32.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

गुरुवार को इस विधि से करें हरतालिका तीज, जानिए पूजन विधि और कथा

नयी दिल्ली : गुरुवार 24 अगस्‍त को सुहाग के लिए महिलाएं हरितालिका तीज का व्रत करेगी. पति की लंबी उम्र की कामना के साथ आम तौर पर सुहागन महिलाएं इस व्रत को करती है. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है. हस्त नक्षत्र गुरुवार को दिन में 3.56 से […]

नयी दिल्ली : गुरुवार 24 अगस्‍त को सुहाग के लिए महिलाएं हरितालिका तीज का व्रत करेगी. पति की लंबी उम्र की कामना के साथ आम तौर पर सुहागन महिलाएं इस व्रत को करती है. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है. हस्त नक्षत्र गुरुवार को दिन में 3.56 से शुक्रवार को दिन में 4.37 मिनट तक रहेगा. साधयोग में इस पवित्र पर्व की शुरुआत होगी. पटना के पंडित श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि हरितालिका को सैकड़ों वर्षों से भारत में मनाया गया है.

यह माना जाता है कि देवी पार्वती को 108 जन्मों तक प्रतीक्षा करनी पड़ी थी तब कहीं भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तीज का त्योहार शिव-पार्वती के अटूट प्रेम बंधन को दर्शाता हैं.शास्त्रों की मानें तो देवी पार्वती ने वचन दिया है कि जो भी महिला अपने पति के नाम पर इस दिन व्रत रखेगी, वह उसके पति को लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद प्रदान करेंगी.

शिव और पार्वती की कथा

धर्म शास्त्र के अनुसार पर्वतराज की पुत्री पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी लेकिन पिता पर्वतराज अपनी बेटी का विवाह भगवान विष्णु से करना चाहते थे. इसी से दुखी होकर पार्वती घर छोड़कर चली गयी. जंगल में पार्वती ने एक गुफा में जाकर शिव को पाने के लिए कठोर तप किया. कठोर तप के कारण भगवान शिव प्रसन्न हुए और पार्वती को वरदान मांगने को कहा. पार्वती ने उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा. उस समय से हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाता रहा है. भगवान शिव ने पार्वती को वरदान देते हुए कहा था कि भाद्र पद शुक्ल तृतीया को तीज का पूजन करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी. भगवान शिव और मां पार्वती की कथा सुनने का भी विधान है.

सोलह ऋंगार कर सुहागिनें रखती हैं व्रत

तीज पर्व पर सुहागिनें सोलह ऋंगार कर व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी जरूर लगाती हैं. तीज पर हाथों में मेहंदी लगाना महिलाएं काफी शुभ मानती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ युवतियां भी हाथों में मेहंदी लगाती हैं.

हरितालिका तीज की पूजन सामग्री

गीली मिट्टी या बालू (रेत), बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल, आंकड़े का फूल, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र व सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते आदि. पार्वती मॉ के लिए सुहाग सामग्री- मेंहदी, चूड़ी, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग आदि. श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध, शहद व गंगाजल पंचामृत के लिए. इसके साथ ही घर में बनाये गये शुद्ध प्रसाद.

हरितालिका तीज की विधि

हरितालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है. इस दिन शंकर-पार्वती की बालू या मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है. घर को स्वच्छ करके तोरण-मंडप आदि सजाया जाता है. एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती व उनकी सखी की आकृति बनायें. तत्पश्चात देवताओं का आवाहन कर षोडशोपचार पूजन करें.

व्रत कथा

एक बार पार्वती ने हिमालय पर गंगा किनारे 12 वर्ष की आयु में कठोर तप किया. वे शिव जी को अपने पति के रूप में पाना चाहती थीं. उनके व्रत के उद्देश्य से अपरिचित उनके पिता गिरिराज अपनी बेटी को कष्ट में देखकर बहुत दुखी हुए. ऐसे समय में एक दिन स्वयं नारद मुनि ने आकर गिरिराज से कहा कि आपकी बेटी के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं. उनकी बात सुनकर पार्वती के पिता ने बहुत ही प्रसन्न होकर अपनी सहमति दे दी. उधर, नारद मुनि ने भगवान विष्णु से जाकर कहा कि गिरिराज अपनी बेटी का विवाह आपसे करना चाहते हैं. श्री विष्णु ने भी विवाह के लिए अपनी सहमति दे दी.

नारद जी के जाने के बाद गिरिराज ने अपनी पुत्री को यह शुभ समाचार सुनाया कि उनका विवाह श्री विष्णु के साथ तय कर दिया गया है. उनकी बात सुनकर पार्वती जोर-जोर से विलाप करने लगीं. यह देखकर उनकी प्रिय सखी ने विलाप का कारण जानना चाहा. पार्वती ने बताया की वे तो शिवजी को अपना पति मान चुकी हैं और पिताजी उनका विवाह श्री विष्णु से तय कर चुके हैं. पार्वती ने अपनी सखी से कहा कि वह उनकी सहायता करे, उन्हें किसी गोपनीय स्थान पर छुपा दे अन्यथा वे अपने प्राण त्याग देंगी. पार्वती की बात मान कर सखी उनका हरण कर घने वन में ले गयी और एक गुफा में उन्हें छुपा दिया. वहां एकांतवास में पार्वती ने और भी अधिक कठोरता से भगवान शिव का ध्यान करना प्रारंभ कर दिया.

इसी बीच भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र में पार्वती ने रेत का शिवलिंग बनाया और निर्जला, निराहार रहकर, रात्रि जागरण कर व्रत किया. उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने साक्षात दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा. पार्वती ने उन्हें अपने पति रूप में मांग लिया. शिव जी वरदान देकर वापस कैलाश पर्वत चले गये. इसके बाद पार्वती जी अपने गोपनीय स्थान से बाहर निकलीं. उनके पिता बेटी के घर से चले जाने के बाद से बहुत दुखी थे. वे भगवान विष्णु को विवाह का वचन दे चुके थे और उनकी बेटी ही घर में नहीं थी. चारों ओर पार्वती की खोज चल रही थी.

पार्वती ने व्रत संपन्न होने के बाद समस्त पूजन सामग्री और शिवलिंग को गंगा नदी में प्रवाहित किया और अपनी सखी के साथ व्रत का पारण किया. तभी गिरिराज उन्हें ढूंढते हुए वहां पहुंच गये. उन्होंने पार्वती से घर त्यागने का कारण पूछा. पार्वती ने बताया कि मैं शिवजी को अपना पति स्वीकार चुकी हूं और आप श्री विष्णु से मेरा विवाह कर रहे हैं. यदि आप शिवजी से मेरा विवाह करेंगे, तभी मैं आपके साथ घर चलूंगी. पिता गिरिराज ने पार्वती का हठ स्वीकार कर लिया और धूमधाम से उनका विवाह शिवजी के साथ संपन्न कराया.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें