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महिलाएं ससुराल से ज्यादा सुरक्षित बाहर: अदालत

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि शादीशुदा महिलाएं ससुराल से ज्यादा सुरक्षित घर से बाहर हैं.अदालत ने सोमवार को पत्नी की हत्या के आरोपी युवक की आजीवन कारावास की सजा को सही बताया. युवक ने 2011 में अपनी पत्नी की हत्या की थी. प्रदीप द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीशों […]

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि शादीशुदा महिलाएं ससुराल से ज्यादा सुरक्षित घर से बाहर हैं.अदालत ने सोमवार को पत्नी की हत्या के आरोपी युवक की आजीवन कारावास की सजा को सही बताया. युवक ने 2011 में अपनी पत्नी की हत्या की थी.

प्रदीप द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीशों की पीठ प्रदीप नंदराजोग और मुक्ता गुप्ता ने यह फैसला सुनाया. इससे पहले प्रदीप को अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में निचली अदालत में दोषी पाया गया था. अदालत ने कहा कि युवक हत्या वाली जगह से फरार हो गया था जिससे वह दोषी साबित होता है.
अदालत के मुताबिक यदि किसी विवाहिता की पति की उपस्थिति में ससुराल में हत्या हो जाती है तो यह जिम्मेदारी पति की बनती है. कानूनन पति को यह बताना पड़ता है कि पत्नी की हत्या कैसै हुई. यदि वह पत्नी की हत्या का कारण नहीं बता पाता है तो पति को ही आरोपी मानकर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
भारत में अपराध पर गौर किया जाए हर दसवीं हत्या पति द्वारा या ससुराल वालों द्वारा की जाती है. महिलाओं के साथ घर से बाहर होने वाले अपराधों पर अदालत ने कहा कि दस में से नौ हत्या घर से बाहर होती हैं जिसमें कि पुरुष दोषी होते हैं. इससे साबित होता है कि शादीशुदा महिला ससुराल से ज्यादा बाहर सुरक्षित है.
प्रदीप ने निचली अदालत के फैसले को चुनौति देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखाटाया था. युवक का कहना था कि वह पत्नी की हत्या के समय वहां उपस्थित नहीं था उसे फंसाया गया है.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक उसे 15 मई 2011 को जानकारी मिली थी कि कि युवक ने नयी दिल्ली के नजफगढ़ रोड में स्थित घर में हथियार से अपनी पत्नी की हत्या कर दी है.

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