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गुजरात हार्इकोर्ट ने नेता-अपराधी गठजोड़ पर लगायी फटकार, कहा-कैदियों की रिहार्इ के लिए न करें सिफारिश

अहमदाबादः राजनेताआें आैर अपराधियों के बीच आपसी गठजोड़ आैर अपराधियों को संरक्षण देने के लिए न्यायपालिका के कामों में दखल देने को लेकर गुजरात हार्इकोर्ट ने जनप्रतिनिधियों को जमकर फटकार लगायी है. कैदियों की जमानत के लिए जन प्रतनिधियों के सिफारशी पत्र जारी करने की परिपाटी पर गुजरात हार्इकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि […]

अहमदाबादः राजनेताआें आैर अपराधियों के बीच आपसी गठजोड़ आैर अपराधियों को संरक्षण देने के लिए न्यायपालिका के कामों में दखल देने को लेकर गुजरात हार्इकोर्ट ने जनप्रतिनिधियों को जमकर फटकार लगायी है. कैदियों की जमानत के लिए जन प्रतनिधियों के सिफारशी पत्र जारी करने की परिपाटी पर गुजरात हार्इकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि यह न्यायपालिका को प्रभावित करने की कोशिश जैसा है. न्यायालय ने कहा कि यह एक आम परिपाटी है और यह निर्वाचित लोगों तथा कैदियों के बीच सीधी सांठगांठ को जाहिर करता है.

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न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी और न्यायमूर्ति एजे शास्त्री ने अपने आदेश में कहा कि यह अदालत के न्यायिक कामकाज में सीधा हस्तक्षेप है. अदालत को किसी निर्वाचित व्यक्ति से अपने न्यायिक कार्यों को करने के लिए सिफारिश की जरूरत नहीं है. आदेश में कहा गया है कि साथ ही, यह इस तरह के निर्वाचित जन प्रतनिधियों और दोषी लोगों के बीच एक सीधी सांठगांठ का खुलासा करता है. अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह कहा.

मार्च में नेता-अपराध गठजोड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा था जवाब

गौरतलब है कि इसी साल 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपराधियों को चुनाव लड़ने से आजीवन प्रतिबंधित करने के मामले में सरकार से जवाब मांगा था. अदालत ने सरकार को हलफनामा दाखिल करके जवाब देने के लिए 7 दिन का वक्त दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किसी भी अपराध में दोषी पाये गये लोगों पर चुनाव लड़ने के लिए आजीवन प्रतिबंध क्यों न लगाया जाए?

अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने पर अभी छह साल तक रोक लगाने का है प्रावधान

बता दें कि अभी अदालत द्वारा दोषी ठहराये गये लोगों पर चुनाव लड़ने की यह रोक केवल 6 साल के लिए है. इसी व्यवस्था को चुनौती देते सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक याचिका दाखिल करके दोषियों पर आजीवन प्रतिबंध की मांग की थी. उपाध्याय ने इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों, सरकारी कर्मचारियों और न्यायपालिका के सदस्यों से जुड़े आपराधिक मुकदमों को एक साल में निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन की मांग भी की है.

न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता आैर उम्र भी रखते हैं मायने

इन दोनों मांगों पर चुनाव आयोग ने मार्च में ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके अपनी सहमति दर्ज करा दी है. आयोग का मानना है कि राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है. हालांकि, चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा तय करने की मांग पर आयोग ने कहा कि यह मुद्दा कानूनी दायरे में आता है और इसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता हो.

दो साल की सजा पाने वाले को आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक की मांग

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर पहले ही बता चुका है कि उन सांसदों और विधायकों को जिन्हें दो या दो से अधिक साल की सजा दी गयी है, उसका चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाये. सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों को आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग करनेवाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कहा कि वो याचिकाकर्ता की सभी बातों से सहमत है.

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