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स्पोर्ट्स से खुद को रखें फिट

जरूरी नहीं है कि लोग जिम, जॉगिंग, एक्सरसाइज के सहारे ही फिट रहें. स्पोर्ट्स की मदद से भी फिट रह सकते हैं. स्पोर्ट्स शारीरिक के साथ ही मानसिक सेहत पर भी अच्छा असर डालता है. खेलने से कैलोरी बर्न होती है और मोटापा कम करने में मदद मिलती है. डॉ चंद्रशेखर पी सीनियर कंसल्टेंट एंड […]

जरूरी नहीं है कि लोग जिम, जॉगिंग, एक्सरसाइज के सहारे ही फिट रहें. स्पोर्ट्स की मदद से भी फिट रह सकते हैं. स्पोर्ट्स शारीरिक के साथ ही मानसिक सेहत पर भी अच्छा असर डालता है. खेलने से कैलोरी बर्न होती है और मोटापा कम करने में मदद मिलती है.
डॉ चंद्रशेखर पी
सीनियर कंसल्टेंट एंड हेड आॅफ डिपार्टमेंट आॅफ अथोर्पेडिक्स, सकरा हॉस्पिल, बेंगलुरु
दिन भर के काम और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. इसके अलावा अकसर एक्सरसाइज के लिए भी समय नहीं मिलता है. ऐसे में फिट रहने के लिए खेलों का सहारा भी ले सकते हैं. इससे सिर्फ कैलोरी ही नहीं जलती है बल्कि इससे मानसिक सेहत भी सुधरती है. ऐसे में अगर स्पोर्ट्स का सहारा लिया जाता है, तो व्यक्ति का तनाव दूर होता है. तनाव दूर करने के लिए आप इनडोर गेम यानी शतरंज, कैरम आदि खेल सकते हैं. वहीं आउटडोर गेम जैसे-बैडमिंटन, साइकिलिंग, स्वीमिंग से शारीरिक और मानसिक दोनों व्यायाम होता है.
स्वीमिंग : यह मांसपेशियों को चुस्त-दुरुस्त बनाता है और इससे आपके कूल्हों, पीठ और बाहों की कसरत होती है तथा टांगें भी मजबूत बनती हैं. पानी में भूमि की तुलना में 12 गुना अधिक प्रतिरोध होता है. इसलिए शरीर को 12 गुना अधिक काम करना पड़ता है. यह एक सुरक्षित व्यायाम है और पुरानी चोटों से उबरने में मदद कर सकता है. स्वीमिंग को अस्थमा के मरीज भी कर सकते हैं.
साइकिलिंग : इससे पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है. यह एक बेहतरीन तरीका है, जिससे आपके हृदय की मांसपेशियों का मसाज हो जाता है. नियमित रूप से साइकिलिंग करने से शरीर में रक्त संचार सुचारु रूप से होने लगता है. यही नहीं, यह हमारे हृदय को भी मजबूती प्रदान करता है. आजकल ब्लड प्रेशर की समस्या भी काफी अधिक है. साइकिलिंग करके आप रक्तचाप को सामान्य कर सकते हैं.
फुटबॉल : इससे एरोबिक कैपिसिटी बढ़ती है. इसके साथ ही दौड़ने से कार्डियोेवेस्कुलर हेल्थ सुधरती हैै. फुटबॉल खेलने से शरीर के निचले हिस्सों का फैट कम होता है और मसल्स व हड्डियां मजबूत होती हैं, कोआॅर्डिनेशन सीखने का मौका मिलता है.
हाथों के व्यायाम के लिए : शटल, लॉन टेनिस, टेबुल टेनिस और जिमनास्ट करना सही है. इन खेलों से हाथों का अच्छा एक्सरसाइज हो जाता है.
पैरों के लिए : फुटबॉल, स्वीमिंग, क्रिकेट और जिमनास्ट करना बेहतर है.
बातचीत व आलेख: दीपा श्रीवास्तव
महिलाओं के लिए
बाहर काम करनेवाली महिलाएं थोड़ी बहुत एक्टिव रहती हैं. मगर जो महिलाएं घर में रहती हैं, उनको व्यायाम करने का मौका नहीं मिलता है. फिजिकल एक्टिविटी नहीं होने से अकसर वे मोटापे का शिकार हो जाती हैं. कई बार रोज एक ही दिनचर्या के कारण महिलाएं तनाव में आकर चिड़चिड़ी भी हो जाती हैं. इसके लिए इनडोर गेम जैसे-शतरंज, कैरम आदि खेल सकती हैं. ये गेम तनाव को दूर करते हैं. महिलाएं रस्सी भी कूद सकती हैं. इससे शरीर का अच्छा व्यायाम होता है. बैडमिंटन खेलने के लिए कम जगह की जरूरत होती है और इससे अच्छा व्यायाम होता है. महिलाएं इसे भी ट्राइ कर सकती हैं.
बच्चों के लिए
बच्चों पर पढ़ाई का काफी दबाव होता है. कंप्यूटर और मोबाइल के कारण भी बच्चो आउटडोर गेम से विमुख होते जा रहे हैं. इससे बच्चों में भी मोटापा बढ़ रहा है. आउटडोर गेम खेलने से शारीरिक विकास होता है साथ ही उनको बहुत सारी बातें भी सीखने को मिलती हैं. बच्चे खेल के साथ सामाजिक भी बनते हैं. सबसे खास बात बच्चे इस उम्र में ही जीत हार के मायने भी सीखते हैं. मोटापा का खतरा भी कम हो जाता है. बच्चे शारीरिक रूप से मजबूत भी बनते हैं. धूल-मिट्टी में खेलने से इम्युनिटी भी बेहतर होती है.
किन्हें स्पोर्ट्स से बचना चाहिए
जिन्हें संक्रमण जल्दी होता है उन्हें स्वीमिंग कम करना चाहिए. जिन लोगों को स्किन एलर्जी होती है या गहराई से फोबिया होता है, उन्हें स्वीमिंग से दूर रहने की सलाह दी जाती है. पैरों के व्यायाम के लिए साइकिलिंग अच्छी है, मगर जिनका घुटनों का प्रत्यारोपण हुआ है, उन्हें इसके लिए मना किया जाता है. जिनके घुटने में दर्द, आर्थराइटिस या जोड़ों की कोई समस्या होती है, उनको डॉक्टर की सलाह के बाद ही साइकिलिंग करनी चाहिए. कई लोगों को लिगामेंट, कंधों में दर्द की समस्या होती है या बायपास हुआ होता है, तो ऐसे लोगों को सतर्क रह कर ही बैडमिंटन खेलना चाहिए. जिनकी एंजियोप्लास्टी या बायपास हुआ हो,अगर उनको किसी भी व्यायाम या सीढियां चढ़ते वक्त सीने में दर्द होता है, तो डॉक्टर से मिलना चाहिए. वहीं जिसको डिस्क की समस्या है, उन्हें वेट लिफ्टिंग से बचना चाहिए.
बुजुर्गों के लिए
60 से 70 साल के बुजुर्गों को किसी भी व्यायाम के पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. इस उम्र में बेहतर यही होगा कि टहलें और सामान्य जॉगिंग करें. उनको दौड़ने-भागनेवाले खेल से बचना चाहिए. इस उम्र में जोड़ कमजोर होते हैं. ऐसे खेलों से जोड़ों पर ज्यादा भार पड़ सकता है. कई बार अनजाने में हड्डियों के टूटने का भी खतरा रहता है. सिर्फ टहलने से ही रक्त संचार और दिल का व्यायाम हो जाता है. जो इस उम्र के लिए पर्याप्त है.

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