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Thursday, March 28, 2024

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नीतीश बोले, हर स्कूल में हो रही है उर्दूू पढ़ाने की कोशिश, तेजस्वी ने कहा- उर्दू मीठी जुबान

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य का हर स्कूली बच्चा उर्दू से वाकिफ हो. बच्चा उर्दू जाने, सीखे और समझने लगे यही मेरी ख्वाइश है. बच्चा जब उर्दू सीख जायेगा और समझने लगेगा तो उसकी भाषा में और सुधार होगा. साथ ही वह अपनी बातों को भी ठीक ढंग से […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य का हर स्कूली बच्चा उर्दू से वाकिफ हो. बच्चा उर्दू जाने, सीखे और समझने लगे यही मेरी ख्वाइश है. बच्चा जब उर्दू सीख जायेगा और समझने लगेगा तो उसकी भाषा में और सुधार होगा. साथ ही वह अपनी बातों को भी ठीक ढंग से व्यक्त कर सकेगा. सरकार उर्दू के विकास को बढ़ावा दे रही है.

मुख्यमंत्री दो दिवसीय जश्न-ए-उर्दू के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि हर स्कूल में उर्दू पढ़ाया जाये, इसके लिए सरकार ने प्रयास किया है. शिक्षकों की बहाली भी शुरू की गयी, लेकिन अब किसके पास रोना रोएं. जितने स्वीकृत पद थे उतने आवेदन ही नहीं आये. हमारा उद्देश्य स्कूलों में बच्चों को उर्दू सिखाना था और हमें उर्दू पढ़ाने वाला चाहिए था, लेकिन लोग सिर्फ बहाली पर ध्यान देने लगे. मुझे तो अफसोस होता है कि बचपन में उर्दू पढ़ाने वाला नहीं मिला. बिहार का हर बच्चा उर्दू जानेगा, लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा.

उन्होंने कहा कि उर्दू इनकलाब की भाषा है. कोई भी परिवर्तन उर्दू के बिना संभ‌व नहीं है. उर्दू को बढ़ावा मिलना चाहिए. यह मजहब से जुड़ी नहीं है. यह सभी हिंदू, मुसलिम, सिख की जुबान है. बिहार सरकार ने उर्दू में आवेदन लेने, जवाब देने, उर्दू में दस्तावेज का रजिस्ट्रेशन करने और विज्ञापन देने की प्रक्रिया शुरू की है. करीब 400 उर्दू ट्रांसलेटर, उर्दू सहायक, पदाधिकारी की जिला, अनुमंडल व प्रखंडों में नियुक्ति के लिए पद स्वीकृत किये गये हैं. एेसा कर हम उर्दू पर कोई मेहरबानी नहीं कर रहे है. यह हमारी ड्यूटी है. काम करने का मौका दिया गया है तो हम अपने फर्ज को निभा रहे हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शायर स्व. कलीम अजीत के नाम पर पुरस्कार देने भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि उर्दू के बड़े जानकार को कलीम अजीज पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा.
नियमित रूप से हो जश्न-ए-उर्दू
सीएम ने कहा कि जश्न ए उर्दू कार्यक्रम नियमित रूप से हो. 2014 के जनवरी में इसकी शुरुआत हुई थी. जिस प्रकार इसका आगाज हुआ था, उसी तरह लगातार होना चाहिए. देश भर के लोगों को इसमें बुलायें. दो दिनों में अगर यह समारोह संभ‌व नहीं हो सके, तो तीन दिनों का कार्यक्रम करें. उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ने उर्दू के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले लेखकों, शायरों को भी सम्मानित किया.
हिंदी-उर्दू मिलकर ही अंगरेजी का कर सकेगी मुकाबला
सीएम ने कहा कि हिंदी और उर्दू में कोई विरोध नहीं है. ये एक दूसरे को मजबूत करने और सहयोग करने वाली भाषा है. एक दूसरे को सहयोग किये बिना हिंदी-उर्दू अंगरेजी का मुकाबला नहीं कर सकती है. अंगरेजी बोलना जरूरी है, हम जानते हैं, लेकिन चाइना, जर्मनी, फ्रांस, जापान, रसिया ने अंगरेजी से तरक्की नहीं की है.
लोगों के जीवन में मीठा रस घोलने वाली भाषा है उर्दू : तेजस्वी
पटना. समारोह में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि उर्दू मीठी जुबान है. यह जाति विशेष और धर्म विशेष की नहीं, बल्कि सभी के जीवन में मीठा रस घोलने की भाषा है. हिंदी और उर्दू दोनों बहनें हैं. जो सम्मान हिंदी को दिया जाता है, वही उर्दू को भी मिलता है. सीएम नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने उर्दू के लिए बहुत कुछ किया है. महागंठबंधन की सरकार उर्दू के लिए काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि जो नयी पीढ़ी है, उन्हें उर्दू व शायरी में रुचि लेनी चाहिए. जेनरेशन गैप से हमें भटकना नहीं चाहिए. समाज में जिस प्रकार से जहर घोला जा रहा है, गंगा-जमुनी संस्कृति को तोड़ा जा रहा है, ऐसे में उर्दू का महत्व और बढ़ जाता है. तेजस्वी ने कहा कि जश्न-ए-उर्दू में उनके पिता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को भी आना था, लेकिन अस्वस्थ होने की वजह से वे नहीं आ सके. उन्होंने सभी को शुभकामना भेजी है.

रोजगार में मिले बढ़ावा : सिद्दीकी
वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि उर्दू को हमारे रोजगार में बढ़ावा मिले. शिक्षा-तालीम में अहमियत मिले और यह रोजमर्रा की भाषा बने. उर्दू राज्य की द्वितीय भाषा है. इसका सही मायने में दर्जा कैसे मिले, यह देखना होगा. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक विभाग में सरकार ने 105 फीसदी बजट में बढ़ोतरी की है. मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि जरूरत पड़ी तो इसे और बढ़ाया जायेगा. इस मौके पर दिल्ली से आयी कामना प्रसाद ने कहा कि उर्दू जुबान नहीं, मुकम्मल तहजीब है.
समारोह में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर, गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी, कैबिनेट के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, उर्दू परामर्शदातृ समिति के अध्यक्ष शफी मशहदी, एनसीपीयूएल के निदेशक डॉ इर्तजा करीम, बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष इशार्दुल्लाह, बिहार हज कमेटी की हाजी मो इलियास, गुलजार देहलवी, सगुफ्ता यासमीन मुख्य रूप से शामिल हुए.
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