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बिहार :शराब से लिवर हुआ खराब पत्नी ने दिया अपना लिवर, पति को मिला नया जीवनदान

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में हुआ था इलाज पटना : यह कहानी उस पति पत्नी की है जिसमें प्यार भी है और शराब भी है. शराब इस कारण है क्योंकि उसने उसके पति का लिवर खराब कर दिया और प्यार इस वजह से क्योंकि उसी के कारण पति को नई जिंदगी मिली. पत्नी ने […]

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में हुआ था इलाज
पटना : यह कहानी उस पति पत्नी की है जिसमें प्यार भी है और शराब भी है. शराब इस कारण है क्योंकि उसने उसके पति का लिवर खराब कर दिया और प्यार इस वजह से क्योंकि उसी के कारण पति को नई जिंदगी मिली. पत्नी ने प्यार के बाद अपना लिवर पति को दे दिया और पति को जीवनदान मिल गया.
दरअसल पटना के पंकज अग्रवाल शराबबंदी के पहले शराब पीने के आदी थे. दोस्तों के साथ शुरू हुआ क्रम लगातार जारी रहा और अंतत: उन्हें पिछले साल के अंतिम महीने में लिवर की समस्या हुई. उन्हाेंने शहर के दो बड़े निजी अस्पताल में इलाज कराया तो डाक्टरों ने कहा कि आपको हर हाल में लिवर ट्रांसप्लांट कराना होगा. इसके बाद समस्या पैसे की तो आई ही यह भी सामने आया कि यदि लिवर दान देने की बारी आयी तो फिर कौन देगा?
प्रीति अग्रवाल राजी होती हैं और अपने ससुर बाबूलाल अग्रवाल को कहती हैं कि आप पैसे की व्यवस्था करिये. इसके बाद वे दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में गये जहां पर 14 जुलाई को इलाज शुरू हुआ और 22 जुलाई को पत्नी प्रीति का लिवर पंकज को लगा दिया गया. अभी पंकज दो महीने बाद अपने पैरों पर खड़े हैं और नई जिंदगी जी रहे हैं जो एक वक्त में महज कुछ दिनों की मेहमान थे. प्रीति कहती हैं कि पति को मैं परेशान होते नहीं देखना चाहती थी. इसके लिए हमारे परिवार वालों ने प्रोत्साहित भी किया.
12 लाख खर्च, बिहार में नहीं होता है लिवर ट्रांसप्लांट
पंकज के इलाज में कुल 12 लाख रुपये खर्च आये हैं क्योंकि अस्पताल ने इन्हें सुविधा देते हुए केवल बेड चार्ज लिया. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ वैभव कुमार कहते हैं कि लिवर ट्रांसप्लांट कराने में कुल 19 लाख रुपये खर्च होते हैं.
बिहार में लिवर ट्रांसप्लांट का इलाज अभी नहीं होता है. डोनर से लिवर का 50 फीसदी हिस्सा ही लिया जाता है और बीमार व्यक्ति का पूरा लिवर निकाल दिया जाता है. तीन हफ्ते में 75 से 80 फीसदी हिस्सा बढ़ता है और पूरा कवर हो जाता है. डोनर की लाइफ दो दिनों में ही नार्मल हो जाती है लेकिन बीमार व्यक्ति को एक दवाई पूरे साल लेनी होती है.

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