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मनरेगा कार्य में लापरवाही नहीं पारदर्शिता लाना जरूरी : डीसी

मेदिनीनगर: बरसात के दिनों में मनरेगा के तहत किये जाने वाले योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय टाउन हॉल में जिला स्तरीय कार्यशाला हुआ. इसमें जिले के सभी प्रखंडों के मुखिया के अलावा बीडीओ, बीपीओ, पंचायत सेवक व रोजगार सेवक मौजूद थे. मुख्य अतिथि पलामू के उपायुक्त अमीत कुमार ने कार्यशाला के उदेश्य […]

मेदिनीनगर: बरसात के दिनों में मनरेगा के तहत किये जाने वाले योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय टाउन हॉल में जिला स्तरीय कार्यशाला हुआ. इसमें जिले के सभी प्रखंडों के मुखिया के अलावा बीडीओ, बीपीओ, पंचायत सेवक व रोजगार सेवक मौजूद थे. मुख्य अतिथि पलामू के उपायुक्त अमीत कुमार ने कार्यशाला के उदेश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि बरसात शुरू होते ही मिट्टी वर्क बंद हो जाता है. ऐसी स्थिति में गांवों के मजदूर के समक्ष कामकाज का अभाव देखा जाता है.

मजदूर काम की तलाश में पलायन करते है. इस पर रोक लगे और गांव के जरूरत के अनुसार विकास का कार्य हो इसे लेकर सरकार ने बरसात के दिनों में भी मनरेगा के तहत योजना क्रियान्वयन का निर्देश दिया है. इसके लिए सरकार द्वारा जो गाइड लाइन प्राप्त हुआ है, उसके मुताबिक वैसी योजना का चयन कर मनरेगा के प्रावधान के तहत काम करना है, जिससे मजदूरों को रोजगार भी मिले और बारिश के कारण काम प्रभावित भी न हो.

डीसी श्री कुमार ने जिले के सभी बीडीओ, मुखिया, पंचायत सेवक व रोजगार सेवक को स्पष्ट तौर पर कहा कि कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. मनरेगा के प्रावधान के अनुसार काम भी होना चाहिए. कार्य में लापरवाही नहीं, बल्कि पारदर्शिता लाने की जरूरत है. अक्सर यह देखा जाता है कि कई पंचायतों में लापरवाही के कारण योजना अधर में लटकी रह जाती है या उस पर काम ही शुरू नहीं होता है.

उपविकास आयुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि वर्षा ऋतु में भी बहुत सी ऐसी योजना है जिसका क्रियान्वयन सही तरीके से किया जा सकता है. बशर्ते काम करने का जज्बा हो. उन्होंने बताया कि पौधारोपण के अलावे जलछाजन, मुर्गी शेड, बकरी शेड निर्माण, भूमि समतलीकरण, शॉकपीट निर्माण, मेड़बंदी आदि कार्य किया जा सकता है. उन्होंने राजस्थान के अलवर पंचायत के लोगों के प्रयास से वहां की बदहाल स्थिति में जो बदलाव हुआ उसके बारे में विस्तार से बताया. कहा कि यदि सोच अच्छा हो और काम करने का जज्बा हो तो स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है. सामूहिक प्रयास से ही यह संभव है.

डीडीसी ने जिले के सभी मुखिया को अपने पद का सदुपयोग करने की सलाह दी. कहा कि पद, प्रतिष्ठा और पावर मिला है तो उसका सदुपयोग करें, दुरुपयोग नही. योजनाबद्ध तरीके से गांव के विकास के लिए काम करें और खुशहाली लायें. हर चीज को पैसा से आंकना अच्छी बात नही है. योजना क्रियान्वयन में पैसा कमाने की बजाये उसे उपयोगी व गुणवत्तापूर्ण बनाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाये. ऐसा कार्य करें कि कोई अंगुली न उठा सके और आप सिर उठाकर चल सके. कार्यशाला में डीरआडीए के निदेशक हैदर अली, मनरेगा के लोकपाल डॉ मुरारी ओझा आदि ने गांवों के विकास को ध्यान में रखकर योजना का चयन कर पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ क्रियान्वयन करने का सुझाव मुखिया, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, बीपीओ व संबंधित अधिकारी को दिया.

कहा कि योजना के दस्तावेज का संधारण भी सही तरीके से होना चाहिए. सबके सहयोग एवं सकारात्मक सोच से ही उदेश्य पूरा होगा. मजदूरों के पलायन को रोकने के साथ साथ गरीबी व बेकारी को दूर करने के दिशा में काम किया जाना चाहिए. जल छाजन के सुधीर रौशन ने वर्षा ऋतु में मनरेगा के तहत पहाड़ी इलाके में किस तरह बारिश के जल को संग्रह किया जाये उसके बारे में प्रोजेक्टर के द्वारा विस्तार से जानकारी दी. मौके पर सदर बीडीओ मोहम्मद जुल्फीकार अंसारी, सफिक आलम सहित जिले के सभी बीडीओ, मुखिया संघ के जिलाध्यक्ष उदय सिंह, संघ के सदर प्रखंड अध्यक्ष विनय त्रिपाठी, मुखिया सत्येंद्र तिवारी, हृदयानंद मेहता,आरती देवी, सुषमा कुमारी आहूजा आदि मौजूद थे.

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