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सीबीआइ कर सकती है डाक विभाग गबन मामले की जांच

गबन मामले की जांच के लिए पोस्टमास्टर ने की अनुशंसा डाक विभाग के सूत्रों की माने तो दो सितंबर को जांच स्थानीय स्तर पर पूरी हो गयी है, जिसमें 92 लाख रुपये का गबन का मामला सामने आया. साथ ही डाकघर के कार्यकलाप में कई स्तर पर वित्तीय लापरवाही उजागर हुई है. मुंगेर : डाक […]

गबन मामले की जांच के लिए पोस्टमास्टर ने की अनुशंसा

डाक विभाग के सूत्रों की माने तो दो सितंबर को जांच स्थानीय स्तर पर पूरी हो गयी है, जिसमें 92 लाख रुपये का गबन का मामला सामने आया. साथ ही डाकघर के कार्यकलाप में कई स्तर पर वित्तीय लापरवाही उजागर हुई है.
मुंगेर : डाक विभाग मुंगेर में हुए लगभग एक करोड़ के गबन मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) कर सकती है. इसके लिए डाक अधीक्षक मुंगेर के रिपोर्ट के आधार पर बिहार के पोस्टमास्टर जेनरल ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा की है. बताया जाता है कि जांच रिपोर्ट सीबीआइ को सौंप दिया गया है और उसके आधार पर ब्यूरो अध्ययन कर रहा कि सीबीआइ इस मामले को अपने हाथ में ले अथवा नहीं. वैसे इस मामले में गबन की पुष्टि होने के बावजूद अबतक डाक विभाग द्वारा पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी गयी है.
क्या है मामला
महिला उप डाकघर में हुए गबन मामले की जांच 28 जुलाई से प्रारंभ हुई थी. धीमी गति से हुई जांच में एक के बाद एक शाखा उप डाकघरों में गबन का मामला सामने आते चला गया. गबन के मामले की जांच के लिए डाक अधीक्षक जेपी सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया. जिसमें डाक निरीक्षक मुंगेर आर भास्कर, जमुई के सहायक डाक अधीक्षक एके मंडल, शेखपुरा के सहायक डाक अधीक्षक
आशुतोष कुमार, लखीसराय के डाक अधीक्षक नीरज कुमार चौधरी तथा सिस्टम एडमिन अमरेंद्र कुमार वर्मा को शामिल किया गया. डाक विभाग के सूत्रों की माने तो 2 सितंबर को जांच स्थानीय स्तर पर पूरी हो गयी है. जिसमें 92 लाख रुपये का गबन का मामला सामने आया. साथ ही डाकघर के कार्यकलाप में कई स्तर पर वित्तीय लापरवाही उजागर हुई.
पांच कर्मचारी हो चुके हैं निलंबित
जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में मुंगेर शहर के महिला डाकघर से गबन के मामले का खुलासा होना प्रारंभ हुआ. सबसे पहले महिला डाकघर के इंचार्ज तलत सुलताना को निलंबित किया गया. लेकिन जांच बढ़ने के साथ ही गबन के मामले में उप डाकपाल रविशंकर चौधरी एवं एके हेंब्रम को निलंबित किया. उसके बाद डाक सहायक वासुदेव ठाकुर एवं वासुदेवपुर शाखा के तत्कालीन डाक सहायक राम किशोर प्रसाद को गबन के मामले में संलिप्त पाये जाने पर निलंबित किया जा चुका है.
कहते हैं डाक अधीक्षक
डाक अधीक्षक जेपी सिंह ने बताया कि उनके स्तर से जांच रिपोर्ट को पटना मुख्यालय भेजा चुका है. जिसमें उन्होंने पूरे मामले के लिए सीबीआइ जांच की अनुशंसा 25 अक्तूबर को कर दिया है.
मामला पहुंचा सीबीआइ के पास, हो रहा अध्ययन
बताया जाता है कि उप डाक शाखाओं में गबन की राशि अधिक होने के कारण मामले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है. 25 अक्तूबर को मुंगेर के डाक अधीक्षक जेपी सिंह ने अपनी पूरी जांच रिपोर्ट के साथ अपने पटना कार्यालय को सीबीआइ जांच कराने की अनुशंसा भेजा है. जिसे पटना कार्यालय ने सीबीआइ के समक्ष प्रस्तुत किया. सूत्रों के अनुसार सीबीआइ जांच रिपोर्ट का गहन अध्ययन कर रही है कि यह जांच सीबीआइ स्तर का है अथवा नहीं. सूत्रों की माने तो एक सप्ताह में सीबीआइ अपना निर्णय देगी. इस मामले में निलंबित डाक कर्मचारियों के साथ ही कई और भी कर्मचारियों पर संदेह व्यक्त किया गया है. साथ ही निलंबित कर्मचारियों के बयान के आधार पर उस रिपोर्ट में सन्नी कुमार एवं गौतम कुमार नामक बाहरी कंप्यूटर ऑपरेटर को जांच के घेरे में रखा गया है. रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया कि बृहत जांच में गबन की राशि बढ़ भी सकती है. कैसे चल रहा था गबन का खेल : गबन के मामले के मुख्य आरोपित महिला डाकघर के इंचार्ज तहत सुलताना के यूजर आइडी के माध्यम से इस घोटाले को अंजाम दिया गया था. विभाग ने ऐसे दर्जनों खातों को सीज कर विभागीय जांच शुरू किया. जांच के दौरान पाया गया कि प्राइवेट स्तर पर रखे गये कंप्यूटर ऑपरेटर सन्नी कुमार व गौतम ने आधे दर्जन डाकघर के इंचार्ज का यूजर आइडी विश्वास में लेकर रख लिया और उसी माध्यम से सरकारी रकम को अपने निजी खातों एवं फर्जी खातों में ट्रांसफर कर जालसाजी की है. साथ ही गलत तरीके से एटीएम बनाकर भी राशि की निकासी की गयी.

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