Advertisement
सरकारी जमीन पर बना लिया अपार्टमेंट
पटना : सरकारी जमीन पर कब्जे का वाकया कोई नया नहीं है. करबिगहिया में जल संसाधन विभाग की 24 डिसमिल जमीन को न केवल बेच दिया गया, बल्कि उस पर अतिक्रमणकारी द्वारा अपार्टमेंट खड़ा कर दिया गया. साजिश रच कर फर्जी दस्तावेज तैयार कराये गये. मालगुजारी रसीद प्राइवेट व्यक्ति के नाम पर कटवाया गया और […]
पटना : सरकारी जमीन पर कब्जे का वाकया कोई नया नहीं है. करबिगहिया में जल संसाधन विभाग की 24 डिसमिल जमीन को न केवल बेच दिया गया, बल्कि उस पर अतिक्रमणकारी द्वारा अपार्टमेंट खड़ा कर दिया गया.
साजिश रच कर फर्जी दस्तावेज तैयार कराये गये. मालगुजारी रसीद प्राइवेट व्यक्ति के नाम पर कटवाया गया और अनियमित रूप से जमाबंदी कायम करायी गयी थी. इसमें न केवल अंचल अधिकारी दोषी थे, बल्कि जल संसाधन विभाग के कर्मचारी भी मिले हुए थे. नगर निगम के वास्तुविद ने इसके लिए नक्शा भी पास कर दिया था. इस पूरे प्रकरण में पटना सदर के दो अंचलाधिकारी पर आर्थिक अपराध इकाई के थाने में चार्जशीट भी हो चुकी है.
सरकारी जमीन की करायी गयी थी जमाबंदी : थाना कांड संख्या 20-12 की जांच में पाया गया कि इस सरकारी जमीन पर दाखिल-खारिज का अभिलेख खाेल कर लगान निर्धारित कर जमाबंदी कायम कर दी गयी.
पिता के मरने पर बेटों के नाम दाखिल-खारिज
इसमें दिलचस्प यह है कि पिता के मरने के बाद बेटों के नाम जमीन का दाखिल-खारिज दूसरे सीओ मकसूद अंसारी ने वाद संख्या 801-2 वर्ष 2010-11 में कर दिया. उन्हें साजिश में डाला अंचल निरीक्षक अरुणजय कुमार और हल्का कर्मचारी जनेश्वर पांडे ने. अंचल से मालगुजारी रसीद प्राप्त करने के बाद जमालुद्दीन के पुत्र-पुत्रियों ने निगम कार्यालय के वास्तुविद राकेश कुमार रंजन से बहुमंजिली इमारत बनाने के लिए नक्शा स्वीकृत करा लिया.
Advertisement