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शराब कारोबारियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, शहर के अंदर हार्इवे को डिनोटिफार्इ कर खोली जा सकती हैं दुकानें

नयी दिल्लीः शराब कारोबारियों को राहत प्रदान करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर कोर्इ राजमार्ग शहर के बीच से होकर गुजर रहा है, तो उसे डिनोटिफार्इ करके 500 मीटर के इलाके में शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर कोर्इ राजमार्ग शहर के […]

नयी दिल्लीः शराब कारोबारियों को राहत प्रदान करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर कोर्इ राजमार्ग शहर के बीच से होकर गुजर रहा है, तो उसे डिनोटिफार्इ करके 500 मीटर के इलाके में शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर कोर्इ राजमार्ग शहर के अंदर से होकर गुजरता है आैर उसे डिनोटिफार्इ किया जाता है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है. इस संबंध में कोर्ट ने कहा कि शहर के अंदर के राजमार्ग और बिना शहर के राजमार्ग में बहुत अंतर है. राजमार्ग का मतलब जहां तेज रफ्तार में गाडि़यां चलती हों. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजमार्ग के 500 मीटर दायरे में शराब की बिक्री पर रोक के पीछे सोच यह है कि लोग शराब पीकर तेज रफ्तार में गाड़ी ना चलायें, लेकिन शहर में इस तरह की रफ्तार देखने को नहीं मिलती.

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भारत के मुख्य न्यायाधीशजगदीश सिंह खेहर ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह सवालों के जवाब दें और फिर 11 जुलाई को सुनवाई कर आदेश जारी करेंगे. दरअसल, चंडीगढ़ में हाईवे को डिनोटिफाई करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि राष्‍ट्रीय राजमार्गों और राज्यों के राजमार्ग से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए ये कदम उठाया गया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि क्या इस तरह राजमार्ग को डिनोटिफाई किया जा सकता है.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजमार्ग को डिनोटिफाई सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, ताकि शराब की दुकाने बंद न हों और राज्यों को पैसा मिल सके. बड़ी सड़कों को जिला सड़क का नाम दिया जा रहा है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के राजमार्ग पर शराबबंदी के फैसले के बाद कई राज्यों में राजमार्ग को डिनोटिफाई करने की कार्रवाई की जा रही है.

दरअसल, चंडीगढ़ में कई जगह राजमार्ग का नाम बदलकर ‘मेजर डिस्ट्रिक रोड’ का नाम कर दिया गया है. इसी को लेकर एराइव सेफ इंडिया नामक गैर-सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उसकी याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने राजमार्ग पर शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला जनहित में लिया था, क्योंकि इससे सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्‍प्रभावी करने के लिए 16 मार्च, 2017 का नोटिफिकेशन अवैध है और रद्द किया जाना चाहिए. हालांकि, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट इस याचिका को खारिज कर चुका है.

राष्‍ट्रीय राजमार्गों और राज्यों के राजमार्ग से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के मामले में 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि हाईवे पर शराब की दुकानों पर रोक जारी रहेगी. हालांकि, राजमार्ग के किनारे किसी कस्बे में 20 हजार से कम जनसंख्या वाले इलाकों में 220 मीटर तक दुकानें नहीं होंगी. राजमार्ग के किनारे बार और रेस्तरां में भी शराब नहीं बिकेगी. जिन राज्यों में शराब के लाइसेंस 15 दिसंबर से पहले दिये गये, वहां लाइसेंस 30 सितंबर तक चल जायेंगे.

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