।। मिथिलेश झा ।।
आइसीसी चैंपियंस ट्राॅफी के फाइनल में पाकिस्तान से हार के गम से टीम इंडिया और देश के क्रिकेट प्रेमी उबर भी नहीं पाये थे कि राजस्थान की ट्रैफिक पुलिस ने क्रिकेटर्स के जख्मों पर नमक छिड़क दिया है. जयपुर ट्रैफिक पुलिस ने भारत के लोकप्रिय और उभरते क्रिकेटर को एक विज्ञापन के जरिये अपमानित किया है. इससे बुमराह काफी व्यथित हैं. उन्होंने ट्वीट करके अपनी व्यथा जाहिर की है.
@traffic_jpr well done Jaipur traffic police this shows how much respect you get after giving your best for the country. pic.twitter.com/y0PU6v9uEc
— Jasprit Bumrah (@Jaspritbumrah93) June 23, 2017
बुमराह ने लिखा, ‘वेल डन जयपुर ट्रैफिक पुलिस. यह दर्शाता है कि अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करनेवाले को आप कितना सम्मान देते हैं.’ एक और ट्वीट में जसप्रीत ने लिखा, ‘लेकिन चिंता न करें. मैं कभी आपकी उन गलतियों का मजाक नहीं उड़ाऊंगा, जो आप अपने काम के दौरान करते हैं, क्योंकि मैं जानता हूं कि इनसान गलतियां कर सकता है.’
@traffic_jpr But don't worry I won't make fun of the mistakes which you guys make at your work .because I believe humans can make mistakes
— Jasprit Bumrah (@Jaspritbumrah93) June 23, 2017
दरअसल, राजस्थान की राजधानी जयपुर में सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा किये गये विज्ञापन के जरिये जयपुर पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की है कि यदि आप सीमारेखा लांघेंगे, तो इसके दुष्परिणाम आपको ही भुगतने होंगे. पोस्टर में लिखा गया है, ‘लाल बत्ती पर गाड़ी जेब्रा क्राॅसिंग से पीछे रखें. पैदल यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान रखें.
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यह ठीक है कि टीम इंडिया के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के एक नो-बाॅल की कीमत टीम इंडिया को चुकानी पड़ी. लेकिन, बड़ी संख्या में हमारे देश में ऐसे नेता, मंत्री और अधिकारी हैं, जिन्होंने भारत की आबादी बढ़ाने में बड़ा योगदान किया है. आधा दर्जन से ज्यादा बच्चे पैदा करनेवाले नेताअों की भारत में कमी नहीं है.
ऐसे नेताअों में विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री भी शामिल हैं. अब बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को ही ले लें. इनके नौ बच्चे (सात बेटियां और दो बेटे) हैं. आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के आठ बच्चे (पांच बेटियां और तीन बेटे) हैं.
भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे नेताअों की भी देश में कमी नहीं है. बड़ी संख्या में ब्रूरोक्रेट्स भी हैं, जो भ्रष्टाचार में लिप्त पाये गये. इन नेताअों और अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल की हवा भी खानी पड़ी. इनके भ्रष्टाचार और भारत की जनसंख्या में उनके योगदान की कीमत देश की जनता ने चुकायी और अब भी चुका रही है.
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फिर भी परिवार नियोजन के किसी विज्ञापन में लालू प्रसाद या पीवी नरसिम्हा राव को या इन दोनों नेताअों की पत्नियों को किसी विज्ञापन का पोस्टर का हिस्सा नहीं बनाया गया.
भ्रष्टाचार में लिप्त किसी मंत्री या अधिकारी को भ्रष्टाचार निरोधक किसी कानून के विज्ञापन में कभी इस तरह से प्रदर्शित नहीं किया गया. कभी यह बताने की कोशिश नहीं की गयी कि कानून के हाथ कितने लंबे हैं. सुरेश कलमाडी, ए राजा, कनिमोझी जैसे नेताअों के जेल जाने के पोस्टर आज तक नहीं बने.
बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र को चारा घोटाला मामले में सजा मिली. लालू प्रसाद को तो चुनाव लड़ने से भी वंचित कर दिया गया है. लेकिन, किसी सरकारी विज्ञापन में कभी इस बात का जिक्र नहीं किया गया.
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2जी घोटाला में जेल जानेवाले दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और दूरसंचार मंत्री ए राजा के निजी सचिव आरके चंडोलिया को भी कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के किसी पोस्टर का हिस्सा नहीं बनाया गया. इस घोटाला मामले में भ्रष्टाचार में लिप्त दिग्गज टेलीकाॅम कंपनियों के बड़े अधिकारियों को भी कभी भ्रष्ट के रूप में प्रदर्शित करता पोस्टर नहीं बना. इसी तरह कोयला घोटाला में लिप्त भ्रष्ट नेताअों और अधिकारियों के भी कभी पोस्टर नहीं बने.
फिर एक मैच में खराब प्रदर्शन के चलते बुमराह का ऐसा अपमान क्यों? हमारे नेता, अधिकारी और व्यापारी आये दिन अपनी सीमाएं लांघते रहते हैं. क्या देश के किसी राज्य की पुलिस या अन्य एजेंसी में इतना दम है कि वे लोगों को जागरूक करने के लिए जनप्रतिनिधयों या नौकरशाहों पर आधारित विज्ञापन बनवा सकें. उन विज्ञापनों को सार्वजनिक स्थलों पर लगा सकें?
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हमारे देश के कई राज्यों में पंचायत और अन्य नगर निकाय चुनावों में दो से अधिक बच्चों के माता-पिता के चुनाव लड़ने पर रोक है. इन राज्यों में कई जनप्रतिनिधियों को तीसरे बच्चे की वजह से उन्हें अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. लेकिन, इसको कभी पोस्टर के जरिये लोगों को नहीं बताया गया.
सार्वजनिक रूप से किसी विज्ञापन में यह नहीं बताया गया कि किस प्रदेश के जनप्रतिनिधि को परिवार नियोजन से संबंधित किस कानून के उल्लंघन के कारण इस्तीफा देना पड़ा.
आश्चर्य की बात है कि हमारे जनप्रतिनिधि और अधिकारी गलतियां करते हैं. बार-बार करते हैं. यह जानते हुए कि वे जो कर रहे हैं, गलत है, फिर भी उस काम को करते हैं. हर बार उनकी गलती को किसी न किसी रूप में माफ कर दिया जाता है. फिर भी वे अपने कर्तव्यों के पालन में लापरवाही बरतते हैं. भ्रष्टाचार और कदाचार की सीमाएं लांघते हैं. उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती.
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एक खिलाड़ी, जो गलती से चूना लाइन को पार कर गया, उसे एक प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस ने विलेन बना दिया है. 50 ओवर तक पाकिस्तान को गेंदबाजी करने के बाद भारत के पास भी 50 ओवर का मैच खेलने का मौका था. सिर्फ बुमराह ने पाकिस्तान को 338 रन नहीं दिये. अन्य गेंदबाजों के साथ-साथ फील्डरों का भी इसमें योगदान था. टीम इंडिया की खराब बल्लेबाजी भी हार की वजह थी. फिर अपमान सिर्फ बुमराह का क्यों?
Meanwhile Jaipur Police Is Using Jaspreet Bumrah's No Ball To Give Road Safety Message.
Trolling Level Jaipur Police! 🙃😂😛 #IndvsWI #WIvIND pic.twitter.com/lRFLTXdLwg
— Sir Jadeja fan (@SirJadeja) June 23, 2017
इस सवाल का जवाब जयपुर ट्रैफिक पुलिस को देना ही चाहिए. जयपुर ट्रैफिक पुलिस को इस बात की जानकारी होनी चाहिए थी कि बुमराह ने कई मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम इंडिया को जीत भी दिलायी है. कई बार हारे हुए मैच को उसने जिताया है. यदि स्टैटगुरु से पूछें, तो इसका जवाब जयपुर ट्रैफिक पुलिस को मिल जायेगा.
बहरहाल, यदि जयपुर ट्रैफिक पुलिस में साहस है, तो उन पुलिसवालों की तसवीरें भी इसी तरह सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा करे, जो ट्रैफिक रूल का उल्लंघन करनेवालों से रिश्वत लेकर उन्हें छोड़ देते हैं. उसे उन पुलिस के जवानों और अधिकारियों के भी पोस्टर बनाने चाहिए, जो अपनी ड्यूूटी के दौरान ठेले-खोमचेवालों को धमकाते हैं. उनसे वसूली करते हैं.
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जयपुर पुलिस को उपरोक्त सभी सवालों के जवाब देने चाहिए, क्योंकि टीम इंडिया के एक मैच हारने से सिर्फ उसका रिकाॅर्ड खराब हुआ है. मैच हारना जीवन हारने के समान नहीं है. लेकिन, हमारे नेता और अधिकारी जो कर रहे हैं, हमारी पुलिस का जो रवैया है, उससे समाज, राज्य और देश का बड़ा नुकसान हो रहा है.
Jasprit Bumrah unhappy with road-safety memehttps://t.co/GLpQcVNJoP pic.twitter.com/dxqTJYaPc0
— ESPNcricinfo (@ESPNcricinfo) June 23, 2017
इसलिए जयपुर ट्रैफिक पुलिस को अपने किये के लिए बुमराह और देश के क्रिकेट प्रेमियों से माफी मांगनी चाहिए. इतना ही नहीं, खेल मंत्री और राजस्थान की सरकार को ट्रैफिक पुलिस को हिदायत देनी चाहिए कि युवा खिलाड़ियों को हतोत्साहित और अपमानित न करें.
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खेल जगत के सभी दिग्गजों को बुमराह के पक्ष में खड़ा होना चाहिए, और जयपुर ट्रैफिक पुलिस की इस हरकत के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए. कपिल देव, गावस्कर, सचिन तेंडुलकर, सौरभ गांगुली, वीरेंद्र सेहवाग और टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के साथ-साथ चैंपियंस ट्राॅफी के दौरान टीम इंडिया के हेड कोच रहे अनिल कुंबले को बुमराह के बचाव में आगे आना चाहिए.