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उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़े हैं महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध: कैग

लखनऊ : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने कानून एवं व्यवस्था के मोर्चे पर घिरी उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के हमले को अपनी इस रिपोर्ट के साथ नई धार दे दी है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में तेज बढोत्तरी हुई है. विधानसभा में आज […]

लखनऊ : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने कानून एवं व्यवस्था के मोर्चे पर घिरी उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के हमले को अपनी इस रिपोर्ट के साथ नई धार दे दी है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में तेज बढोत्तरी हुई है. विधानसभा में आज 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष के लिए प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2010-11 से लेकर 2014-15 के बीच प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 61 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है.

कैग की रिपोर्ट मेें खुलासा

आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के लिए कैग की यह रिपोर्ट परेशानी पैदा करने वाली हो सकती है, क्योंकि मार्च 2012 से वही सरकार में है. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2013-14 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बहुत तेजी से बढोत्तरी हुई। वर्ष 2012-13 में जहां यह संख्या 24552 थी वह 2013-14 में 31810 हो गयी और वर्ष 2014-15 में भी इसमें कोई कमी नहीं हुई. विपक्षी दलों ने कैग रिपोर्ट को प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था बिगड़ते जाने के आरोप की पुष्टि करार देते हुए कहा कि अखिलेश सरकार बेनकाब हो गयी है.

यूपी में पुलिस बल की कमी-कैग

भाजपा के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा कि कैग की रिपोर्ट हमारे आरोपों की पुष्टि करती है और अब इस पर कोई विवाद नहीं बचता कि अखिलेश सरकार महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोक पाने में विफल साबित हुई है. कांग्रेस विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि कैग रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि सपा के शासनकाल में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति सबसे खराब है. रिपोर्ट में कैग ने बढ़ती आपराधिक घटनाओं के लिए पुलिस बल की कमी को भी एक कारण बताते हुए कहा कि प्रदेश में प्रति एक लाख की आबादी पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत क्षमता 178.48 के मुकाबले केवल 81 पुलिस कर्मी ही तैनात है.

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं-कैग

कैग ने कहा कि देश में होने वाली कुल आपराधिक घटनाओं में 12.7 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है और यहां महिलाओं के विरुद्ध अपराध की घटनाएं सर्वाधिक हैं. पुलिसकर्मियों की संख्या में 55 प्रतिशत की कमी है और यदि इसे दूर नहीं किया गया तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस बल में महिलाओं की संख्या 33 प्रतिशत किये जाने की सलाह के विपरीत उत्तर प्रदेश में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या मात्र 4.55 प्रतिशत ही है. इसलिए नाबालिग लड़कियों एवं महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में पर्याप्त बढोतरी की जानी चाहिए. अपनी रिपोर्ट में कैग ने जो आंकड़ा दिया है,उसके मुताबिक वर्ष 2012-13 में बलात्कार का शिकार होने वाली नाबालिग लड़कियों की संख्या 1033 थी वह 2014-15 में 1619 पर पहुंच गयी. इसी दौरान नाबालिग लड़कियों की अस्मत लूटने की कोशिश की घटनाएं 2280 से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 4297 तक पहुंच गयी.

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