उन्होंने एसकेएमसीएच सहित अन्य सरकारी अस्पतालों से दवाओं की सैंपलिंग कर जांच के लिए पटना के बिहार ड्रग कंट्रोल लेबोरेटरी में भेजा था. लेकिन वहां से यह लिख कर दवाएं लौटा दी गयीं कि यहां जांच की व्यवस्स्था नहीं है. ड्रग इंस्पेक्टर ने विभाग के प्रधान सचिव का हवाला देेते हुए राज्य आषधि नियंत्रक को पत्र लिख कर दिशा-निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने पूछा है कि इन दवाओं को किस प्रयोगशाला में भेजा जाये.
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जांच की व्यवस्था नहीं पटना से लौटीं 16 दवाएं
मुजफ्फरपुर: सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता जांच का प्रावधान है. लेकिन उसकी जांच की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है. नतीजा सरकारी दवाओं की सैपलिंग तो की जाती है, लेकिन उसकी जांच नहीं होती. इसका खुलासा ड्रग इंस्पेक्टर नीलम कुमारी के पत्र से हुआ है. उन्होंने एसकेएमसीएच सहित […]
मुजफ्फरपुर: सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता जांच का प्रावधान है. लेकिन उसकी जांच की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है. नतीजा सरकारी दवाओं की सैपलिंग तो की जाती है, लेकिन उसकी जांच नहीं होती. इसका खुलासा ड्रग इंस्पेक्टर नीलम कुमारी के पत्र से हुआ है.
उन्होंने एसकेएमसीएच सहित अन्य सरकारी अस्पतालों से दवाओं की सैंपलिंग कर जांच के लिए पटना के बिहार ड्रग कंट्रोल लेबोरेटरी में भेजा था. लेकिन वहां से यह लिख कर दवाएं लौटा दी गयीं कि यहां जांच की व्यवस्स्था नहीं है. ड्रग इंस्पेक्टर ने विभाग के प्रधान सचिव का हवाला देेते हुए राज्य आषधि नियंत्रक को पत्र लिख कर दिशा-निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने पूछा है कि इन दवाओं को किस प्रयोगशाला में भेजा जाये.
वापस आयी 16 तरह की दवाएं : ड्रग इंंस्पेक्टर की ओर से जांच के लिए 16 तरह की दवाएं भेजी गयी थीं, जो बिना किसी जांच के लौटा दी गयी हैं. इन दवाओं में क्लेवेम 625, नामसिन नोजल ड्रॉप, अमिकासीन इंजेक्क्शन, केडी रौक्सन, लिजापिप 4 एमजी, फोटाक्सिम
सहित कई दवाएं थीं.
राज्य औषधि नियंत्रक के नाम ड्रग इंस्पेक्टर की लिखी पत्र की कॉपी मिली है. दवाओं की गुणवत्ता की जांच का प्रावधान है, लेकिन पटना में जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण समस्या हो रही है. मुख्यालय से जैसा निर्देश होगा, जांच की प्रक्रिया पूरी करायी जायेगी.
डॉ ललिता सिंह, सिविल सर्जन
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