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पशु चिकित्सालय है अवहेलना का शिकार, नहीं रहते कर्मचारी

शंकरपुर : प्रखंड क्षेत्र के बेहरारी पंचायत के पंचायत भवन में संचालित पशु चिकित्सालय वर्षों से शोभा की वस्तु बना हुआ है. ज्ञात हो कि प्रखंड क्षेत्र के पालतू पशु की चिकित्सा को लेकर प्रशासनिक स्तर पर प्रखंड स्तरीय प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय स्थापित किया गया. इसमें चिकित्सक से लेकर अन्य कर्मी के साथ साथ […]

शंकरपुर : प्रखंड क्षेत्र के बेहरारी पंचायत के पंचायत भवन में संचालित पशु चिकित्सालय वर्षों से शोभा की वस्तु बना हुआ है. ज्ञात हो कि प्रखंड क्षेत्र के पालतू पशु की चिकित्सा को लेकर प्रशासनिक स्तर पर प्रखंड स्तरीय प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय स्थापित किया गया. इसमें चिकित्सक से लेकर अन्य कर्मी के साथ साथ मवेशी के लिए मुफ्त में दवाई का भी व्यवस्था किया. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण पशु चिकित्सकीय सेवा सिर्फ कागजों पर ही निष्पादन कर लाखों की दवाई का बारे न्यारे हो रहा है.
चिकित्सालय खुलने का दिन भी है निर्धारित. प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सा केंद्र खुलने का दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार का निर्धारित कर केंद्र पर चिपकाये हुए है.
लेकिन पशु चिकित्सालय कभी खुलना तो दूर प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश पशु पालक को यह भी मालूम नहीं है कि शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र में कही सरकारी पशु चिकित्सालय भी जिस वजह से कृषकों की पशु बीमार होने पर झोला छाप डॉक्टर के सहारे अपने अपने की इलाज करवाना मजबूरी बना हुआ है.
झोला छाप चिकित्सकों के इलाज कराने में एक तो पशु पालक से चिकित्सकों के द्वारा अधिक से अधिक राशि का उगाही किया जाता है. तत्काल बीमारी का पहचान भी नहीं हो पाता है. इस वजह से आये दिन बीमार पशु की मौत होने आम बात बना हुआ है.
वरीय अधिकारी के आदेश का नहीं होता है पालन. बरसात के पानी से क्षेत्र उपजे बाढ़ के दौरान मवेशियों में होने वाले बीमारी की रोक व उपचार के लिए सभी चिकित्सक को अपने अपने केंद्र में तैनात रहने का निर्देश जिला पदाधिकारी के द्वारा दिया गया था. लेकिन शंकरपुर प्रखंड में पदस्थापित पशु चिकित्सक डाॅ श्वेता कुमारी एक दिन भी प्रखंड क्षेत्र के किसी भी गांव का भ्रमण करना मुनासिब नहीं समझा.
पशुपालकों में है नाराजगी
प्रखंड में पशु चिकित्सालय रहते हुए भी पालतू पशु का किसी तरह उपचार नहीं होने से क्षेत्र के पशु पालक छेदी यादव, वीरेंद्र मेहता, जयकुमार मेहता, गजेंद्र यादव, विनोद यादव, वीरेंद्र यादव, मनोज यादव सहित कई पशु पालकों ने बताया कि यह क्षेत्र कृषि आधारित है. यहां के किसान अधिक पशु पालते है लेकिन सरकारी पशु चिकित्सालय रहते हुए भी बीमार पशु की इलाज झोला छाप डॉक्टर के सहारे कराना पड़ता है.
इसमें इलाज के नाम पर अधिक से अधिक राशि लिए जाते है. अगर डॉक्टर ससमय उपलब्ध रहता तो कम से कम फ्री में पालतू पशु का इलाज हो पाता और पशु पालक आर्थिक तंगी का शिकार नहीं होता. जबकि पशु चिकित्सालय उपलब्ध दवाइयों का भारी पैमाने पर पशु के चिकित्सा के नाम पर पदस्थापित कर्मियों के द्वारा बारे न्यारे किया जा रहा है कृषकों ने जिला पदाधिकारी से पशु चिकित्सालय को नियमित रूप से खुलवाने का मांग किया है ताकि समय पर पशु की इलाज हो सके.

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