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Friday, March 29, 2024

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Result Scam : छह एकड़ जमीन के बदले टॉपर बनाने का सौदा, रूबी के पिता-बच्चा व लालकेश्वर के बीच हुई थी डील

पटना : अपनी जमीन दे दो, हम तुम्हारी बेटी को टॉपर बना देंगे. उस जमीन पर मेडिकल कॉलेज खोलना है. जमीन के बदले पैसा नहीं देंगे, रूबी राय को इंटर आर्ट्स का टॉपर बना देंगे. यह सौदा रूबी राय के पिता अवधेश कुमार राय का वीआर काॅलेज वैशाली के प्राचार्य बच्चा राय और बिहार बोर्ड […]

पटना : अपनी जमीन दे दो, हम तुम्हारी बेटी को टॉपर बना देंगे. उस जमीन पर मेडिकल कॉलेज खोलना है. जमीन के बदले पैसा नहीं देंगे, रूबी राय को इंटर आर्ट्स का टॉपर बना देंगे. यह सौदा रूबी राय के पिता अवधेश कुमार राय का वीआर काॅलेज वैशाली के प्राचार्य बच्चा राय और बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद के बीच हुआ था. अवधेश राय के छह एकड़ जमीन पर बच्चा राय मेडिकल कॉलेज खोलना चाह रहा था.

इसके लिए बच्चा राय ने रूबी राय को टॉपर बनाने का प्रलोभन दिया. इस एक साल पहले हुए इस सौदा की जानकारी रूबी राय को नहीं थी. पिता अवधेश कुमार राय द्वारा किया गया पैतृक जमीन के बदले टॉपर बनाने के सौदे का शिकार रूबी राय हो गयी है. रूबी राय को यह सौदा इतना महंगा पड़ा कि आज वो जेल तक पहुंच गयी.
जमीन की हिस्सेदारी में बच्चा राय के साथ लालकेश्वर प्रसाद का हुआ था झगड़ा : रूबी राय के टॉपर बनाने के बदले जमीन के सौदे में पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद भी शामिल थे.
इसको लेकर बच्चा राय और लालकेश्वर प्रसाद के बीच झगड़ा भी हुआ था. समिति कर्मचारी ने बताया कि लालकेश्वर प्रसाद जमीन में आधे का हिस्सा चाहते थे. लेकिन बच्चा राय उन्हें जमीन का एक हिस्सा ही देना चाहता था. इस पर लालकेश्वर प्रसाद ने टाॅपर बनाने से इंकार कर दिया था. लेकिन बीच में उषा सिन्हाके आने के बाद दोनों का सुलह हुआ था. यह सारा प्रकरण बोर्ड ऑफिस में ही इंटर की परीक्षा के बाद मार्च में हुआ था.
11वीं में बस पास मार्क्स थे रूबी राय के : रूबी राय 11वीं में थर्ड डिवीजन से भी पास नहीं हो पायी थी. बिहार बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार रूबी राय को 11वीं में बस पास कर पायी थी.
रूबी राय पढ़ने में अौसत से भी कम थी. जैसे तैसे वो 11वीं में की परीक्षा में पास कर पायी थी. रूबी राय के 11वीं के रिजल्ट को भी बदला गया था. वीआर कॉलेज के रिकार्ड में रूबी राय 11वीं में बस पास कर पायी थी. लेकिन बिहार बोर्ड के पास जो 11वीं का रिजल्ट भेजा गया उसमें रूबी राय को प्रथम श्रेणी में पास दिखाया गया है. इसके बाद रिजल्ट का प्रलोभन बच्चा राय ने देना शुरू किया.
रूबी राय के बाल अधिकार का हो रहा हनन
नाबालिग रूबी राय को भेजा गया जेल
रूबी राय अभी नाबालिग है और उसके बाल अधिकार का हनन हो रहा है. जिस तरह से पिछले तीन दिनों रूबी राय के साथ पुलिस द्वारा व्यवहार किया गया है, वह गलत है. उसको गिरफ्तार कर और जेल भेजने के विरोध में प्रयास जुवेनाइल एड सेंटर सामने आया है.
सेंटर के स्टेट प्रोग्राम डायरेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि रूबी राय की उम्र साढ़े 17 साल ही है. जुवेनाइल जस्टिस एक्स 2015 के अनुसार रूबी राय का केस किशोर पुलिस के पास जाना चाहिए था. मौर्या लोक स्थित सेंटर के कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सुरेश कुमार ने बताया कि रूबी राय को बेऊर जेल नहीं बल्कि बाल गृह में भेजा जाना चाहिए था.
इसको लेकर हम लोग हाइकोर्ट में रिट दायर करेंगे. इस मामले में जुवेनाइल एड सेंटर अब राष्ट्रीय बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पूरी जानकारी देगी. सुरेश कुमार ने बताया कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जब कोई गंभीर अपराध करेगें, तभी उन्हें सजा दी जायेगी. रूबी राय ने ऐसा कोई अपराध नहीं किया है. ऐसे में उसे जेल भेजना बाल अधिकार का हनन है. इस मौके पर सेंटर के मेंबर और वकील केडी मिश्रा ने बताया कि रूबी राय से जन्म प्रमाण पत्र पेश करने के लिए समय भी नहीं दिया गया.
घरवालों ने नहीं किया रूबी के नाबालिग होने का दावा, इसलिए भेजी गयी बेऊर जेल
बिहार बोर्ड की इंटर आर्ट्स टॉपर रूबी राय के बालिग या नाबालिग होने के मामले में एसआइटी प्रभारी मनु महाराज ने सफाई दी है. उनका कहना है कि एसआइटी को रूबी या उसके परिवार के द्वारा दावा नहीं किया गया कि वह नाबालिग है. न ही कोई प्रमाण प्रस्तुत किया गया. इस कारण से उसे कोर्ट ने जेल भेज दिया. अब भी उनके परिवार का कोई सदस्य कोर्ट में कागज प्रस्तुत करेगा, तो नाबालिग साबित होने पर उसे रिमांड रूम भेजा जायेगा. इसके बाद जुबनाइल एक्ट के तहत कार्रवाई होगी.
क्लर्क से सीधे जुड़े थे पूर्व सचिव, सेक्शन ऑफिसर व उपसचिव को किया नजरअंदाज
पटना : इंटर और मैट्रिक परीक्षा के लिए उत्तर पुस्तिका का टेंडर, मूल्यांकन प्रक्रिया और रिजल्ट की तैयारी के प्रोसेसर आदि संबंधित हर संचिका को पूर्व सचिव अपने स्तर से ही तैयार करवाते थे. इन सारे कामों के लिए पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा से सीधे स्टोरकीपर और क्लर्क विकास कुमार जुड़ाव था. संचिका सीधे पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद और पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा के पास आता था. इस बीच में क्लर्क विकास कुमार था जो लालकेश्वर प्रसाद और हरिहर नाथ झा के बीच कड़ी का काम कर रहा था. इस पूरी प्रक्रिया को करने में बोर्ड के सेक्शन ऑफिसर और उप सचिव को भी नजरअंदाज किया गया. मामूल हो कि किसी तरह का टेंडर निकालने की प्रक्रिया सेक्शन ऑफिसर से शुरू होता है.
सेक्शन ऑफिसर के पास ही संचिका तैयार की जाती है. किस चीज के लिए टेंडर निकाला जाना है. उसका क्या प्रोसेस होगा, इन तमाम जानकारी को सेक्शन ऑफिसर तैयार कर संचिका को उप सचिव के पास भेजता है. उप सचिव उसे देखकर उस एप्रूव करते है. इसके बाद ही संचिका सचिव के पास जाता है. सचिव के हस्ताक्षर करने के बाद फाइनल अध्यक्ष के पास भेजा जाता है. लेकिन इस बार इंटर और मैट्रिक के उत्तर पुस्तिका के टेंडर में सीधे पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा और पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद के बीच सारी प्रक्रिया पूरी कर दी गयी.
समीक्षा के बाद जारी होगी नयी टॉपर लिस्ट
पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति इंटर साइंस और आर्ट्स के टॉपर लिस्ट की समीक्षा समिति द्वारा करवायेगी. इसमें जो भी छात्र शामिल हैं, उनके रिजल्ट का गहन जांच की जायेगी. जांच के बाद ही नयी मेरिट लिस्ट जारी की जायेगी. कमिटी सचिव अनूप सिन्हा की अध्यक्षता में है.
इसमें हसन वारिस और बोर्ड के उप सचिव कामेश्वर प्रसाद गुप्ता है. पूर्व में जारी टाॅपर लिस्ट में और भी बदलाव के आसार हैं. टॉपर्स लिस्ट से पहले ही चार टॉपर बाहर हो चुके हैं. इसके बाद भी टॉपर लिस्ट में बदलाव हो सकता है. बोर्ड अध्यक्ष अानंद किशोर ने बताया कि नयी टॉपर लिस्ट जारी अभी नहीं की गयी है. टॉपर लिस्ट की समीक्षा के बाद ही फाइनल लिस्ट जारी होगी.
लालकेश्वर के आधा दर्जन दलालों की पहचान, नालंदा में दबिश जारी
पटना : बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद के आधा दर्जन और दलालों की पहचान हुई है. इसमें ज्यादा लोग नालंदा के हैं. उनके नाम-पता का खुलासा होने के बाद एसआइटी नालंदा में डेरा डाले हुई है. बहुत जल्द पुलिस ऐसे लोगों को गिरफ्तार करेगी. इससे पहले नालंदा में ही प्रफ्ल्ल पटेल के घर छापेमारी हो चुकी है. उस पर बोर्ड अध्यक्ष के साथ मिलकर दलाली करने का आरोप है.
पुलिस उनकी तलाश कर रही है. इसके अलावा फरार चल रहे टॉपर और उनके अभिभावकों को भी गिफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है. बोर्ड के पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा की गिरफ्तारी के बाद उप सचिव भी जांच के लपेटे में आ गये हैं. एसआइटी उनसे से भी पूछताछ करेगी. इसके अलावा और लोगाें से भी पूछताछ होनी है. हालांकि एसएसपी मनु महाराज ने किसी के हिरासत में लिये जाने की पुष्टि नहीं की है. इतना जरूर स्पष्ट किया है कि कुछ और लोगों से पूछताछ की जानी है.
हरिहर को चौकी-बिस्तर देने का मामला गरमाया
तीन दिन से हिरासत में रखे गये बोर्ड के पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा को कोतवाली में बाकायदा बिस्तर-चौकी उपलब्ध कराने के संबंध में सवाल खड़े हो गये हैं. प्रभात खबर के 27 जून के अंक में इसकी तसवीर प्रकाशित होने के बाद महकमे मेें हलचल है. पुलिस के वरीय पदाधिकारियों ने इंस्पेक्टर को खरी-खोटी सुनाया है. इस पर इंस्पेक्टर ने कोतवाली के ओडी अफसर को फटकार लगायी है. इंस्पेक्टर ओडी अफसर की क्लास इसलिए लगा रहे हैं कि मीडिया का फोटो करने से क्यों नहीं रोका
गया. लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि पुलिस के किस पदाधिकारी के आदेश से पूर्व सचिव को थाने में यह
सुविधा दी गयी. सवाल यह भी है कि यह सुविधा इंस्पेक्टर ने खुद से दिलवाया या सही मेें किसी पदाधिकारी ने फोनकिया था.
परीक्षा दिये बिना ही संस्कृत शिक्षा बोर्ड से मिल जाता है मध्यमा का सर्टिफिकेट
पटना : ना पढ़ने की जरूरत, ना ही नामांकन लेने की आवश्यकता, ना ही परीक्षा की तैयारी करना और ना ही परीक्षा देने की जरूरत, बस बोर्ड को पैसे दीजिए और रिजल्ट लीजिए. भले बिहार बोर्ड का टॉपर घोटाला अभी सभी की नजर पर हो, लेकिन संस्कृत शिक्षा बोर्ड भी कम पीछे नहीं है.
कई बार ऐसा हुआ है जब टाॅपर ही बिना मध्यमा परीक्षा के बन गये है. 2010 में ऐसा ही मामला तात्कालिन अध्यक्ष सिद्धेश्वर प्रसाद के सामने आया था. सिद्धेश्वर प्रसाद अध्यक्ष बने थे. जब खुद अध्यक्ष ने रिजल्ट की समीक्षा की, तो पता चला कि जिनको टॉपर बनाया गया है, उन्होंने परीक्षा ही नहीं दी है. ऐसे छात्र का रिजल्ट अध्यक्ष ने कैंसिल किया और दुबारा रिजल्ट घोषित
किया गया.
फर्जी सर्टिफिकेट देकर माेटी कमाई
567 को सर्टिफिकेट
संस्कृत स्कूल, आनंदपुर, दरभंगा में लगातार कई सालों तक माध्यमा की फर्जी सर्टिफिकेट देता जाता रहा. जब 2010 और 2011 में हाई काेर्ट के आदेश पर प्रदेश भर के संस्कृत स्कूलों का ऑन स्पॉट जांच हुई तो ऐसे कई संस्कृत स्कूल पकड़ में आयें. इसके अलावा कई संस्कृत स्कूल ऐसे में सामने आयें जो बिना परीक्षा दिये ही 567 छात्रों को सर्टिफिकेट उपलब्ध करवा दिये थे. इसमें संस्कृत स्कूल, आनंदपुर, दरभंगा का नाम आया था. इसकी जानकारी उस समय शिक्षा विभाग को भी भेजा गया था.
कागज पर स्कूल
प्रदेश भर में कई ऐसे संस्कृत स्कूल है जो बस केवल कागज पर ही चलते है. बोर्ड की ओर से इन स्कूलों को पूरा संरक्षण साल भर दिया जाता है. इन स्कूलों में नामांकन से अधिक छात्र का रिजल्ट घोषित कर दिया जाता है. इन छात्रों का कोई रिकार्ड बोर्ड के पास नहीं होता है. लेकिन रिजल्ट छात्रों को मिल जाता है. इसके लिए मोटी रकम ली जाती है. 2009 में आये एक मामले को लेकर पूर्व अध्यक्ष सिद्धेश्वर प्रसाद ने बताया कि दरभंगा और मधुबनी जिले के कई ऐसे संस्कृत स्कूल है जो बस कागजों पर चलते है.
कदाचार जांच समिति को क्लीन चिट
पटना : बिहार बोर्ड की कदाचार जांच समिति को एसआइटी ने प्रथम दृष्टया अनुसंधान में क्लीन चिट दे दी है. समिति पर रिपोर्ट को दबाने का आरोप लगाया गया था. दरअसल यह रिपोर्ट पूर्व बोर्ड अध्यक्ष और सचिव को समिति ने सौंप दी थी. लेकिन, इसे दोनों ने दबा कर रख ली थी.
एसआइटी प्रभारी मनु महाराज ने इसकी पुष्टि की है. इसके बाद कदाचार जांच समिति को बड़ी राहत मिली है. लालकेश्वर प्रसाद ने पूछताछ में बच्चा यादव के सामने इसका संकेत किया था कि 2015 की परीक्षा में वीआर कॉलेज में नकल करायी गयी थी. उन्होंने परीक्षा केंद्र से आयी 222 कॉपियों का जिक्र किया था, जो एक जैसी लिखी गयी थी.
लालकेश्वर का कहना था कि इसकी जांच उन्होंने कदाचार जांच समिति को दी थी, लेकिन रिपोर्ट नहीं आयी थी. इस आरोप के बाद समिति शक के दायरे में आ गयी थी. एसआइटी ने पिछले सात दिनों तक इसकी जांच की और पाया कि रिपोर्ट जांच समिति ने अध्यक्ष व सचिव को सौंप दी थी. समिति ने नकल की पुष्टि की थी और रिजल्ट रोकने की अनुशंसा की थी, लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया. यहां बता दें कि कदाचार जांच समिति में बाल्मिकी प्रसाद अध्यक्ष हैं और गोविंद झा, राजाराम प्रसाद सदस्य हैं.
टॉपर हटा रहे बायोडाटा से बिहार टॉपर का टैग
2009 के इंटर साइंस टॉपर अमन राज ने हटाया टॉपर का टैग
पटना : टॉ पर बनना किसी भी छात्र के लिए गर्व की बात होती है. टॉपर बनना के अच्छे छात्र की पहचान देती है, जिसे वह मौका मिलने पर दूसरों के सामने रखते है. लेकिन बिहार के छात्रों के लिए टॉपर बनना एक मुसीबत हो गया है. 2016 के इंटर साइंस और आर्ट्स टाॅपर घोटाले का असर अब दूसरे टॉपर पर भी होने लगा है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पिछले कुछ सालों में बने इंटर साइंस के टॉपर इसके लिए शर्म महसूस कर रहे है.
भविष्य में उन्हें बिहार टॉपर बनने को लेकर फर्जी शब्द सुनना ना पड़े, इसके लिए अपने बायोडाटा से ही टॉपर बनने का टैग हटा लिया है. 2009 के इंटर साइंस टॉपर अमन राज ने अपने बायोडाटा से स्टेट टॉपर होने का टैग इसलिए हटा लिया कि इंटरव्यू में उसे कहीं एक्सपर्ट छांट ना ले. वहीं 2010 की इंटर साइंस की टाॅपर श्वेता रजनी को इंटरव्यू क दौरान स्टेट टॉपर के बनने की कहानी की पूछा गया. बीट्स पिलानी से चार साल का इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद अमन राज का कैंपस सेलेक्शन सोबोको प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई के लिए हुआ था.
इन दिनों अमन राज मेटर डॉट कॉम, गुड़गांव में कार्यरत है. अमन राज ने बताया कि मुझे टॉपर बनने का अफसोस हो रहा है. इस कारण भविष्य में कहीं इंटरव्यू देने में मुझे दिक्कतें ना हो, इसके लिए मैने बायोडाटा से टॉपर शब्द को हटा दिया है.
टॉपर्स घोटाले का असर कैरियर पर भी पड़ने लगा
स्क्रूटनी के बाद बना टॉपर, अब नहीं चाहिए यह तमगा : अिभनव
वहीं 2014 का टॉपर अभिवन सुमन भी अब टॉपर शब्द से खुद को अलग करना चाहता है. इंटर बॉयाेलॉजी स्ट्रीम से टॉपर बना अभिवन सुमन मेडिकल की तैयारी जयपुर में कर रहे है.
अभिनव सुमन को 2014 का इंटर साइंस का टॉपर घोषित किया गया था. मालूम हो कि 2014 में रविश कुमार इंटर साइंस का टॉपर घोषित किया गया था. लेकिन 10 दिनों के बाद स्क्रूटनी के माध्यम से अभिनव सुमन को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने टॉपर घोषित किया था. इसके लिए अभिनव सुमन ने काफी मेहनत किया था. लेकिन अब अभिनव सुमन टॉपर बनाये जाने पर अफसोस कर रहा है. अभिनव सुमन ने बताया कि टॉपर हूं, यह बात किसी को नहीं बताते है. इस कारण बायोडाटा से टॉपर शब्द को हटा दिया है.
इंटरव्यू में पूछा, बिहार स्टेट की टॉपर हैं
बंग्लोर में एक कंपनी में कैंपस के माध्यम से चुनी गयी 2010 की टॉपर श्वेता रजनी ने भी टॉपर शब्द कोबायोडाटा से हटा दिया है. बीट्स पिलानी में भले श्वेता रजनी का नामांकन स्टेट टॉपर के रूप में हुआ हो, लेकिन अब वहीं स्टेट टाॅपर बनना इन टॉपर्स के लिए मुश्किल पैदाकर रहा है.
श्वेता रजनी ने बताया कि दस दिन पहले एक इंटरव्यू में जाना हुआ. इंटरव्यू में सबसे पहले यहीं पूछा गया कि बिहार स्टेट के टॉपर है आप. सब्जेक्ट से अधिक इसी मैटर पर कई प्रश्न पूछे गये. इससे मुझे काफी शर्म महसूस हो रहा था. मेरा सेलेक्शन नहीं हुआ. इसके बाद मैने बायोडाटा से टॉपर शब्द को हटा दिया है.
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