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छोटे निवेशकों के लिए बेहतर एलोकेशन फंड

मासिक आधार पर फंड और सेक्टर में निवेश तेजी से बढ़ा है. यह तेजी तरलता आधारित है. इस समय देश में ब्याज दर नीचे है. परिणाम स्वरूप डेट और इक्विटी दोनों बाजार आकर्षक स्थिति में है. अगले दो सालों में ये सभी फैक्टर्स शॉर्ट टर्म में बेहतर रिटर्न की पूरी संभावना है. इससे प्रति शेयर […]

मासिक आधार पर फंड और सेक्टर में निवेश तेजी से बढ़ा है. यह तेजी तरलता आधारित है. इस समय देश में ब्याज दर नीचे है. परिणाम स्वरूप डेट और इक्विटी दोनों बाजार आकर्षक स्थिति में है. अगले दो सालों में ये सभी फैक्टर्स शॉर्ट टर्म में बेहतर रिटर्न की पूरी संभावना है.
इससे प्रति शेयर आय और इक्विटी पर रिटर्न में सुधार होगा, जो बाजार के ऊपर जाने के लिए एक ट्रिगर होगा. इक्विटी बाजार संभावित रूप से अगले दो-तीन सालों में ऊपर जायेगा. हालांकि इसमें उतार-चढ़ाव भी होगा, इसलिए छोटे निवेशक डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड का चयन करें.
65 से 80 प्रतिशत इक्विटी निवेश की बाध्यता
कई बार निवेश में ऐसा होता है कि अपने दिल की बात मानकर निवेश में इंट्री और एक्जिट का प्रयोग ज्यादा फायदेमंद की बजाय कम फायदेमंद या नुकसानदेह हो जाता है.
प्रमाण मिलते हैं कि लंबी अवधि में निवेश के लिए एसेट एलोकेशन का फार्मूला सटीक या बिल्कुल फिट बैठता है. बैलेंस्ड फंड में जहां हमेशा ही 65 से 80 प्रतिशत इक्विटी निवेश की बाध्यता होती है. वहीं डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड में यह सिस्टम से निर्णय होता है कि कितना प्रतिशत इक्विटी या डेट में निवेश होगा.
इस योजना में फंड मैनेजर का व्यक्तिगत आकलन, दिल या दिमाग नहीं बल्कि पूर्व निर्धारित वैल्यूएसन फार्मूले के हिसाब से निवेश होगा. इसका मतलब ये हुआ कि यदि मार्केट का वैल्युएशन उच्चतम स्तर पर हो तो इक्विटी में निवेश 0 प्रतिशत और डेब्ट में 100 प्रतिशत भी हो सकता है. इसी प्रकार वैल्यूएशन अत्यंत आकर्षक होने पर 100 प्रतिशत इक्विटी और 0 प्रतिशत डेब्ट में निवेश होगा. अत: टैक्सेशन का फायदा इस फंड में डायनामिक होगा.
चूंकि डायनेमिक अलोकेशन स्ट्रैट्जी में पूरी तरह से कठोर अनुशासनात्मकता का पालन होता है, इसलिए ऐसे फंड का रिटर्न तब बेहतरीन नहीं दिखेगा जब बाजार शिखर पर हो पर अन्य समय में इसका रिटर्न बेहतर दिख सकता है, साथ ही ऐसे निवेशक जो बहुत रिस्क नहीं लेना चाहते, कंजरवेटिव तरीके से इक्विटी निवेश का फायदा लेना चाहते हैं उनके लिए यह एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है.
ब्याज दरों के नीचे जाने की स्थिति में इक्विटी को छोड़कर शायद ही कोई ऐसा निवेश का माध्यम होगा, जो महंगाई को पछाड़कर लाभ दे सकें. रियल एस्टेट और गोल्ड में कम रिटर्न नहीं मिलने के कारण छोटे निवेशकों ने म्यूचुअल फंड और इक्विटी की ओर जाना शुरू कर दिया है.
अधिकतर छोटे निवेशक म्यूचुअल फंड और एसआइपी के जरिये इक्विटी में आ रहे हैं, जो अच्छा संकेत हैं. यही कारण है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों कर संख्या तेजी से बढ़ रही है. डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड में अगले दोल्तीन साल में अचछा रिटर्न मिलने की उम्मीद होती है.
विकास कुमार बारोलिया, बाजार के जानकार

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