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Thursday, March 28, 2024

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एक साल बाद भी सुरक्षा को लेकर नहीं हुई खास पहल

मधुबनी : बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के सुंदरपुर गांव के समीप बसैठ बस हादसे के एक साल से अधिक हो गये. पर अब तक इस हादसे के बाद सुरक्षा को लेकर कुछ भी खास नहीं किया जा सका है. तत्कालीन जिला पदाधिकारी गिरिवर दयाल सिंह के निर्देश पर एक कदम की दूरी भी तय नहीं की […]

मधुबनी : बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के सुंदरपुर गांव के समीप बसैठ बस हादसे के एक साल से अधिक हो गये. पर अब तक इस हादसे के बाद सुरक्षा को लेकर कुछ भी खास नहीं किया जा सका है. तत्कालीन जिला पदाधिकारी गिरिवर दयाल सिंह के निर्देश पर एक कदम की दूरी भी तय नहीं की जा सकी है. न तो किसी तालाब में प्रोटेक्शन वाल लगाया जा सका और न ही बस के छतों पर ही यात्रियों के बैठने का सिलसिला थमा है. जिस प्रकार की लापरवाही पहले थी वही आज भी है.

हालांकि तालाबों में प्रोटेक्शन वाल दिये जाने की बातें प्रशासनिक स्तर पर जोर शोर से होती रही. पर नतीजा शून्य ही रहा. आलम यह है कि अन्य जगहों की बात तो दूर डीएम आवास के समीप मुख्य सड़क किनारे तक के तालाब में सुरक्षा दीवाल नहीं लग सका है. ऐसे में बसैठ हादसे की कब पुनरावृत्ति हो जाये इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.

18 साल पहले भी दिया गया था निर्देश : तालाब में प्रोटेक्शन वाल निर्माण की बात कोई नयी नही है. बीते 18 साल पहले भी ऐसा निर्देश जिला प्रशासन के द्वारा जारी किया गया था. उस समय भी तालाब में ही बस के सीधे चले जाने से हादसा हुआ था. साल 1999 के 27 जनवरी को मुख्यालय स्थित चभच्चा चौक के समीप तेज गति से आ रही बस चभच्चा चौक के समीप तालाब में सीधे सीधे चली गयी. उस हादसे में भी कई यात्रियों की मौत हो गयी थी. पर आधिकारिक पुष्टि मात्र तीन लोगों की ही की गयी थी.
वह हादसा और बसैठ बस हादसा लगभग एक जैसा ही था. साल 1999 में हुए हादसे के बाद भी इस मुद्दे को लेकर कई दिनों तक बातें हुई थी. पर धीरे धीरे सब कुछ सामान्य हो गया. मधुबनी मुख्यालय स्थित मुरलीमनोहर मंदिर के समीप का तालाब की बात हो या फिर रहिका के समीप लकसायर तालाब का. कहीं भी प्रोटेक्शन वाल नहीं है. इन जगहों पर सड़क पर तीखा मोड़ भी है. सबसे खराब स्थिति बेनीपट्टी के समीप सनसायर पोखरा का है. कई फीट गहरा तालाब सड़क से सटा है. तीखा मोड़ यहां भी है.
हर वक्त खतरे की आशंका बनी रहती है. पर आज तक इस पर ना तो किसी सांसद- विधायक ने पहल की और ना ही प्रशासन ने. प्राय: हर सड़क के निर्माण के दौरान संबंधित सड़क के समीप आने वाली तालाब में रैलिंग की प्राक्कलन भी शामिल रहता है. पर सड़क निर्माण में लगे संवेदक किसी भी तालाब में रैलिंग नहीं बना रहे हैं.
परमिट की भी अनदेखी : बस के परिचालन में नियम की धज्जिया उड़ा कर बस विभिन्न रूटों पर चलायी जा रही है. परमिट किसी और जगह का होता है और बस का परिचालन किसी और जगह का. इस बात का खुलासा बीते साल बसैठ हादसा के बाद सामने आ गयी थी. पर इसके बाद से अब तक इस दिशा में भी अधिक सार्थक पहल नहीं किये गये है. न सिर्फ बसों के परिचालन में परमिट की अनदेखी की जाती है बल्कि टेंपो व मैजिक गाड़ी के परिचालन में भी परमिट की अनदेखी की बातें सामने आती रही है.
छतों पर आज भी करते हैं यात्रा : बस के परिचालन व सुरक्षित यात्रा को लेकर परिवहन विभाग या प्रशासन के द्वारा कभी कोई पहल नहीं की जाती है. यहीं कारण है कि एक तो बस में सीट से अधिक यात्रियों को बिठाया जाता है, दूसरी परमिट की अवहेलना कर के भी बसों का परिचालन किया जाता है. प्राय : हर बस में छतों पर भी बैठकर यात्रा करते हुए यात्री देखे जाते हैं. इस पर विभाग अंकुश नहीं लगा सका है. अधिकांश बसों के छत पर आज भी यात्री बैठकर सफर करते हैं.
सड़क किनारे ये तालाब हैं खतरनाक : बसैठ बस हादसा सड़क किनारे तालाब में बस के डूबने से हुई. कारण यह था कि तालाब मे करीब तीस फीट तक रैलिंग का निर्माण नहीं किया गया था. पर जिला मुख्यालय से लेकर पूरे जिले भर में दर्जनों ऐसे तालाब हैं जिसमें ना तो रैलिग है और नही सुरक्षा के कोइ अन्य इंतजाम किया गया है. ऐसे में कब एक और हादसा हो जाये यह कहा नहीं जा सकती है.
खतरनाक है अस्पताल के समीप का तालाब : मधुबनी – दरभंगा मुख्य सड़क पर अस्पताल के समीप स्थित तालाब बेहद ही खतरनाक है. सड़क के ठीक सटा हुआ. यदि थोड़ी सी भी असावधानी चालक से होती है तो बस या अन्य वाहन पल भर में गहरे पानी में समा जायेगी. इस जगह पर लोगों को साईड लेने तक में परेशानी होती है. मुख्य सड़क होने के नाते इस सड़क मार्ग से हमेशा ही छोटी बड़ी वाहनों का परिचालन होता ही रहता है.
तालाब के किनारे बन गया है स्टैंड : मुख्यालय से मालगोदाम रोड में सड़क के दोनों ओर खतरा है. एक ओर राज कैनाल है तो दूसरी ओर गहरी तालाब. इसी जगह पर अवैध रूप से वाहन लगाने का जगह लोगों ने बना लिया है. जिस कारण हमेशा ही खतरा की आशंका है. किसी भी जगह पर सुरक्षा के पहल नहीं है. इसी प्रकार मुख्यालय के गौशाला रोड के समीप मुरली मनोहर पोखर एवं बाबूसाहब का तालाब है. जो सड़क से सटा है और कई फीट नीचे है.
सड़क निर्माण विभाग को दिया गया है निर्देश : डीएम : डीएम शीर्षत कपिल अशोक बताते हैं कि सड़क निर्माण विभाग को विशेष तौर पर निर्देश दिया गया है कि जब कहीं सड़क का निर्माण या मरम्मति का काम होता है तो उसमें तालाब के प्रोटेक्शन वाल का प्राक्कलन शामिल करें. कहा है कि सरकार से भी इस मामले को लेकर पूर्व में ही बातें की गयी है. तालाबों में प्रोटेक्शन वाल के निर्माण को लेकर प्रशासन गंभीर है.
एक साल पहले हुई दुर्घटना में गयी थी 23 लोगों की जान
बसैठ में बीते साल 19 सितंबर को उस समय भयानक हादसा हो गया और पल भर में 23 लोगों की जान चली गयी जब मधुबनी से सीतामढी जा रही यात्रियों से भरी सागर ट्रैवल्स नामक बस एक तालाब में पलट गयी. बस पूरी तरह से यात्रियों से खचाखच भरी हुई थी. सागर ट्रैवल्स नामक बस मधुबनी से सीतामढी के लिये खुली. फिर बेनीपट्टी में भी यात्रियों को बस में बिठाया गया. बस जैसे ही सुंदरपुर गांव के समीप पहुंची एक साईकिल सवार को बचाने के चक्कर में बस चालक का नियंत्रण समाप्त हो गया. जिससे बस सड़क से करीब पचास फीट नीचे एक तालाब में बस जा पलटी. इस हादसे का मुख्य कारण तालाब में प्रोटेक्शन वाल का नहीं होना था. दुर्घटना के बाद तत्कालीन जिला पदाधिकारी गिरिवर दयाल सिंह ने आनन फानन मे सड़क निर्माण विभाग को जिले के सभी तालाबों के किनारे सड़क बनाते समय प्रोटेक्शन वाल बनाने एवं पूर्व में बने सड़क किनारे के तालाब में भी प्रोटेक्शन वाल निर्माण के लिये सरकार से अधियाचना की थी. पर यह आज तक कागज पर ही सिमट कर रह गया है. कहीं भी निर्देश पर अमल नहीं हो सका.
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