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नीतीश को मिला अणुव्रत पुरस्कार, कहा- शराबबंदी से बचे 10 हजार करोड़

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के कारण राज्य में आम लोगों के 10 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये बरबाद होने से बच गये. राज्य में शांति बढ़ी है. बचे हुए पैसे का उपयोग लोग अपनी बेहतरी में कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से सरकारी कोष को होनेवाला नुकसान […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के कारण राज्य में आम लोगों के 10 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये बरबाद होने से बच गये. राज्य में शांति बढ़ी है. बचे हुए पैसे का उपयोग लोग अपनी बेहतरी में कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से सरकारी कोष को होनेवाला नुकसान कोई खास मायने नहीं रखता है. शराबबंदी राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद है. मुख्यमंत्री मंगलवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित जैन समुदाय के अणुव्रत समारोह-2016 को संबोधित कर रहे थे. समारोह में जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण की तरफ से उन्हें ‘अणुव्रत पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया.
पुरस्कार के रूप में उन्हें जैन साहित्य, प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्रम और एक लाख 51 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया. सीएम ने मौके पर ही पुरस्कार की राशि 1.51 लाख रुपये ‘मुख्यमंत्री राहत कोष’ में जमा करने का एलान किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी से राजस्व में नुकसान की अवधारणा पूरी तरह से सही नहीं है. वर्ष 2015-16 में 25,449 करोड़ राजस्व का संग्रह हुआ, जबकि 2016-17 में अब तक इतना राजस्व प्राप्त हो चुका है. चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर इसके बढ़ने की संभावना है. उन्होंने कहा कि दुनिया में अभी अतिवाद का दौर चल रहा है, जिससे निकलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी के बाद ब्रांडेड कपड़ों की बिक्री 49%, सिलाई मशीन की बिक्री 19% बढ़ी है. फर्नीचर समेत ऐसे अन्य सभी सामान की भी बिक्री में वृद्धि हुई है. इससे यह स्पष्ट है कि शराबबंदी के बाद राज्य के लोगों का जीवन स्तर तेजी से बदल रहा है. उनके चेहरे पर खुशी है.
मजाकिया लहजे में सीएम ने कहा, शराब पीनेवालों की पत्नियां अब कहती हैं कि इनका चेहरा अब देखने में ज्यादा अच्छा लग रहा है. शराबबंदी के साथ-साथ नशामुक्ति अभियान शुरू हो गया है, जो निरंतर जारी रहेगा. इस बार की निश्चय यात्रा के दौरान आयोजित जनचेतना अभियान का लक्ष्य नशामुक्ति रखा गया था. उन्होंने कहा कि नशामुक्ति के लिए कानून के अलावा लोगों में आत्म अनुशासन की सबसे ज्यादा जरूरत है.
छठपूजा में लोग कितने आत्म अनुशासित और आत्म संयमित हो जाते हैं. एक कागज का टुकड़ा भी सड़क पर नहीं दिखता है. लेकिन, बाद में पलट जाते हैं. हाल में आयोजित प्रकाश पर्व में भी ऐसा ही अनुशासन देखने को मिला था. लोगों में इसी भावना को जगाने की जरूरत है. इसमें आचार्य श्री महाश्रमण जी की अहिंसा यात्रा सबसे बड़ी भूमिका अदा करेगी, जिसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं- सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति. सीएम ने कहा कि जनसहयोग से ही यह अभियान कामयाब होगा. जो चंद लोग इस शराबबंदी की अवहेलना करते हैं, उनके लिए आत्म अनुशासन का पाठ बेहद जरूरी है. इस कार्यक्रम के दौरान सभी लोगों को आचार्य श्री ने इन तीन मूल उद्देश्यों पर चलने की शपथ भी दिलवायी. सभी लोगों ने अपनी सीट पर खड़े होकर इसकी शपथ ली.
इस वर्ष हो रहा यह सुखद संयोग
सीएम ने कहा कि इस वर्ष यह बेहद सुखद संयोग है कि आचार्य श्री महाश्रमण की अहिंसा यात्रा 10 हजार किमी से अधिक की पदयात्रा बिहार पहुंची है. नशामुक्ति का संदेश लोगों के बीच फैला रहा है. इससे पहले गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का 350वां प्रकाश पर्व मनाया गया. इसी वर्ष अप्रैल में बापू की चंपारण यात्रा का शताब्दी वर्ष समारोह मनाया जा रहा है. इसके तहत 10 अप्रैल, 2017 से 21 अप्रैल, 2018 तक कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.
मानव शृंखला में शामिल हुए चार करोड़
उन्होंने कहा कि नशामुक्ति के समर्थन में 21 जनवरी को पूरे राज्य में मानव शृंखला का आयोजन किया गया. इसमें दो करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान था, लेकिन लोगों ने इतना उत्साह दिखाया कि एक नहीं, दो-तीन पंक्तियां बना कर मानव शृंखला बनायी. चार करोड़ से ज्यादा लोग इसमें शामिल हुए. सभी जातियों और धर्मों के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
पीछे से आवाज आते ही सभी आशंकाएं दूर
मुख्यमंत्री पुरस्कार प्राप्त करने के बाद अपने संबोधन की शुरुआत पूर्ण शराबबंदी लागू करने से जुड़ी अपनी पुरानी यादों से की. कहा कि इसी एसकेएम हॉल में नौ जुलाई, 2015 को आयोजित महिलाओं के ग्राम वार्ता कार्यक्रम में पीछे से महिलाओं के समूह ने कहा कि शराब बंद कर दीजिए.शराबबंदी का विचार मेरे मन में पहले से ही चल रहा था, लेकिन यह सफल हो पायेगा या नहीं, इसको लेकर आशंका बनी रहती थी. लेकिन, महिलाओं की इसके समर्थन में आयी आवाज ने इसकी सफलता से जुड़ी तमाम आशंकाएं दूर कर दीं. इसके बाद 26 नवंबर, 2015 को इसकी घोषणा कर दी. इसे लागू करने से पहले दो महीने तक लगातार जनचेतना अभियान चलाया गया. 1.19 करोड़ अभिभावकों से शपथपत्र भरवाया गया. नौ लाख स्थानों पर पेंटिंग करवायी गयी. 25 हजार से ज्यादा जगहों पर नुक्कड़ नाटक हुए. इसके बाद पांच अप्रैल, 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू हो गयी.
1981 से दिया जा रहा अणुव्रत पुरस्कार
अणुव्रत पुरस्कार 1981 से लगातार दिया जा रहा है. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत, पूर्व पीएम गुलजारी लाल नंदा, पूर्व राज्यपाल शिवराज पाटील, डॉ सीताशरण शर्मा, पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन, पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी व अन्य को यह पुरस्कार िमल चुका है.

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