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रजवाड़ा में बूढ़ी गंडक का बांध टूटा

शहर पर खतरा! . खाली कराये गये आसपास के घर, ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे ग्रामीण, पहुंचे डीएम-एसएसपी रजवाड़ा में बांध टूटने से दहशत फैल गयी है.मुशहरी से लगे शहर के पूर्वी-दक्षिणी इलाके पर भी खतरा बताया जा रहा है. सकरा, मुरौल के लोगों में भी बांध टूटने को लेकर दहशत है. अिधकारी इस […]

शहर पर खतरा! . खाली कराये गये आसपास के घर, ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे ग्रामीण, पहुंचे डीएम-एसएसपी

रजवाड़ा में बांध टूटने से दहशत फैल गयी है.मुशहरी से लगे शहर के पूर्वी-दक्षिणी इलाके पर भी खतरा बताया जा रहा है. सकरा, मुरौल के लोगों में भी बांध टूटने को लेकर दहशत है. अिधकारी इस बात को लेकर रणनीित तैयार करने में जुटे हैं िक पानी बढ़ने पर क्या िकया जायेगा?
मुजफ्फपुर : मुशहरी के रजवाड़ा गांव के पास बूढ़ी गंडक का बांध शनिवार की रात टूट गया. जहां बांध टूटा है, वहां स्लुइस गेट था. रात में लगभग 12.02 बजे बांध से पानी िनकलने लगा और देखते ही देखते पूरा गेट और उस पर बना पुल भी बह गया. आसपास के घर भी बह गये. पुल के टूटने से रजवाड़ा गांव में अफरा-तफरी मच गयी. लोग बांध की ओर भागने लगे. घरों से सामान िनकालकर बांध पर रखने लगे.
कुछ ही देर में यह सूचना पूरे इलाके में आग की तरह फैल गयी और रात एक बजे तक मौके पर सैकड़ों की भीड़ उमड़ पड़ी. सभी टूटे बांध को देखना चाहते थे. बांध से िनकलने वाला पानी तेजी से मनिका मन में भर रहा था. रात लगभग डेढ़ बजे मौके पर डीएम धर्मेंद्र िसंह व एसएसपी िववेक कुमार पहुंचे. दोनों
रजवाड़ा में बूढ़ी
अिधकािरयों ने जानकारी ली और िफर मुशहरी ब्लॉक के िलए िनकल गये. इनके साथ बीडीओ और सीओ भी थे.
मुशहरी थाना पुिलस मौके पर पहुंच चुकी थी. थाना प्रभारी िवकास कुमार आसपास के घरों से लोगों को िनकलने काे कह रहे थे. साथ ही थाना पुिलस बांध की तरफ लोगों को जाने से रोक रही थी, क्योंिक वहां लगातार कटाव हो रहा था. रात दो बजे तक बांध लगभग 40 फुट कट चुका था. पानी की तेज धार िनकल रही थी. आसपास के लोगों ने बताया िक बांध टूटने की आशंका पहले से ही थी. अिधकारी इस बात पर िवचार कर रहे हैं िक अगर मनिकामन भर जायेगा, क्या िकया जायेगा. इधर, रात दो बजे मौके पर िजले के अन्य अिधकारियों का भी पहुंचना शुरू हो गया था. डीएसपी पूर्वी भी पहुंच गये थे. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के िलए पुिलस बल भी पहुंचा.
रो रही थीं महिलाएं
रजवाड़ा गांव के िजस इलाके में बांध टूटा वहां की महिलाएं रो रही थीं, वो कह रही थीं मेरा सबकुछ खत्म हो गया. आसपास के लोगों के समझाने पर भी वो मानने को तैयार नहीं थी. इनका आरोप था िक जब पहले से जानकारी थी, तो स्लुइस गेट के मरम्मत के िलए कदम क्यों नहीं उठाये गये?
पहले से थी आशंका?
सूत्रों की मानें, तो स्लुइस गेट के पास बांध जर्जर है. इसकी जानकारी थी. इसके बाद भी इसकी ओर ध्यान नहीं िदया गया. सूत्रों का कहना था िक शुक्रवार की रात ही इसकी सूचना दी गयी थी. इसके बाद अिधकािरयों ने मौके का दौरा भी िकया था, लेिकन स्लुइस गेट को ठीक करने के कदम नहीं उठाये गये. इसको लेकर मौके पर भी चर्चा हो रही थी.
दो चौकीदारों के भरोसे था गेट
जहां पर स्लुइस गेट का बांध टूटा है. उसकी सुरक्षा के िलए दो चौकीदार लगाये गये थे. इन्हीं पर इसके सुरक्षा की िजम्मेदारी थी. रात डेढ़ बजे जब डीएम मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने जानकारी मांगी, तो मौके पर मौजूद जल संसाधन िवभाग के इंजीिनयर ने कहा िक यहां दो चौकीदारों की ड्यूटी लगी थी. उनका कहना है िक िरसाव की वजह से एक बोल्ट िस्लप कर गया था, िजसको लेने के िलए आदमी शहर भेजा था, लेिकन बोल्ट आता, उससे पहले ही बांध टूट गया.
1975 में भी टूटा था बांध
िजस स्थान पर बांध टूटा है उसी स्थान पर 1975 में भी बांध टूटा था. इस बात की चर्चा मौके पर जुटे लोग कर रहे थे. उनका कहना था िक पानी का दबाव बढ़ने के कारण ऐसा हुआ है. इससे पहले जो बांध टूटा था, तो बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. ऐसा इन लोगों का कहना था.
रात 12.02 बजे आयी तबाही, 1975 में इसी जगह टूटा था बांध
इन गांवों पर सबसे ज्यादा खतरा
रजवाड़ा मनिका बेदौलिया नरौलीगंगापुर
मुशहरी नरसिंहपुरभटौलियाप्रहलादपुर
समस्तीपुर से सटे सकरा व मुरौल प्रखंड के गांवों पर भी बढ़ा खतरा
आधी रात दबे पांव आयी तबाही
रजवाड़ा गांव में जब लोग गहरी नींद की आगोश में जा रहे थे, तभी दबे पांव पानी के रूप में तबाही आ गयी, िजसने इन लोगों की जमा पूंजी पर संकट पैदा कर िदया. इस बात को लेकर गांव की महिलाएं गमगीन िदख रही थीं. उन्हें लग रहा था िक अब क्या होगा? िजंदगी भर की जमा पूंजी से बनाया घर उन्हंी के सामने बूढ़ी गंडक नदी से िनकले पानी में समा रहा था, लेिकन वह देख कर भी कुछ नहीं कर पा रही थीं. कई महिलाएं तो दहाड़े मार कर रोने लगीं, लेिकन कुछ महिलाएं खुद को िदलासा दे रही थीं. उनका कहना था िक जो होना था, हो गया? अब क्या करना है. हमें यह सोचना है. ये अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ बांध के ऊपर बैठी हुई थीं. इनके सामने आनेवाली कल की चुनौितयों का संकट था. इनका कहना था िक हमारे बच्चों का क्या होगा? वहीं, बच्चे आसपास आ रहे लोगों को देख रहे थे. उन्हें कुछ पता नहीं था िक क्या हो रहा है. उन्हें सोते हुये नींद से क्यों उठाया गया है. अपने घर के पास लोगों की भीड़ देख कर बच्चे हैरान थे. आसपास के लोग बता रहे थे िक 1975 में बांध टूटा था, तो भी तबाही आयी थी, लेिकन अब िस्थति बदल चुकी है.

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