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मुख्य द्वार व सड़क जाम कर की नारेबाजी

विरोध . नियोजन अभ्यर्थियों का गुस्सा फूटा, जिप कार्यालय को घेरा मधेपुरा : सोमवार को दिन के ग्यारह बजे से जिला परिषद के मुख्य द्वार समेत मेन रोड को जाम कर उच्च मेधा अंक रहने के बावजूद प्रक्रिया से वंचित रहे अभ्यर्थियों ने सड़क जाम किया. उनके द्वारा जोरदार प्रदर्शन कर आरोप लगाया गया कि […]

विरोध . नियोजन अभ्यर्थियों का गुस्सा फूटा, जिप कार्यालय को घेरा

मधेपुरा : सोमवार को दिन के ग्यारह बजे से जिला परिषद के मुख्य द्वार समेत मेन रोड को जाम कर उच्च मेधा अंक रहने के बावजूद प्रक्रिया से वंचित रहे अभ्यर्थियों ने सड़क जाम किया. उनके द्वारा जोरदार प्रदर्शन कर आरोप लगाया गया कि 26 मार्च के दोपहर तक जिला परिषद के सूचना पट् पर नियोजन प्रक्रिया को स्थगित करने के आशय का नोटिस चिपका रहा. लेकिन 25 मार्च के शाम से रात शिक्षक नियोजन के लिए सहमति पत्र लिया जा रहा था. इस बाबत दर्जनों अभ्यर्थियों ने कहा कि नोटिस की वजह से वे जिला परिषद नहीं पहुंचे. खास बात यह है कि यह नोटिस एनआइसी और जिला परिषद के वेबसाइट पर भी शनिवार की शाम छह बजे तक दिख रहा था. हालांकि आक्रोशित छात्रों को जब जिला परिषद द्वारा 25 मार्च के नियोजन प्रक्रिया को रद्द करने संबंधी पत्र उपलब्ध कराने के बाद छात्रों ने रोड जाम समाप्त किया.
पूर्व में मांगा था मार्गदर्शन, तत्काल किया था नियोजन स्थगित : जिला परिषद सभागार में 23 मार्च को शिक्षकों के नियोजन हेतु अनुमोदन की बैठक के दौरान जिप अध्यक्षा मंजू देवी द्वारा जिला परिषद द्वारा निकाले गये 259 पद पर शिक्षा विभाग से पद सृजन कराने की बात कही गयी. इसके बाद जिप के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा अध्यक्ष के सुझाव के आलोक में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को निदेश देकर शिक्षा विभाग से इस संबंध में शीघ्र पत्राचार एवं विशेष दूत को प्रतिनियुक्त कर विभागीय बैठक में शामिल होकर पद सृजन कराकर तत्संबंधी पत्र प्राप्त कर उपलब्ध कराने कहा गया. ताकि नियोजन की कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जा सके. इसके बाद जिला परिषद समेत एनआइसी के वेबसाइट पर सूचना डालते हुए नियोजन की कार्रवाई को तत्काल स्थगित बताया गया. शनिवार शाम पांच बजे अचानक जिला परिषद कार्यालय हरकत में आया. तत्काल शिक्षक नियोजन के अभ्यर्थियों को सहमति पत्र देने कहा जाने लगा. जो वहां उपलब्ध थे वे सहमति पत्र देने में जुट गये. यह सिलसिला रात के लगभग दस बजे तक जारी रहा. जबकि कई अभ्यर्थी के परिजन इस बात के लिए परेशान रहे कि उनके संबंधी यहां से दूर है. नोटिस की वजह से वे नहीं आ सके है. मेधा सूची में उच्च स्थान होने के बावजूद वे वंचित रह जायेंगे. इसके विरोध में अभ्यर्थियों का हुजूम सोमवार को जुट गया.
नियोजन की तिथि निर्धारण के लिए निदेशक को भेजा पत्र : जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह डीडीसी मिथिलेश कुमार द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवशंकर राय के पत्र के आधार पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा को पत्र भेजकर नियोजन हेतु नयी तिथि निर्धारित करने की मांग की गयी. ताकि मेधा सूची में उच्च मेधा अंक के अभ्यर्थियों का चयन किया जा सके. जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अपने पत्र में स्पष्ट किया गया था कि तकनीकी कारण से व्यापक प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण कम प्रतिभागी उपस्थित हुये. ऐसी स्थिति में उपस्थित अभ्यर्थियों में से चयन करना अभ्यर्थियों के साथ नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध होगा. इसके बाद रविवार के देर शाम ही मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेज कर नयी तिथि निर्धारण की मांग की.
अभ्यर्थियों ने कहा, उच्च मेधा अंक रहने के बावजूद िनयोजन प्रक्रिया से रहे वंचित, जिला परिषद के नोटिस से थी ऊहापोह की स्थिति
25 मार्च के नियोजन को रद्द करते हुए नयी तिथि के लिए निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजा गया पत्र
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध बताते हुए की थी नियोजन रद्द करने की अनुशंसा
रिक्तियां कम करने के विरुद्ध उच्च न्यायालय जा चुके हैं अभ्यर्थी
जिला परिषद द्वारा 259 पद के आधार पर काउंसिलिंग एवं प्रमाण पत्र जांच के बाद अचानक रिक्ति घटा कर 119 कर देने के विरुद्ध अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय का भी रूख कर लिया है. इस बाबत अमृता कुमारी ने उच्च न्यायालय में पीटिशन दायर किया है. अमृता कुमारी द्वारा बताया गया शीघ्र ही न्यायालय उनके मामले की सुनवाई करेंगी. इस विषय में अमृता कुमारी ने कहा कि विज्ञापित पद अचानक कम करना न्याय संगत नहीं है.

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