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दोषियों पर नहीं हो रही कार्रवाई

लापरवाही . रेलवे के वाइलेग में यात्री ट्रेनों का परिचालन फंसा गलत डायग्राम के आधार पर बनाया जा रहा है वाइलेग जमालपुर : पूर्व रेलवे के अभियंत्रण विभाग की लापरवाही के कारण जमालपुर वाइलेग से यात्री ट्रेनों के परिचालन का मामला फंस गया है. पिछले एक वर्ष पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस […]

लापरवाही . रेलवे के वाइलेग में यात्री ट्रेनों का परिचालन फंसा

गलत डायग्राम के आधार पर बनाया जा
रहा है वाइलेग
जमालपुर : पूर्व रेलवे के अभियंत्रण विभाग की लापरवाही के कारण जमालपुर वाइलेग से यात्री ट्रेनों के परिचालन का मामला फंस गया है. पिछले एक वर्ष पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मुंगेर गंगा रेल पुल का उद‍्घाटन किया था. उससे यात्री ट्रेनों का परिचालन नहीं हो पा रहा. क्योंकि रेल अभियंताओं ने भागलपुर से सीधे मुंगेर को जोड़ने वाले जिस वाइलेग का निर्माण किया उसका डायग्राम सही नहीं पाया गया और पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक ने निरीक्षण के बाद इस पर यात्री ट्रेनों के परिचालन की स्वीकृति नहीं दी.
अब पुन: वाइलेग की लंबाई बढ़ाते हुए उसके घुमाऊ को कम किया जा रहा है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर वर्तमान वाइलेग के निर्माण के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार है और उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही.
क्यों बनाया गया वाइलेग. वस्तुत: भागलपुर की ओर से आने वाली ट्रेनों को बगैर जमालपुर पहुंचे ही सीधे मुंगेर के नवनिर्मित रेल पुल होकर खगड़िया और बेगूसराय की ओर भेजे जाने के उद्देश्य से जमालपुर में वाई-लेग का निर्माण किया गया है. इससे रेलवे को दोहरे फायदे की संकल्पना की गई है. जिसमें एक तो भागलपुर की ओर से मुंगेर जाने वाली ट्रेनों को जमालपुर में इंजन बदलने की परेशानी से निजात मिलेगी. वहीं पहले से ही प्लेटफॉर्म की कमी से जूझ रहे जमालपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का दबाव नहीं बढ़ेगा.
यात्री ट्रेन का नहीं हो रहा परिचालन . मुंगेर गंगा पुल से सीधे भागलपुर या हावड़ा तक यात्री ट्रेनों का परिचालन नहीं हो रहा है. क्योंकि जमालपुर-दौलतपुर में बनाया गया वाइलेग का घुमाऊ इतना अधिक है जिससे यात्री ट्रेनों के परिचालन पर खतरा है. यूं तो निचले स्तर के अधिकारियों ने इस पर ट्रेनों के परिचालन पर हरी झंडी दे दी थी. लेकिन जब पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक ने वाइलेग का निरीक्षण किया तो अधिक घुमाऊ होने के कारण इस पर यात्री ट्रेनों के परिचालन की स्वीकृति नहीं दी और मामला उलझ गया. अब रेल प्रशासन इस वाइलेग को नये सिरे से व्यवस्थित करने की तैयारी कर रहा है.
नहीं तय हो रही जिम्मेवारी . रेलवे में अफसरशाही इस कदर हावी हो चुका है कि यात्री परेशान है और सरकार के करोड़ों रुपये का अपव्यय हो रहा. यही कारण है कि राष्ट्रीय परियोजना में शामिल मुंगेर गंगा पुल का निर्माण 2774 करोड़ की लागत से किया गया. लेकिन उस पर एक एक्सप्रेस ट्रेन तक नहीं दौड़ पा रही. लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर जिस रेल अभियंताओं की लापरवाही के कारण घुमाऊ का मामला उलझा है उसके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं हो रही. रेलवे मालगाड़ी चलाकर भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो. लेकिन यात्री ट्रेनों के परिचालन नहीं होने से आम लोग इस पुल का समुचित इस्तेमाल नहीं कर पा रहे.
माल ढुलाई तक सीमित हो गयी है उपयोगिता. मालदा के मंडल रेल प्रबधंक मोहित सिन्हा ने कहा था कि रेलवे को शुद्ध मुनाफा मालगाड़ियों के परिचालन से प्राप्त होता है. और यही कारण है कि यहां बने वाई-लेग पर प्रति दिन तीन से चार जोड़े मालगाड़ियों का परिचालन होता है. बताया गया कि मुख्य रूप से वाइलेग होकर पाकुड़, बड़हड़वा, सकरी गली तथा बाकूडीह से ये मालगाड़ी प्रतिदिन चलती है. जो गड़हड़ा, सीतामढ़ी, सीवान, महाराजगंज तथा जनकपुर रोड तक जाती है.
पूर्व में हथिदह स्थित राजेंद्र पुल के रास्ते बरौनी होकर लंबी दूरी तय कर यह माल ढुलाई का कार्य हो रहा था. परंतु अब स्टोन चिप्स ढोने वाली न केवल मालगाड़ी बल्कि कीमती सामग्रियों को लेकर कंटेनर्स ट्रेन भी इस मार्ग से धड़ाधड़ दौड़ रही है. इस प्रकार नवनिर्मित वाई-लेग भारतीय रेल के लिए कमाऊ सपूत साबित हो रहा है. परंतु इस मार्ग से यात्री ट्रेनों का परिचालन नहीं हो पाने से वाई-लेग निर्माण का औचित्य पूरा नहीं हो पा रहा है.
दोनों ओर बढ़ायी जायेगी वाइलेग की लंबाई. पूर्व में जितनी जमीन उपलब्ध हो पायी थी, उस हिसाब से वाइलेग का निर्माण कराया गया था. वर्तमान में रतनपुर रेलवे स्टेशन छोर के बड़ी आशिकपुर तथा मुंगेर छोर के दौलतपुर कॉलोनी के बीच बनाये गये वाई-लेग की कुल लंबाई 669.9 मीटर है. रतनपुर छोर के किलोमीटर संख्या 357/2 से यह आरंभ होता है. रेल मुख्यालय से प्राप्त आदेश के आलोक में इसकी वर्तमान लंबाई को दो सौ मीटर बढ़ा कर लगभग 870 मीटर कर दिया जायेगा.
कहते हैं अधिकारी . पूर्व रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर जीतेंद्र कुमार ने बताया कि मुंगेर छोर की ओर वाइलेग की लंबाई लगभग 50 मीटर एक्सटेंड किया जायेगा. जबकि रतनपुर छोर की ओर इसकी लंबाई एक से डेढ़ सौ मीटर बढ़ाया जायेगा.

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