तो हो जाइए सावधान !
स्वैप मशीन में डिवाइस से हैकर उड़ा रहे पैसे
विजय सिंह
पटना : नोटबंदी के बाद इ-ट्रांजेक्शन का प्रचार हो रहा है. इसका चलन भी तेजी से बढ़ा है. कैशलेश की बातें हो रही हैं. लोगों की मजबूरी भी है और सरकार इसे लोगों की आदत में लाना चाहती है. लेकिन, इ-ट्रांजेक्शन की सुरक्षा की बात करें, तो साइबर क्रिमिनल से निबटने के लिए पुलिस के पास बेसिक तैयारी भी नहीं है. बिहार में जिले वाइज साइबर सेल के गठन की तैयारी थी. लेकिन, हकीकत इसे जुदा है. इसका अपना कोई स्ट्रेक्चर ही नहीं है. बल्कि, इसे आर्थिक अपराध शाखा से जोड़ दिया गया है. ऐसे में इ-ट्रांजेक्शन बैंक उपभोक्ताओं के एकाउंट को खाली कर सकता है. पटना में हाल के दिनों में विद्युत विभाग के इंजीनियर प्रमोद कुमार इसके शिकार भी हो चुके हैं. उनके बैंक खाते से ऑनलाइन शॉपिंग कर ली गयी और उन्हें तब पता चला, जब उनके मोबाइल पर मैसेज आया.
ऐसे गायब हो जायेगा आपका बैलेंस : यह सब कुछ हो रहा है स्वैप मशीन में चोरी से लगाये गये एक इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस से.
साइबर क्रिमिनल से हाथ मिलाने वाले लोग आपके डेबिट कार्ड का नंबर व पासवर्ड तब चोरी कर लेते हैं, जब आप इ-ट्रांजेक्शन के लिए अपना कार्ड स्वैप मशीन में स्वैप करते हैं. तो मशीन में लगी इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस आपका सब कुछ चुरा लेगी. इसके बाद आपके बैंक खाते में मौजूद बैलेंस से ऑनलाइन शॉपिंग साइबर क्रिमिनल की ओर से कर लिया जायेगा और आपका बैलेंस जीरो हो जायेगा.
क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट : साइबर सुरक्षा एजेंसियां इ-ट्रांजेक्शन करने से मना तो नहीं करती हैं, पर सावधान रहने की सलाह देती हैं. एजेंसी का मानना है कि इ-ट्रांजेक्शन करनेवाले उपभोक्ताओं के पासवर्ड दो तरह से चोरी हो सकते हैं. एक तो मशीन में लगी इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस से और दूसरी सीसीटीवी से. एजेंसी सतर्क करता है कि जहां पर इ-ट्रांजेक्शन हो रहा है.
वहां, इस बात का ध्यान रखें कि वहां सीसीटीवी लगे है या नहीं. अगर सीसीटीवी कैमरे हैं, तो पासवर्ड डालते वक्त पूरी गोपनीयता बरतें. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में ऐसी घटनाएं हुई हैं. इ-ट्रांजेक्शन के बाद सीसीटीवी कैमरे को जूम करके पासवर्ड की चोरी होती है. इसलिए मौजूदा वक्त में कार्ड का इस्तेमाल करते वक्त पूरी सावधानी बरतें.
मनु महाराज व शिवदीप लांडे भी हुए हैं शिकार
आम लोगों की तो बात छोड़िए, यहां साइबर क्राइम के शिकार आइपीएस भी हो चुके हैं. पटना के एसएसपी मनु महाराज ने हाल में ही खुलासा किया
था कि उनका सोशल वेबसाइट पर
फर्जी एकाउंट बन गया है. इसके माध्यम से कुछ लोगों को ब्लैकमेल किया गया है. नौकरी के नाम पर पैसों की ठगी की गयी है. पुलिस ने यूपी के मैनपुरी से एक आरोपित को गिरफ्तार भी किया है. इसी प्रकार वर्ष 2015 में तत्कालीन सिटी एसपी, पटना रहे शिवदीप लांडे का भी फर्जी एकाउंट बना लिया गया था. कुछ महिलाओं से पैसों की ठगी की गयी थी.
इस मामले में उन्होंने कोतवाली में मामला भी दर्ज कराया था. ठगी की बात करें, तो वर्ष 2016 में एक महिला आइजी से फोन कर पासवर्ड पूछ कर हैकरों ने उनके बैंक एकाउंट से पैसे उड़ा दिये थे. इसका मामला भी शास्त्री नगर थाने में दर्ज है. यह तो महज बानगी है. ऐसे, बहुत से मामले हुए हैं. जिनमें पढ़े-लिखे और अनपढ़ दोनों शिकार हुए हैं.
पटना : नोटबंदी के कारण जक्कनपुर के विग्रहपुर निवासी अनिश उर्फ रॉकी का लाखों रुपया जालसाजों के हाथ में जाने से बच गया. हुआ यूं कि कुछ दिन पहले अनिश ने डॉक्टर्स कॉलोनी में एटीएम के कैश डिपोजिट के माध्यम से सात हजार रुपया जमा किया. उस वक्त उसके पास उसका और उसकी बहन पूनम की एटीएम थी. एटीएम कोड को उसने एक कागज में लिख रखा था.
वहां पैसा जमा करने के बाद वह मीठापुर बस स्टैंड पहुंचा, जहां उसके दोनों एटीएम व पासवर्ड गिर गये. यह एटीएम पूर्णिया निवासी अभिनव को मिला. उसने एटीएम नहीं लौटायी, चूंकि उसके साथ पासवर्ड भी था. उसने एटीएम से पैसे की निकासी शुरू कर दी. उसने पेट्रोल पंप पर भी एटीएम के माध्यम से कुछ पैसे खर्च किये. इधर अनिश को इसकी जानकारी नहीं मिल पायी और उसे बाद में एटीएम गुम होने की जानकारी हुई. उसने मैसेजिंग सिस्टम नहीं शुरू करायी थी.
इधर अभिनव ने दो-दो हजार के माध्यम से 15 हजार रुपये निकाले और फिर करीब एक लाख 35 हजार रुपया अपनी मां ललिता देवी के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया. लेकिन, नोटबंदी के कारण बैंकों में भीड़ और मात्र एक सप्ताह में 24 हजार की निकासी के नियम के कारण पैसे की निकासी नहीं हो गयी. इधर अनिश जब बैंक में एटीएम की गुमशुदगी की जानकारी देने पहुंचा, तो उसे जानकारी मिली कि डेढ़ लाख रुपये उसके खाते से निकाल लिये गये हैं.
इसके बाद उसने जानकारी ली, तो अभिनव के मां ललिता देवी के एकाउंट में ट्रांसफर किये जाने की जानकारी मिल गयी. बैंक प्रशासन की मदद से उसने अपना एटीएम ब्लॉक कराया और ललिता देवी के एकाउंट को भी ब्लॉक करा दिया. इसके बाद वह गुरुवार को जक्कनपुर थाने में मामला दर्ज कराने पहुंचा. अनिश का कहना है कि उसका एकाउंट रामकृष्णा नगर एसबीआइ में है, जिसके कारण पुलिस ने रामकृष्णा नगर थाने जाने की सलाह दी. लेकिन, जब वहां भी मामला दर्ज नहीं हुआ, तो फिर एसएसपी के यहां शिकायत करने पहुंच गया.

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