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85 लाख रुपये के गबन की जांच शुरू

खुलासा. तीन वर्षों से चल रहा था नगर परिषद में गबन का खेल नगर परिषद में बीते तीन वर्षों से गबन का खेल चल रहा था. संयुक्त जांच टीम ने बारी-बारी से कर्मियों से पूछताछ की है. पूरे मामले की गहन जांच हो, तो कई अधिकारियों व बाबुओं की गर्दन फंस सकती है. खगड़िया : […]

खुलासा. तीन वर्षों से चल रहा था नगर परिषद में गबन का खेल

नगर परिषद में बीते तीन वर्षों से गबन का खेल चल रहा था. संयुक्त जांच टीम ने बारी-बारी से कर्मियों से पूछताछ की है. पूरे मामले की गहन जांच हो, तो कई अधिकारियों व बाबुओं की गर्दन फंस सकती है.
खगड़िया : नगर परिषद में 85 लाख रुपये गबन के मामले की जांच शुरू हो गयी है. बुधवार को गबन के मामले की जांच के लिये नगर परिषद प्रशासन के निदेशक भरत झा तथा उप सचिव कुमार देवेंद्र प्रज्वल बुधवार को खगड़िया पहुंचे. टीम की संयुक्त जांच में कई मुद्दों पर पूछताछ की गयी. मालूम हो कि गबन के आरोपित कर्मी व कस्टोडियन भी सवालों के घेरे में आ गये हैं. संयुक्त जांच टीम ने बारी बारी से कर्मियों से पूछताछ की है. जांच टीम ने पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाये हैं.
ऑडिट रिपोर्ट आते ही दोषी कर्मियों की तलाश शुरू
नगर परिषद में बीते तीन वर्ष से गबन का खेल चल रहा था. लेकिन न तो कार्यपालक पदाधिकारी न ही अन्य किसी कर्मी ने मामले के तह जाने की कोशिश की. यही कारण है कि गबन होता रहा और तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी मौज लेते रहे. हालांकि बीते एक माह से नगर परिषद में गबन को लेकर सुगबुगाहट होने लगी थी लेकिन किसी ने जुबान नहीं खोली. ऑडिट रिपोर्ट आते ही दोषी कर्मी की तलाश शुरू हो गयी है.
कहते हैं पदाधिकारी
कार्यपालक पदाधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि उनके कार्यकाल से पूर्व का मामला है. ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा हुआ है. सरकारी राशि के वित्तीय अनियमितता के दोषी लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी.
ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा, अब कार्रवाई का इंतजार
नगर निकाय प्रशासन के निदेशक व उप सचिव ने शुरू की जांच
पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी पर उठने लगी है उंगली
यह खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में होने के बाद जांच शुरू की गयी है. बताया जाता है कि पूरे मामले की गहन जांच हो तो कई अधिकारी व बाबू की गर्दन फंस सकती है. कर्मी एक दूसरे पर दोषारोपण करना शुरू कर दिये हैं. ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि 85 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता हुई है. अब नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विनोद कुमार नगर परिषद की राशि को खर्च करने से भी कतराने लगे हैं. यही कारण है कि नगर परिषद में काम करने वाले लोग राशि के लिए चक्कर लगा रहे हैं. गबन का मामला उजागर होने के बाद सशक्त स्थाई समिति की बैठक में सर्व सम्मति से दोषी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया. प्रभारी सभापति सह उप सभापति सुनील कुमार पटेल ने कार्यपालक पदाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई कर कमेटी को सूचित करने का निर्देश दिया गया है.
सरकारी खाते में नहीं जेब में जाती रही राशि
नगर परिषद में प्रति वर्ष करोड़ों रुपये की आमदनी होती है. बीते तीन वर्ष से कर संग्रह, जेसीबी भाड़ा, टाउन हॉल भाड़ा, स्टॉल भाड़ा आदि मद से प्राप्त राशि नगर परिषद के खाते में जमा नहीं किया गया. जबकि कोषपाल द्वारा कर संग्रह कर्ता से राशि प्राप्ति की नाजिर रसीद दिया गया है. कर संग्रहकर्ता नाजिर रसीद दिखाकर साबित कर दिया है कि उन्होंने कर संग्रह की राशि जमा कर दिया है. लेकिन कोषापाल द्वारा राशि का क्या किया गया है. इसका अता पता नहीं है.
क्या है नियम
कर संग्रह सहित विभिन्न मद से प्राप्त राशि को सबसे पहले नगर परिषद के खाते में जमा करने का नियम है. लेकिन नप के कोषपाल द्वारा खाते में राशि जमा नहीं किया गया है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी व कोषपाल के हस्ताक्षर से बैंक से राशि की निकासी की जाती है. जबकि नप में पांच हजार से अधिक रुपये खर्च करने पर नगर सभापति से भी सहमति लेने का प्रावधान है. इस प्रावधान के बावजूद बैंक में राशि जमा नहीं हुआ.

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