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Thursday, March 28, 2024

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पटना : MBBS छात्रों का उपद्रव, ASI की फाड़ी वरदी, घसीट कर पीटा

आइजीआइएमएस. अस्पताल परिसर में एमबीबीएस छात्रों का उपद्रव, वाहन जांच के दौरान हुआ विवाद आइजीआइएमएस के दो एमबीबीएस छात्र हेलमेट नहीं होने पर चालान कटवाने को लेकर नाराज हो गये. उन्होंने एएसआइ को थप्पड़ जड़ दिया इसके बाद मामला बढ़ गया. पटना :आइजीआइएमएस के एमबीबीएस छात्रों ने बुधवार को वाहन चेकिंग टीम के एएसआइ अनिल […]

आइजीआइएमएस. अस्पताल परिसर में एमबीबीएस छात्रों का उपद्रव, वाहन जांच के दौरान हुआ विवाद
आइजीआइएमएस के दो एमबीबीएस छात्र हेलमेट नहीं होने पर चालान कटवाने को लेकर नाराज हो गये. उन्होंने एएसआइ को थप्पड़ जड़ दिया इसके बाद मामला बढ़ गया.
पटना :आइजीआइएमएस के एमबीबीएस छात्रों ने बुधवार को वाहन चेकिंग टीम के एएसआइ अनिल कुमार की वरदी फाड़ दी और जम कर पिटाई कर दी. टीम ने यहां के दो छात्रों को बिना हेलमेट होने के कारण चालान कटाने को कहा था. इससे नाराज छात्रों की भीड़ एएसआइ को बीच सड़क से कॉलर पकड़ कर अस्पताल परिसर में ले गयी. इस दौरान लप्पड़-थप्पड़, डंडा, छाता से उनकी पिटाई करते रहे. मारपीट की सूचना पर पहुची शास्त्रीनगर थाने की महिला दारोगा इंदू कुमारी के साथ भी मारपीट व बदतमीजी की गयी. मामला बिगड़ता देख पुलिस ने लाठियां चटका कर भीड़ को खदेड़ा. मारपीट के आरोप में चार एमबीबीएस छात्रों को पकड़ लिया गया. इन चारों के खिलाफ एएसआइ के बयान के आधार पर सरकारी कार्य में बाधा, मारपीट, वरदी फाड़ने का मामला दर्ज किया गया है. दूसरी ओर छात्रों ने भी पुलिस पर मारपीट करने का आरोप लगाया है और लिखित शिकायत की है.
गिरफ्तार चार छात्र आज जायेंगे जेल : घटना की जानकारी मिलने पर सिटी एसपी मध्य चंदन कुमार कुशवाहा आइजीआइएमएस व थाने पहुंचे और मामले की छानबीन की. अस्पताल गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को पुलिस ने हासिल किया. इसमें भीड़ द्वारा एएसआइ को पिटाई करते हुए कई लोग दिख रहे हैं. चंदन कुमार कुशवाहा ने बताया कि इन चारों के साथ ही सैकड़ों अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. सीसीटीवी कैमरा के वीडियो फुटेज में इन लोगों द्वारा मारपीट करने की तसवीर भी सामने आयी है. चारों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इन्हें गुरुवार को जेल भेज दिया जायेगा. पकड़े गये छात्रों में प्रिंस सिंह (पीरबहोर थाना परिसर), अरशद नसीम (छतौनी, मोतिहारी), असीफ रजा (अमौर, पूर्णिया) व आदित्य विक्रम सिंह (नवगछिया, भागलपुर) शामिल हैं.
इसमें तीन एमबीबीएस सेकेंड इयर व एक फोर्थ इयर के छात्र हैं. प्रिंस सिंह गांधी मैदान थाने में तैनात जमादार ठाकुर विजय सिंह का पुत्र है. जबकि, अरशद नसीम चिकित्सक डाॅ नसीम अख्तर का पुत्र है.
चालान कटवाने को कहा, तो जड़ दिया थप्पड़ : वाहन चेकिंग टीम आइजीआइएमएस गेट के सामने वाहन जांच कर रही थी. एएसआइ अनिल कुमार के साथ चार लाठीधारी जवान भी थे. इसी बीच दो छात्र बिना हेलमेट के अस्पताल परिसर से निकले, तो टीम ने इन्हें पकड़ लिया और चालान कटाने को कहा. इस पर एक छात्र ने एएसआइ को थप्पड़ जड़ दिया. इसी दौरान एक सिपाही ने छात्रों पर डंडा चला दिया. विवाद बढ़ा और पुलिस ने उन दोनों को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन वे बाइक से अस्पताल परिसर में चले गये. यह घटना करीब दोपहर एक बजे दिन हुई. कुछ देर बाद सैकड़ों की संख्या में छात्र हॉस्टल व अस्पताल परिसर से बाहर निकल आये. वे एएसआइ की कॉलर पकड़ कर पिटाई शुरू कर दी. चार जवान भीड़ को देख पीछे हट गये.
चौकी की पुलिस देखती रही : खास बात यह है कि आइजीआइएमएस गेट पर पुलिस चौकी में तैनात एक पदाधिकारी व चार जवानों ने भी बीच-बचाव नहीं किया. इसके बाद मारपीट करते हुए छात्रों की भीड़ एएसआइ को अस्पताल के अंदर ले गये और लगातार पिटाई करते रहे. इसी बीच एक सिपाही ने 100 डायल को फोन कर घटना के संबंध में जानकारी दे दी.
शास्त्रीनगर थाने की दारोगा इंदू कुमारी वहां पहुंची और एएसआइ को छुड़ाने का प्रयास किया, तो उनके साथ भी मारपीट और बदतमीजी की गयी. कुछ ही देर में काफी संख्या में पुलिस बल पहुंच गये और फिर एएसआइ को भीड़ के हाथों से बचाया गया. इधर, पकड़े जाने के बाद आइजीआइएमएस के काफी छात्र थाना पहुंचे. छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी पिटाई की, जिसमें छात्र घायल हो गये हैं. उन्हें चार घंटे तक हाजत में रखा गया. इस दौरान प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं करायी गयी. दूसरी ओर छात्र प्रिंस की मां मीरा सिंह भी थाना पहुंचीं और बताया कि उनका बेटा उन्हें इलाज कराने के लिए आया हुआ था. इलाज कराने के बाद वह उन्हें गाड़ी पकड़ाने के लिए बाहर आ रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
एमबीबीएस छात्रों की पिटाई के विरोध में हड़ताल पर रहे जूनियर डॉक्टर
पटना : एमबीबीएस छात्रों की पिटाई, पुलिस द्वारा चेकिंग के नाम पर पैसे वसूलने व लाठीचार्ज के विरोध में आइजीआइएमस के जूनियर डॉक्टर बुधवार को हड़ताल पर रहे. एमबीबीएस छात्रों ने भी क्लास का बहिष्कार कर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का समर्थन किया. जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी और ओपीडी बंद करा दिये. इससे न तो अल्ट्रासाउंड हुआ और नहीं किसी तरह की जांच हो सकी. पूरी तरह से इलाज ठप हो गया. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जूनियर डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि परिसर के अंदर पुलिस वाले हेलमेट चेकिंग के नाम पर जबरन पैसे वसूलते हैं.
500 मरीजों का नहीं हुआ इलाज : जूनियर डॉक्टरों ने सबसे पहले ओपीडी बंद कर गेट में ताले जड़ दिये. दोपहर ढाई बजे के बाद किसी भी मरीज का इलाज नहीं हो सका. इवनिंग ओपीडी भी बाधित रही. इसके बाद इमरजेंसी को बंद करा दिया गया. ओपीडी व इमरजेंसी दोनों मिला कर करीब 500 से अधिक मरीजों का इलाज नहीं हो सका. इस दौरान जांच सेवाएं भी ठप रहीं.
दो ऑपरेशन टले : दो मरीजों के ऑपरेशन अगले दिन के लिए टाल दिये गये. हालांकि, डॉक्टरों ने बताया कि दोनों छोटे ऑपरेशन थे. वहीं, इससे पहले तीन मेजर ऑपरेशन किये जा चुके थे. जबकि, 83 ऐसे मरीज थे जिनकी पैथोलॉजी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सिटी स्कैन आदि जांचें नहीं हो सकीं. जांच के लिए इन्हें अगले दिन बुलाया गया है. मरीजों ने जांच कराने के लिए पैसे भी जमा कर दिये थे.
क्या कहता है एसो.
पुलिस आइजीआइएमएस कैंपस के अंदर भी हेलमेट जांच अभियान चला रही है. छात्रों को एक विभाग से दूसरे विभाग में जाना पड़ता है. ऐसे में हमेशा हेलमेट लगाना संभवन नहीं है. इसका विरोध करने पर पुलिस वालों ने जबरदस्ती चलान काटा और मारपीट पर उतारू हो गये.
डॉ राजीव रंजन, सदस्य, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन
आइजीआइएमएस की इमरजेंसी छोड़ बाकी सभी जूनियर डॉक्टर बुधवार को हड़ताल पर रहे. डॉक्टरों का कहना है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो गुरुवार को भी हड़ताल जारी रहेगी.
उम्मीद है कि पीएमसीएच व एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों का भी समर्थन मिलेगा. वहीं इमरजेंसी में मरीजों की गंभीर हालत व सीनियर डॉक्टरों के कहने के बाद शाम सात बजे के बाद इमरजेंसी सेवा शुरू कर दी गयी. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्य डॉ राजीव रंजन ने कहा कि इमरजेंसी में मरीजों को परेशानी नहीं हो इसके लिए गेट खोल दिये गये हैं. पीएमसीएच, एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों से बातचीत हो गयी है उनका भी समर्थन हमें मिलेगा.
अस्पताल में पड़ी रही डेड बाॅडी
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण उन मरीजों को सबसे अधिक परेशानी हुई, जो डिस्चार्ज हुए थे. मरीजों का डिस्चार्ज सार्टिफिकेट नहीं बन पा रहा था. परिसर में दो डेड बॉडी तीन घंटे तक पड़ी रही.
डेथ सर्टिफिकेट के चक्कर में परिजन बॉडी लेकर इधर-से-उधर भटकते रहे. कैश काउंटर बंद करा दिये गये थे. ऐसे में बिलिंग नहीं हो पा रही थी, जिससे डेथ सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहे थे. बाद में सर्टिफिकेट बनने के बाद लोग डेड बॉडी ले गये.
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