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पढ़िए टाउनहॉल संबोधन में बराक ओबामा का पूरा भाषण : परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व हम चाहते हैं

नयी दिल्ली : दक्षिण चीन सागर में चीन के बढते प्रभाव की पृष्ठभूमि में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज कहा कि एशिया प्रशांत सागर में नौवहन की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए और साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र में भारत की वृहद भूमिका का स्वागत किया. सिरीफोर्ट आडिटोरियम में ‘टाउनहॉल’ संबोधन में ओबामा ने कहा, […]

नयी दिल्ली : दक्षिण चीन सागर में चीन के बढते प्रभाव की पृष्ठभूमि में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज कहा कि एशिया प्रशांत सागर में नौवहन की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए और साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र में भारत की वृहद भूमिका का स्वागत किया. सिरीफोर्ट आडिटोरियम में ‘टाउनहॉल’ संबोधन में ओबामा ने कहा, ‘‘ अमेरिका एशिया प्रशांत में भारत की वृहद भूमिका का स्वागत करता है, जहां नौवहन की स्वतंत्रता आवश्यक रूप से बनाये रखना है और वहां विवादों का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से किया जाए.’’ ओबामा ने कहा कि अगर दोनों देश ‘‘सच्चे वैश्विक पार्टनर’ बनना चाहते हैं तो उन्हें वैश्विक स्तर पर और बहुत कुछ करना होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने के लिए 20वीं सदी में सृजित बहु स्तरीय संस्थानों का उन्नयन 21वीं सदी के लिए किया जाना चाहिए. अत: मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन करता हूं जिसमें भारत एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल हो.’’ अपनी तीन दिवसीय भारत यात्र के समापन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देश अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और करीबी पार्टनर बन सकते हैं.
उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद के दंश को देखा है. ओबामा ने कहा, ‘‘ हम अपनी जनता की रक्षा के लिए एकजुट खड़े हैं. अब हम नयी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपने रक्षा सहयोग को और गहरा बना रहे हैं.’’ परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व का आह्वान करते हुए ओबामा ने कहा, ‘‘ विश्व जैसा है, उसे हम स्वीकार करते हैं, लेकिन विश्व कैसा होना चाहिए, उसके लिए किये जा रहे कार्य को हमें कभी बंद नहीं करना चाहिए. यानी परमाणु हथियार से मुक्त विश्व. यह हम सब का लक्ष्य होना चाहिए.’’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ताकत के साथ जिम्मेदारी भी आती है और इस क्षेत्र में भारत एक सकारात्मक भूमिका निभा सकता है और अन्य देशों के बेहतर भविष्य बनाने में मदद कर सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘ बर्मा से लेकर श्रीलंका तक लोकतंत्र की एक नयी उम्मीद बनी है. चुनाव में आप अपने अनुभवों से इस मामले में दूसरे देशों की मदद कर सकते हैं.’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान एवं मेडिसिन के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता से भारत बीमारियों से लड़ने तथा रोक सकने योग्य बीमारियों से बच्चों को बचाने के लिए टीकों को विकासित करने में विश्व में बड़ा योगदान कर सकता है.
उन्होंने कहा कि मानव तस्करी के खिलाफ हम एक होकर आधुनिक युग में दासता के अभिशाप को समाप्त कर सकते हैं. ओबामा ने कहा कि वैश्विक पार्टनर होने का मतलब है जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों का मिलकर मुकाबला करना.
भारत और अमेरिका स्वाभाविक साङोदार ही नहीं, सर्वश्रेष्ठ साङोदार
भारत और अमेरिका को सिर्फ स्वाभाविक साङोदार ही नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ साङोदार बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज कहा कि अमेरिका प्रौद्योगिकी, स्वच्छ बिजली, उपग्रह, किसानों की भलाई, बच्चों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के साथ कारोबार, आधारभूत संरचना, स्मार्ट सिटी, बंदरगाह, हवाई अड्डे के विकास में ‘करीबी पार्टनर’ बनाना चाहता है. सिरीफोर्ट आडिटोरियम में ‘टाउनहॉल संबोधन’ में ओबामा ने कहा कि भारत और अमेरिका सिर्फ स्वाभाविक साङोदार ही नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ साङोदार हैं.
ओबामा ने कहा कि अमेरिका प्रौद्योगिकी, बिजली, उपग्रह, किसानों की भलाई, बच्चों को स्वच्छ पेयजल एवं हवा मुहैया कराने के साथ कारोबार, आधारभूत संरचना, स्मार्ट सिटी, बंदरगाह, हवाई अड्डे के विकास में ‘करीबी पार्टनर’ बनाना चाहता है. ओबामा ने कहा कि अगर हम अपने लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करते हैं, तब हम दुनिया को सुरक्षित स्थान बना सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ हम प्रौद्योगिकी, डाटा, उपग्रह के क्षेत्र में सहयोग कर आपके पार्टनर बनना चाहते हैं. असैन्य परमाणु करार में अभी-अभी महत्वपूर्ण ‘ब्रेकथ्रू’ मिला जिससे भारत में स्वच्छ बिजली मुहैया कराने में मदद मिलेगी. हमें जिवाश्म ईधन पर अपनी निर्भरता को कम करना होगा. हम किसानों को मशीनी उपकरण उपलब्ध कराने में सहयोग करना चाहते हैं. ’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षो में भारत ने सबसे अधिक संख्या में लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है. हम इस क्षेत्र में भी सहयोग करना चाहते हैं. अमेरिका, भारत के साथ लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में सहयोग करना चाहता है. ‘‘ हमने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और गहरा बनाने का काम किया है. हम चाहते हैं कि दुनिया परमाणु हथियारों से मुक्त हो. यह हमारा लक्ष्य होना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि मानव तस्करी के खिलाफ हम एक होकर आधुनिक युग की दासता के अभिशाप को समाप्त कर सकते हैं.
शिक्षा, समान अवसर से चाय वाला पीएम, रसोइए का पोता राष्ट्रपति बन सकता है
शिक्षा, विविधता और समान अवसर के महत्व पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज यहां कहा कि इससे एक चाय बेचने वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है और एक रसोइए का पोता राष्ट्रपति बन सकता है.
ओबामा ने कहा, ‘‘ एक सामान्य व्यक्ति के सपने भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने हमारे. एक सामान्य व्यक्ति को सपने देखने और उसे हासिल करने का अधिकार है. सामान्य बच्ची को भी वही शिक्षा पाने का अधिकार है जो साशा (उनकी पुत्री) को है. चाहे अमेरिका हो, भारत हो या कोई भी देश हो, सभी के लिए शिक्षा जरूरी है. ’’ उन्होंने कहा कि हमारे और आपके संविधान में सभी को समान बताया गया है. हमारे घरों में काम करने वाले और सामान्य लोगों के सपने भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितने हमारे.’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा और समान अवसर से एक चाय बेचने वाला (नरेंद्र मोदी) प्रधानमंत्री बन सकता है और एक रसोइए का पोता राष्ट्रपति (बराक ओबामा) बन सकता है.’’ उन्होंने कहा कि हम सबसे अधिक मजबूत तब बनते हैं जब प्रत्येक मनुष्य को सम्मान से देखते हैं. भारत में काफी संख्या में भाषाएं और बोलियां बोली जाती है और कई धर्मो को मानने वाले हैं. उसी तरह से अमेरिका में काले, गोरे, लातिन, लातिन अमेरिकी आदि हैं. उन्होंने कहा कि हमारे दोनों देशों में लोगों के सम्मान और समानता का संकल्प व्यक्त किया गया है.
ओबामा ने कहा, ‘‘ यह भी सच है कि अमेरिका जैसे देश अगर उत्सर्जन में कटौती करते हैं, लेकिन भारत जैसे तेजी से वृद्धि करते और बढती ऊर्जा जरूरतों वाले देश स्वच्छ ईंधन को नहीं अपनाते हैं, तब हम जलवायु परिवर्तन का मुकाबला नहीं कर पाएंगे.’’ उन्होंने भारत के अधिक स्वच्छ ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का स्वागत किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में हम आपके साथ सहयोग करना जारी रखेंगे, ताकि आपको अकेले इसका भार वहन नहीं करना पड़े. ऐसे समय में जब हम जलवायु परिवर्तन पर मजबूत वैश्विक समझौते पर काम कर रहे हैं, ऐसे में युवा लोगों को इस बारे में बोलना चाहिए ताकि हम अपनी पीढियों के लिए पृथ्वी को सुरक्षित बना सकें.’’ इस दिशा में उन्होंने असैन्य परमाणु करार पर ‘ब्रेकथ्रू’ का जिक्र करते हुए कहा कि इसका अर्थ भारतीयों के लिए अधिक मात्र में विश्वसनीय और स्वच्छ बिजली है. उन्होंने कहा कि देशों को सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना चाहिए.

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