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मणिपुर हिंसा में आठ लोगों की मौत, जानिये आखिर क्या है इस हिंसा का कारण?

चूड़ाचंदपुर:मणिपुर के चूड़ाचंदपुर जिले में आगजनी और झड़प में आठ लोगों की मौत हो गयी. इस हिंसा में नेता और विधायको के घर को भी निशाना बनाया गया था. हिंसा को भड़कता देख वहां कर्फ्यू लगा दिया गया. आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि मणिपुर में इतनी हिंसा भड़क गयी लोग इतने नाराज हो गये […]

चूड़ाचंदपुर:मणिपुर के चूड़ाचंदपुर जिले में आगजनी और झड़प में आठ लोगों की मौत हो गयी. इस हिंसा में नेता और विधायको के घर को भी निशाना बनाया गया था. हिंसा को भड़कता देख वहां कर्फ्यू लगा दिया गया. आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि मणिपुर में इतनी हिंसा भड़क गयी लोग इतने नाराज हो गये कि विधायक और नेताओं के घर को आग के हवाले कर दिया. आइये समझने की कोशिश करते हैं क्या है इस हिंसा के पीछे का सच.

आखिर क्यों भड़की मणीपुर में हिंसा
मणिपुर में तीन विधेयक पास किये गये. जनता इन विधयकों से इतनी नाराज हुई कि उनकी नाराजगी सड़क पर हिंसा के रूप में कहर बरपाने लगी. इन विधयकों से स्थानीय लोग, आदिवासी और छात्र भी काफी नाराज हुए. इन्हें लगने लगा कि इन विधयकों के दम पर उनकी जमीन और उनका घर उनके हाथ से छिनने की कोशिश की जा रही है. आदिवासी छात्रों ने भी इन विधयको के विरोध में बंद का आह्वान किया. छात्रों का उग्र प्रदर्शन सड़क पर नजर आया और अंतत: शहर में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया.
कौन और कैसे विधेयक हुए पास
जो तीन विवादस्पद विधेयक पास हुए उनमें मणिपुर जन संरक्षक विधेयक 2015, मणिपुर भू राजस्व औऱ भूमि सुधार को सातवें संशोधन के साथ पास किया गया ,तो मणिपुर दुकान एवं प्रतिष्ठान को दूसरे संशोधन के साथ. इन विधयकों में कई ऐसे पेंच है जिससे लोगों को लगा कि अब उनकी जीविका और कामकाज पर इनका असर पड़ेगा. इसमें वैसे लोग जो 1951 से पहले से रह रहे हैं उनका अधिकार उनकी जमीन पर होगा इसके बाद के लोगों का संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा उलटा उन्हें यहां से जाने के लिए कहा जा सकता है.
बाहर के लोग हड़प रहे हैं नौकरी
इसके अलावा आइएलपी( नर लाइन परमिट ) पास को लेकर भी विवाद जारी है. इसके तहत अगर आपके पास यह विशेष पास है तो ही आप नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में प्रवेश कर सकते है. मणिपुर में आइएलपी लागू करने की मांग 1980 में उठी थी और इसे लेकर अभी भी आंदोलन जारी है. यहां कई लोगों की मांग है कि समय रहते यहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर नियंत्रण नहीं रखा गया. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए था. बगल के राज्य नागालैंड में बाहरी लोगों के प्रवेश को लेकर सख्त नियम है. यहां की सरकार को भी इस पर ध्यान देना चाहिए था.
दो समूहों के लोगों कीअलगअलग मांग
मणिपुर के बहुसंख्य मितई समुदाय ने इन नये नियमों की मांग की थी. जबकि आदिवासी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस नये कानून से उनकी हानि होगी. भले ही बाहर से आये लोग यहां जमीन और नौकरी पर कब्जा नहीं कर पायेंगे, लेकिन आदिवासी समुदाय को भी इस कानून का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. आपसी विरोध के कारण भी मणिपुर में जारी हिंसा की एक वजह है.
क्या कहती है केंद्र सरकार
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजेजूने इस हिंसा पर अफसोस जताया औऱ कहा कि लोगों ने पारित हुए विधयकों को ठीक से समझा नहीं और हिंसा भड़क उठी. कुछ लोग इस तरह के हिंसा को बढ़ावा देकर अपना राजनीति हित साध रहे हैं जो ठीक नहीं है. लोगों को विधयकों को अच्छी तरह समझना चाहिए. केंद्र सरकार लगातार स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं.

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