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Friday, March 29, 2024

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नहीं हो रही सही रिपोर्टिंग

लापरवाही. जिले में बढ़ रही कुष्ठ रोगियों की संख्या किशनगंज : सरकार ने लगातार कुष्ठ रोग के प्रति लोगों को जागरूकता अभियान चला कर गांव गांव तक प्रचार प्रसार किया़ सरकार द्वारा आशा व अन्य माध्यम से कुष्ठ रोगियों की पहचान कर मुफ्त में इलाज करते है़ लेकिन जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या लगातार […]

लापरवाही. जिले में बढ़ रही कुष्ठ रोगियों की संख्या

किशनगंज : सरकार ने लगातार कुष्ठ रोग के प्रति लोगों को जागरूकता अभियान चला कर गांव गांव तक प्रचार प्रसार किया़ सरकार द्वारा आशा व अन्य माध्यम से कुष्ठ रोगियों की पहचान कर मुफ्त में इलाज करते है़ लेकिन जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है़ हालांकि सरकारी आंकड़े बताते है कि 2013 से अब तक कुष्ठ रोगियों की संख्या में कमी आयी है़ पिछले पांच साल में 2100 कुष्ठ रोगियों की पहचान कर उसे दवाई दिया गया है़ इस वित्तीय वर्ष के अगस्त माह तक 275 नये कुष्ठ रोगी कुष्ठ निवारण केंद्र से इलाज करा रहे है़ सरकारी आंकड़ों में भले ही कुष्ठ नियंत्रण में हो, लेकिन हकीकत उलटा है. कारण जिले में मरीजों की सही रिपोर्टिंग नहीं हो पा रही है. यदि सरकारी व निजी दोनों सेंटरों के मरीजों का ब्योरा जुटाया जाय तो हर वर्ष रोगियों की संख्या दोगुना हो जायेगा.
अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी संचारी रोग कुष्ठ डाॅ सोहेल अहमद खा ने कहा कि क्षेत्र में कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में अनेक भ्रांति हैं. लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है. कुष्ठ रोग रोगाणु के कारण फैलता है, न कि किसी के छूने या साथ बैठने से. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कुष्ठ रोग पिछले जन्म के कर्मों का लेखा-जोखा है. ऐसा भी कुछ नहीं है, कुष्ठ रोग एक बीमारी है. जिसे सही इलाज देखकर नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन 12 से 15 वर्ष के बच्चे व 40 से 45 वर्ष के व्यक्ति में कुष्ठ रोग फैलने का ज्यादा खतरा रहता है.
वहीं कुष्ठ रोग महिलाओं की बजाय पुरुषों में जल्दी फैलता है. इसके प्रति जागरूक होकर ही इसे रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग कुष्ठ रोग की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. वहीं चिकित्सक भी इसके लिए समय-समय पर गतिविधियां करते रहते हैं. चिकित्सकों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि ग्रामीण क्षेत्र में जो भी कुष्ठ रोग का रोगी है उसे सही उपचार दिया जा सके. उन्होंने कहा कि ने कहा कि जिलेभर के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया है. इसमें चिकित्सकों को बताया कि है कि हम किन लक्षण व किस प्रकार कुष्ठ रोगी की पहचान व जांच कर सकते हैं.
साथ ही उसे क्या-क्या उपचार दे सकते हैं. साथ ही उसका यह ध्यान भी रखना आवश्यक है कि कुष्ठ रोगी समय पर दवाई ले रहा है या नहीं. यदि रोगी सही प्रकार से उपचार करवाए तो 6-12 महीने में कुष्ठ रोग को खत्म किया जा सकता है. डा साहेल अहमद खां ने बताया कि माइक्रो वेटरियम लेम्ट्री के प्रभाव से कुष्ठ रोग होता है़ कुष्ठ रोग के दो तरह के रोगी होते है पहली पीबी दूसरा एमबी़ मुख्यत: कुष्ठ रोग चमड़े व नस को प्रभावित करता है़ सितंबर तक कुष्ठ निवारण केंद्र में करीब 272 कुष्ठ रोगी का पहचान कर इलाजरत है़ जिसमें पीबी 102, एमबी 168 रोगी है़
कुष्ठ रोगियों के आंकड़े
वर्ष रोगी रोगमुक्त रोगी
2013 600 560
2014 450 520
2015 330 349
2016 311 301
2017(सितंबर)-357
कुल- 2100 -2087
कुष्ठ के प्रति जागरूकता का अभाव
सरकार के स्तर से लगातार स्वास्थ्य विभाग कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है़ इसके बावजूद लोगों में अभी भी जागरूकता की कमी है़क कुष्ठ रोग के लिए सभी सरकारी अस्पताल में जांच करा कर मुफ्त में इलाज की व्यवस्था है़
कुष्ठ रोग के लक्षण
कुष्ठ रोग के प्रति अभी भी गांव देहातों में जागरूकता की कमी है़ अमूमन चमरी पर दाग या धब्बे, तंत्रिका में सूजन, तंत्रिका क्षेत्र में सन्नपन व स्किन स्मीयर में कुष्ठ रोगाणुओं का पाया जाना प्रमुख लक्षण है़
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