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क्‍या ”हाथ” के सहारे यूपी की सड़कों पर फिर से दौड़ेगी अखिलेश की साइकिल?

लखनऊ : लंबे दौर की बातचीत के बाद आखिरकार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश में गंठबंधन हो गयी. राहुल गांधी के हाथ के सहारे अखिलेश यादव यूपी में दोबारा वापसी की तैयारी में लग गये हैं, लेकिन क्‍या हाथ के सहारे यूपी की सड़कों पर अखिलेश यादव की साइकिल फिर से दौड़ […]

लखनऊ : लंबे दौर की बातचीत के बाद आखिरकार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश में गंठबंधन हो गयी. राहुल गांधी के हाथ के सहारे अखिलेश यादव यूपी में दोबारा वापसी की तैयारी में लग गये हैं, लेकिन क्‍या हाथ के सहारे यूपी की सड़कों पर अखिलेश यादव की साइकिल फिर से दौड़ पायेगी, यह तो आगामी विधानसभा चुनाव के नतीजों पर ही सबकुछ टिका हुआ है.

बहरहाल दोनों पार्टियों के बीच कल समझौता हुआ और गंठबंधन के फॉर्मूले के तहत दोनों पार्टियां अखिलेश यादव के नेतृत्व में मिलकर उत्तर प्रदेश के सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जहां कांग्रेस को 105 सीटों पर उम्‍मीदवार उतारेगी वहीं समाजवादी पार्टी ने अपनी झोली में 298 सीटें रखी हैं.

* क्‍या सपा के अंदरुनी कलह से अखिलेश को हो सकता है नुकसान

विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में समाजवादी पार्टी के अंदर उठा-पटक का दौर थम चुका है. पिता मुलायम सिंह और बेटे अखिलेश यादव के बीच जोरदार संघर्ष देखा गया. एक समय तो लगा की सपा दो फाड़ में बंट जाएगा, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से अखिलेश को पार्टी का असली वारिस चुने जाने और साइकिल का असली हकदार बताये जाने के बाद कठोर हो रहे मुलायम सिंह को आखिरकार ‘मुलायम’ होना पड़ा और पार्टी दो फाड़ में बंटने से बच गयी. लेकिन लंबे समय से जारी पिता और पुत्र के बीच संघर्ष से विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है. सपा से बाहर चल रहे सांसद अमर सिंह ने कल गंभीर आरोप लगा दिया कि उन्‍हें अखिलेश समर्थकों से जान का खतरा है. उन्‍हें अखिलेश समर्थक जान से मारने की साजिश कर रहे हैं. चुनाव से पहले साइकिल में कोई अंदरुनी गड़बड़ी न हो इसको ध्‍यान में रखते हुए अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह से अलग विचार रखते हुए कांग्रेस के साथ गंठबंधन कर लिया.

* क्‍या था पिछले चुनाव कासमीकरण

2012 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 29 फीसदी वोट मिला था और कांग्रेस को 11 फीसदी वोट मिले थे. अगर दोनों को मिला दिया जाए तो करीब 40 फीसदी वोट होते हैं. पिछली बार सपा को 224 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थी और दोनों को मिला दिया जाए तो कुल 252 सीटें होती हैं. पिछली बार की तुलना में सपा को लग रहा है कि राज्‍य में उनकी साख में थोड़ी कमी आयी है इसी के मद्देनजर अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने का विचार किया.

* कांग्रेस-सपा साथ में आने से बसपा को कितना होगा नुकसान

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में कल गंठबंधन हो गयी. अखिलेश यादव और राहुल गांधी का साथ राज्‍य में फिर से सत्ता में वापसी की राह तलाश रही है. दोनों के गंठबंधन से मायावती की बसपा को खतरा हो सकता है. बसपा के पास दलितों का वोट बैंक है साथ ही मायावती मुसलिम वोटरों को भी रिझाने की कोशिश में है. दूसरी ओर अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के बीच अंदरुनी कलह से सपा को भारी नुकसान होने के आसार हैं. पार्टी के अंदर उठे भूचाल से यूपी में सपा की साख कमजोर हुई है. मुसलिम वोटरों पर अखिलेश यादव और सपा की पकड़ कमजोर हुई है, वैसे में मायावती इससे लाभ उठा सकती हैं. पिछले चुनाव में सपा को 39 फीसदी मुसलिम मत मिले थे और कांग्रेस को 18 फीसदी वोट मिले थे. वैसे में दोनों के साथ आने से चुनाव परिणाम को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है.

कांग्रेस और सपा के साथ आने से मायावती के पक्ष में मुसलिम वोटरों का रुझान थोड़ा रुक सकता है. मायावती को इस गंठबंधन से नुकसान हो सकता ह, लेकिन इसके लिए गंठबंधन को आगामी दिनों में और मजबूत होना होगा.

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