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कच्ची उम्र में शादी का बोझा उठाये जी रहीं लड़कियां

स्त्री जीवन और उसकी सेहत नासिरूद्दीन इसी साल फरवरी की बात है. पटना के खगौल इलाके में 13 साल की बच्ची महिला थाने पहुंची. नौवीं क्लास में पढ़ने वाली इस बच्ची के मुताबिक, घर वाले उसकी शादी कर रहे हैं. वह शादी नहीं करना चाहती है. उसका बस इतना सा ख्वाब है कि वह आगे […]

स्त्री जीवन और उसकी सेहत
नासिरूद्दीन
इसी साल फरवरी की बात है. पटना के खगौल इलाके में 13 साल की बच्ची महिला थाने पहुंची. नौवीं क्लास में पढ़ने वाली इस बच्ची के मुताबिक, घर वाले उसकी शादी कर रहे हैं. वह शादी नहीं करना चाहती है. उसका बस इतना सा ख्वाब है कि वह आगे पढ़े. इतना पढ़ ले कि ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके. खबर के मुताबिक, उसकी मां की मौत कई साल पहले हो चुकी है. उस बच्‍ची का मानना है कि अगर मेरी मां पढ़ी-लिखी होती तो नहीं मरती. इ सी तरह मोतिहारी में पिछले दिनों 13 साल की लड़की की शादी होने जा रही थी. प्रशासन को खबर मिली. शादी रुक गयी.
लेकिन, यह महज संयोग है कि दोनों बच्चियां शादी के बंधन में नहीं बंध पायीं. ऐसा संयोग बिहार में पैदा होने वाली हर लड़की के खाते में नहीं आता है. इसीलिए बिहार में 10 में से लगभग चार लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है. राष्ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस-4) के ताजा आंकड़ेबताते हैं कि बिहार में 39.1 फीसदी लड़कियों की शादी कानूनी उम्र से पहले हो चुकी है. हालांकि, पिछले 10 सालों में इस संख्‍या में ठीक-ठाक गिरावट आयी है. फिर भी जब हम आबादी में इनके चेहरे गिनेंगे, तो ऐसी लड़कियों की तादाद लाखों में निकल आयेगी. वैसे जब हम बाल विवाह कहते हैं, तो हमारे जेहन में बहुत ही छोटे या गोद या टोकरी में बैठे लड़के-लड़कियों की तसवीर ही उभरती है. हमें यह कहीं से नहीं लगता कि यौवन की ओर बढ़ती नौवीं-दसवीं में पढ़ती 13-14 या 17 साल की लड़की या 20 साल के लड़के की शादी ‘बाल विवाह’ है. हम यह मान बैठे हैं कि शरीर में आने वाले खास बदलाव ही शादी कर देने की जरूरी निशानी हैं. उम्र नहीं, बल्कि यह बदलाव ही बालिग होने की पहचान है.
इसलिए आमतौर पर हमारा समाज लड़के-लड़कियों की शादी उम्र देख कर नहीं करता है. खासतौर पर लड़कियों के साथ तो यही होता है. इसीलिए ये शादियां हमें अटपटी नहीं लगती हैं. इसीलिए इसे कोई गैरकानूनी भी नहीं मानता. दरअसल, कानून की नजर में यह बाल विवाह है और जुर्म है.
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि पूरे देश में यह समस्‍या एक जैसी है. देश में कम उम्र की शादी में बड़ा हिस्सा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्‍यों का है. वैसे तो पूरे बिहार में बाल विवाह होते हैं, लेकिन लगभग डेढ़ दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां राज्‍य के औसत से ज्‍यादा लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है. इनमें सुपौल, मधेपुरा, बेगूसराय, जमुई सबसे आगे हैं.
(आंकड़े देखें)
बाल विवाह या कम उम्र या नाबालिग की शादी असलियत में जबरिया विवाह है. खासतौर पर लड़कियों की इसमें रजामंदी न होती है और न लेने की जरूरत समझी जाती है. इसीलिए यह बाल अधिकार और मानवाधिकार का हनन है. विकास में बड़ी रुकावट है. जल्‍दी शादी होते ही जल्‍दी मां बनने का सामाजिक-पारिवारिक दबाव होता है. यह कच्‍ची उम्र में जल्‍दी जिम्मेदारी लादने की शुरुआत होती है. आंकड़े बताते हैं कि 15 से 19 साल की उम्र में मां बन जाने या गर्भवती होने वाली लड़कियों की तादाद बिहार में लगभग 12 फीसदी है. यह आंकड़ा भी अलग-अलग जिलों में अलग- अलग है.
हमारे समाज में जिस तरह से शादियां होती हैं, उसमें इसका मतलब लड़का और लड़की के लिए एक ही नहीं होता है. लड़कियों की जिंदगी शादी के बाद जिस तरह बदलती है, वैसी लड़कों की नहीं बदलती. इसलिए इसे लड़कियों के नजरिये से देखना लाजिमी हो जाता है. लड़की के लिए अपने जाने-पहचाने माहौल से निहायत ही अजनबी माहौल में जिंदगी की नये सिरे से शुरुआत होती है. उसे ढेर सारी चीजें छोड़नी पड़ती हैं. इस छूटने में सबसे पहले जो चीज छूटती है, वह उसकी अपनी खुद की शख्सीयत है. उसकी खुद की पहचान है.
हमारे जहन में भले ही ऐसी शादियां, बाल विवाह न हों, पर कच्‍ची उम्र की शादी तो है ही. कच्‍ची उम्र कच्‍चा घड़ा जैसी है. उसमें कुदरती पुख्तगी की कमी होती है. इसलिए उसमें सही और लंबे समय तक बिना किसी टूट के खतरे के जिम्मेदारियां लेने और निभाने की की कुदरती ताकत भी नहीं होती. इसके दूरगामी असर लड़की की जिंदगी पर देखे जा सकते हैं. यह कुल मिला कर प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार का हनन है.
जिन जिलों में आधी से ज्‍यादा लड़कियों की शादी कानूनी उम्र से पहले हो गयी है
जिला उन महिलाओं (15-24 साल)का प्रतिशत, जिनकी शादी 18 साल से कम उम्र में हो हुई थी 15 से 19 साल की लड़कियों का प्रतिशत, जो मां बन चुकी हैं या गर्भवती हैं
सुपौल 56.9 18.6
मधेपुरा 56.3 19.2
बेगूसराय 53.2 15.4
जमुई 50.8 14.9
जिन जिलों में 45 से 50% लड़कियों की शादी कानूनी उम्र से पहले हो गयी है
जिला उन महिलाओं (15-24 साल) का प्रतिशत, जिनकी शादी 18 साल से कम उम्र में हो गयी थी 15 से 19 साल की लड़कियों का प्रतिशत, जो मां बन चुकी हैं या गर्भवती हैं
सीतामढ़ी 49.7 11.1
समस्‍तीपुर 49.6 19.3
शिवहर 48.7 14.0
गया 47.6 14.9
खगड़िया 46.1 16.8
वैशाली 46 12.7
बांका 45.5 10.6
जिन जिलों में 39 से 45 फीसदी लड़कियों की शादी कानूनी उम्र से पहले हो गयी है
जिला उन महिलाओं (15-24 साल) का प्रतिशत, जिनकी शादी 18 साल से कम उम्र में हो गयी थी 15 से 19 साल की लड़कियों का प्रतिशत जो मां बन चुकी हैं या गर्भवती हैं
अररिया 44.5 11.2
पूर्वी चंपारण 43.5 17.7
लखीसराय 42.8 12.4
नालंदा 41.7 14.7
दरभंगा 41.2 11.5
मधुबनी 40.9 12.0
शेखपुरा 40.4 14.0
नवादा 40.1 10.8

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