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बिहार के विकास की मेरी गारंटी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सतत व समावेशी विकास का संकल्प दोहराया है. चुनाव की व्यस्तता की वजह से वह सीधी बातचीत का समय नहीं निकाल पाये. उन्होंने प्रभात खबर के सवालों के उत्तर में अपना आलेख भेजा है, जिसे हु-ब-हू प्रकाशित किया जा रहा है. नीतीश कुमार पिछले कई दशकों में भारत ने […]

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सतत व समावेशी विकास का संकल्प दोहराया है. चुनाव की व्यस्तता की वजह से वह सीधी बातचीत का समय नहीं निकाल पाये. उन्होंने प्रभात खबर के सवालों के उत्तर में अपना आलेख भेजा है, जिसे हु-ब-हू प्रकाशित किया जा रहा है.
नीतीश कुमार
पिछले कई दशकों में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है और विश्व भर में ख्याति भी पायी है. हरित क्रांति ने हमें अनाज के आयातक से निर्यातक बना दिया. प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि से मध्य वर्ग एक बड़े तबके के रूप में उभरा. जीवन प्रत्याशा दोगुनी हो गयी और साक्षरता बढ़ कर चौगुनी हो गयी. देखते ही देखते हमारे राष्ट्र में कितनी ही विश्वस्तरीय फार्मास्यूटिकल, आइटी तथा ऑटोमोबाइल कंपनियों का जन्म हुआ और कुछ ही समय में हमने अंतरराष्ट्रीय नीतियों में अपनी जगह पुख्ता कर ली.
जहां एक ओर हम आर्थिक क्षेत्र में मजबूती से उभरे, वहीं सामाजिक क्षेत्र में हमारी प्रगति दर सीमित रह गयी. आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले दो दशकों में आर्थिक और सामाजिक प्रगति के बीच का यह अंतर और भी बढ़ गया है और इसे जल्द कम करने की आवश्यकता है.
यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि जहां पिछले दो दशकों में हमारे देश की प्रतिव्यक्ति आय बड़े पैमाने पर बढ़ी, वहीं देश की आधी से अधिक आबादी के लिए जीवनयापन की मूलभूत सुविधाएं भी दुर्लभ हैं.
आजादी के 68 वर्षों बाद भी, लगभग 20 करोड़ आबादी के घरों तक बिजली नहीं पहुंच पायी है. महज 30 प्रतिशत ग्रामीण घरों को पाइप का पानी मिलता है और करीब 65 प्रतिशत बसावटों के एक किलोमीटर की दूरी तक कोई पक्की सड़क उपलब्ध नहीं है.
इसके साथ ही क्षेत्रीय या प्रादेशिक प्रगति का भी देश भर में काफी अलग प्रारूप रहा है और रफ्तार भी भिन्न रही है. जिन प्रदेशों ने सामाजिक विकास में निवेश किया, उन्हें दीर्घकालीन सफलता प्राप्त हुई. तमिलनाडू, केरल एवं हिमाचल प्रदेश जैसे भारतीय राज्य जिन्होंने इस प्रकार के ‘समग्र विकास’ को वास्तविकता का रूप दिया, वह बाकी राज्यों के लिए एक मिसाल है.
निरंतर सामाजिक नीतियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य इनफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क, बिजली, पानी के क्षेत्र में लागूहोने से यह प्रदेश ह्यूूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (मानव विकास सूचकांक) में अग्रणी है. इसके साथ ही ज्ञात होता है कि सामाजिक उन्नति होने से इनका आर्थिक विकास भी मज़बूत होता जा रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि निरंतर आर्थिक विकास के लिए भी मानव विकास में निवेश करना अत्यंत अनिवार्य है.
पिछले दस वर्षों में बिहार ने भी अभूतपूर्व संपूर्ण समृद्धि का अनुभव किया है. यह सरकार के सामाजिक इनफ्रास्ट्रक्चर को पुख्ता करने व बढ़ावा देने के प्रयासों से ही संभव हो सका है. राज्य के उज्जवल भविष्य की नींव रखी जा चुकी है. ‘न्याय के साथ विकास’ की विचारधारा से प्रेरित मेरी सरकार ने कानून का राज कायम किया और प्रदेश को प्रगति की ओर बढ़ाया.
राज्य में सुशासन होने से हर तबके तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचीं . 17.99 फीसदी की दशकीय सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) दर पर बढ़ते हुए बिहार ने ज्यादातर सामाजिक-आर्थिक सूचकों पर राष्ट्र औसत से भी बेहतर प्रदर्शन किया है.
प्रतिव्यक्ति आय की बढ़ोतरी के साथ ही कृषि, उद्योग एवं सेवा क्षेत्र के जीएसडीपी में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. बिजली की आपूर्ति में हुई चार गुना वृद्धि से राज्य के 40,000 में से 36,000 बसावटों तक बिजली पहुंच चुकी है. सड़कों की संख्या एवं लंबाई में दो गुनी बढ़ोतरी हुई है. पिछले दस वर्षो में जहां प्राथमिक विद्यालयों के नामांकन दर में 99 फीसदी एवं टीकाकरण दर में 60 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी, वहीं शिशु मृत्यु दर में आयी तीव्र गिरावट राष्ट्रीय औसत से भी अधिक रही है.
मेरा यह मानना है कि गत दस वर्षों में बिहार में हुए विकास को अगले चरण में ले जाने के लिए यह समय उचित है. नीतीश निश्चय – ‘विकसित बिहार के सात सूत्र’- यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य में ही युवाओं को शिक्षा एवं रोजगार के बेहतर अवसर मिले. महिला सशक्तीकरण को और आगे बढ़ाया जाये और हर एक नागरिक तक जीवनयापन की मूलभूत सुविधाएं पहुंचें.
रोजगार एवं शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रेरित ‘आर्थिक हल, युवाओं को बल’, राज्य के करोड़ो युवाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए उनके भविष्य को सुरक्षित करने में सहायक होगा.
राज्य सरकार द्वारा 20 से 25 वर्ष की आयु के युवाओं को बेरोजगारी भत्ते के रूप में प्रतिमाह एक हजार रुपये दिये जायेंगे. यह भत्ता नौ महीनों तक दिया जायेगा और इसका लाभ दो बार प्राप्त किया जा सकता है. 12वीं की परीक्षा में सफल हुए छात्र–छात्रओं को सरकार द्वारा स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड प्रदान किया जायेगा, जिससे वे अपनी उच्च शिक्षा के लिए न्यूनतम दर पर ऋण ले सकें.
स्व-रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए 500 करोड़ का वेंचर कैपिटल फंड स्थापित किया जायेगा तथा राज्य के सभी कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों में मुफ्त वाई-फाई (इंटरनेट) की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. इसके साथ ही राज्य के सभी जिलों में पंजीकरण एवं आधुनिक रोजगार परामर्श केंद्रों की स्थापना कर डेढ़ करोड़ युवाओं को भाषा एवं संवाद कौशल, बुनियादी कंप्यूटर ज्ञान व अन्य कौशल प्रदान किये जायेंगे.
महिला सशक्तीकरण की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए ‘आरक्षित रोजगार, महिलाओं का अधिकार’ के तहत राज्य की सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा.
‘हर घर बिजली लगातार’ के अंतर्गत अगले दो वर्षों में बचे हुए सभी गांवों और बसावटों का विद्युतीकरण पूरा करने के साथ ही राज्य के हर एक घर तक 24 घंटे लगातार बिजली के सपने को साकार किया जायेगा. राज्य के सभी घरों को स्वच्छ पेयजल मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए ‘हर घर नल का जल’ के तहत हर घर तक पाइप जल की सुविधा पहुंचायी जायेगी.
‘घर तक पक्की गली-नालियां’ के तहत राज्य की हर बसावट तक पक्की गली एवं नालियों का निर्माण किया जायेगा. खुले शौच से मुक्त, स्वस्थ और स्वच्छ बिहार के लिए ‘शौचालय निर्माण, घर का सम्मान’ के तहत हर घर में शौचालय की व्यवस्था की जायेगी. ‘अवसर बढ़े, आगे पढ़ें’ के अंतर्गत राज्य में मेडिकल एवं टेक्निकल शिक्षण संस्थानों का निर्माण होगा.
वर्तमान अनुमानों से ज्ञात होता है कि बिहार के पास योजनागत व्यय के लिए लगभग चार लाख करोड़ का आंतरिक संसाधन उपलब्ध होगा, जिसमें से 2.7 लाख करोड़ रुपये का उपयोग इन जन-कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जायेगा. यदि जनता फिर से मुङो अधिकृत करे, तो मैं अगले पांच सालों में निरंतर और सुचारू रूप से कार्य कर निर्धारित समय में यह विकास लाकर दिखाऊंगा.
यह मेरा विश्वास है कि ‘नीतीश निश्चय’ राज्य की जनता के संपूर्ण कल्याण के लिए अनुकूल परिस्थितियों का सृजन करेगा, जिससे बिहार में सतत और समावेशी विकास आगे भी होता रहे.

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