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नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी बिहार सरकार

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर पटना : राज्य के 3.71 लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी है. गुरुवार को शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) […]

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर
पटना : राज्य के 3.71 लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी है. गुरुवार को शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी.
शिक्षा विभाग ने दायर एसएलपी ने कहा है कि साथ ही नियोजित शिक्षकों का नियोजन ही संविदा के आधार पर हुआ था और नियमावली में किसी प्रकार का समान काम-समान वेतन की चर्चा नहीं है. हाईकोर्ट के आदेश से राज्य सरकार पर काफी ज्यादा वित्तीय बोझ पड़ने की भी संभावना है. पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की याचिकाओं पर 31 अक्तूबर को ही फैसला सुनाया था कि पंचायती राज संस्था के नियोजित शिक्षकों को 2006 से पूर्व राज्य के शिक्षकों की तरह ही समान काम के बदले समान वेतन दिया जाये.
हाईकोर्ट ने 2006 और 2008 की शिक्षक नियुक्ति नियमावली को भी रद्द करते हुए 2006 के प्रभाव से ही नियोजित शिक्षकों का वेतनमान स्वीकृत करते हुए दिसंबर 2009 से ही वेतनमान के भुगतान का आदेश दिया था. साथ ही राज्य सरकार को इस फैसले को तीन महीने में लागू करने को भी कहा था. इसी फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने करीब डेढ़ महीने मंथन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की.
पटना हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद नवंबर महीने में ही माध्यमिक शिक्षक संघ, बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ समेत अन्य शिक्षक संगठन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैवियेट फाइल कर चुके हैं. इससे सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला देने से पहले इन संगठनों का भी पक्ष जानेगी.
बकाये के रूप में एकमुश्त देने होंगे Rs 50 हजार करोड़
नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने के हाईकोर्ट के फैसले के लागू होने से राज्य सरकार को बकाया राशि देने में ही 50 हजार करोड़ खर्च होंगे. वहीं, हर साल करीब 12 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त शिक्षा विभाग के बजट में खर्च होंगे.
लॉटरी से हेडमास्टर की नियुक्ति पर रोक
पटना हाईकोर्ट ने राज्य के मिडिल स्कूलों में लॉटरी से हेडमास्टरों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि वह चार सप्ताह में नये सिरे से हेडमास्टर के पद पर शिक्षकों को प्रोन्नति देने के संबंध में भी उचित निर्णय लें.
न्यायाधीश ए अमानुल्लाह की एकलपीठ ने जिला प्राथमिक शिक्षक संघ व अन्य की ओर से दायर चार रिट याचिकाओं पर गुरुवार को एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी भी शिक्षक को कोई भी आपत्ति हो तो वह अपनी आपत्ति संबंधित अधिकारी को दे सकते हैं.
जिस पर संबंधित अधिकारी उचित निर्णय लेंगे. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनय पांडेय का कहना था कि नालंदा, मधेपुरा, जहानाबाद समेत अन्य जिलों के करीब एक हजार से ज्यादा शिक्षकों को प्रोन्नति देकर लॉटरी से हेडमास्टर के पद पर नियुक्ति की जा रही है, जबकि ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है. सरकार के इस निर्णय से प्रोन्नति पाने वाले नये हेडमास्टरों को काफी परेशानी हो रही रही. दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष रंजन पांडेय ने कोर्ट को बताया कि इससे हेडमास्टरों के तबादले में पारदर्शिता आयेगी.

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