किसी भी पार्टी और उसका सिंबल चुनाव आयोग देता है. चुनाव आयोग ने नीतीश कुमार वाली जदयू को मान्यता दी है. शरद यादव वसूल की बात करते हैं, लेकिन उनके पास पार्टी नहीं है और उन्होंने राष्ट्रीय व राज्य कार्यकारिणी का गठन कर दिया है. उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने रमई राम को बिहार में किस पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है.
उन्होंने कहा कि शरद यादव यह सब अपनी राज्यसभा सदस्यता खत्म होने में देरी हो, इसलिए ऐसा कर कवच के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसका उन्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा. राज्यसभा के सभापति ने 30 अक्तूबर को उन्हें इस मामले में खुद उपस्थित होकर जवाब देने का निर्देश दिया गया है. जदयू ने शरद यादव पर दल का स्वत: परित्याग करने के आरोप में उनकी सदस्यता रद्द करने का आवेदन दिया है. शरद यादव ने पार्टी के खिलाफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की 27 अगस्त को आयोजित रैली में भाग लिया था.
अब शरद यादव की सदस्यता पर कांग्रेस, सीपीआई व एनसीपी के नेता उनका साथ दे रहे हैं और उनका मामला एथिक्स कमेटी में लाने की बात कर रहे हैं, लेकिन उनका मामला कोई भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि खुद दल के परित्याग का है. इसमें राज्यसभा के सभापति को भी फैसला लेना है. आरसीपी सिंह ने कहा कि शरद यादव को सांसद बनाने में जो लोग प्रस्तावक बने थे वे भ्रष्टाचार के साथ रहने को तैयार नहीं थे, ऐसे में जिनकी बदौलत वे सांसद बने उन्हें और बिहार की जनता को शरद यादव ने धोखा दिया है.