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Friday, March 29, 2024

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यौन शिक्षा : उम्र के अनुसार बच्चों को दें सही जानकारी

अगर समय-समय पर एक मां अपनी बच्ची को प्यार से इस संबंध में सही जानकारी देती रहती, तो शायद उस बच्ची का यह हाल नहीं होता. अक्सर मां-पिता बच्चों को सेक्स संबंधी बाते बताने में कतराते हैं. उन्हें लगता है उनके बच्चे बड़े होकर खुद ही सब कुछ समझ जायेंगे. किशोरावस्था में कई बार गलत […]

अगर समय-समय पर एक मां अपनी बच्ची को प्यार से इस संबंध में सही जानकारी देती रहती, तो शायद उस बच्ची का यह हाल नहीं होता. अक्सर मां-पिता बच्चों को सेक्स संबंधी बाते बताने में कतराते हैं. उन्हें लगता है उनके बच्चे बड़े होकर खुद ही सब कुछ समझ जायेंगे.
किशोरावस्था में कई बार गलत मानसिकतावाले लोग उनकी इसी नासमझदारी का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. वहीं बच्चे डर एवं अज्ञानता की वजह से किसी को कुछ बता नहीं पाते. कई किशोर उम्र के बच्चे सेक्स संबंधी बातों को जानने के लिए अपने तरीके ढूंढ़ते हैं और गलत-सलत सूचनाएं इकट्ठा कर लेते हैं. इंटरनेट पर गलत साइट के चक्कर में पड़ कर गलत आदत के शिकार हो जाते हैं. इसी नासमझी की वजह से किशोर लड़कियां किसी के बहकावे में आसानी से आ जाती हैं और शारीरिक संबंध बना लेती हैं. बाद में बच्चे अपराधबोध से घिर जाते हैं और अवसाद में चले जाते हैं. जिन घरों में पैरेंट या घर के लोग अपने बच्चों से दोस्ताना रिश्ते नहीं रखते, उनके बच्चे घर में अपनी समस्या किसी से शेयर नहीं कर पाते. फलत: सेक्स संबंधित समस्याओं से जूझते रहते हैं एवं पढ़ाई-लिखाई, कैरियर से दूर होते चले जाते हैं. कई बार तो आत्महत्या तक कर लेते हैं.
कोई अपना ही क्यों न हो, नजर रखें
भयानक स्थिति तब होती है जब अपने ही परिवार के सदस्य घरेलू मित्र, नौकर, माली या दूर के रिश्तेदार मासूम बच्चों के साथ यौन शोषण जैसी हरकत कर बैठते हैं. छोटे बच्चे उनके गलत स्पर्श को स्नेह, प्यार समझ बैठते हैं और आसानी से उनके हवस के शिकार बन जाते हैं. अगर बच्चा अपने माता-पिता को बताना चाहता है तो उसकी बात को गंभीरता से नही लेते. लेकिन जब अनहोनी हो जाती है तब उन्हें होश आता है. यौन शोषण बच्चे के दिलोदिमाग पर गहरा असर छोड़ सकता है.
ऐसे बच्चों को संवेगात्मक और व्यावहारिक समस्या हो सकती है और भविष्य में सेक्स लाइफ भी प्रभावित हो सकती है. हो सकता है कि वह दहशत के शिकार हो जाएं. लेकिन इसका मतलब नही कि ऐसे बच्चे सामान्य जिंदगी नहीं जी सकते, पर इसके लिए माता-पिता को समझदारी से एवं एहतियात बरतने की जरूरत है, ताकि बच्चे के साथ ऐसी घटना घटे ही नहीं. यह तभी होगा, जब आप हमेशा चौकन्ने रहेंगे.
बच्चे को स्पर्श का फर्क बताएं
एक सर्वे में पाया भी गया है कि 54 प्रतिशत वैसे बच्चे यौन शोषण के शिकार होते हैं, जिनका केस तक दर्ज नहीं हो पाता है. जरूरत है माता-पता को इस विषय पर उदार सोच रख कर बच्चों को बचपन से सेक्स संबंधी सही जानकारी देने की, ताकि वे खुद अपना बचाव कर सकें.
बच्चों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है. अत: एहतियात के लिए उन्हें हमेशा सर्तक रहना जरूरी होता है. अपने बच्चों को प्यार से समझाएं कि अगर कोई शख्स उसे गलत तरीके से छूने, गुदगुदाने एवं गले लगाने की कोशिश करे, तो बिल्कुल मना कर दे और इसकी जानकारी अपने घर में दे. आपके लिए आपका बच्चा सबसे पहले होना चाहिए. अगर उसकी सुरक्षा बरतने में किसी अपने को बुरा भी लगे, तो इसकी परवाह न करें. खास कर वर्किंग पैरेंट बच्चे की सुरक्षा को सुनिश्चित करें, तभी उसे घर पर अकेला छोड़ें. किसी भी स्थिति में अपने बच्चे को किसी गैर के साथ सोने के लिए न छोड़ें, न ही देर तक के लिए बाहर जाने दें.
ध्यान रखनेवाली कुछ और बातें
– अपने बच्चे से माता-पिता हमेशा बातचीत करते रहें. उनके साथ अपनापन एवं विश्वास का रिश्ता बना कर रखें, ताकि वह बेधड़क अपना हर कुछ आपको बता सके.
– बढ़ते बच्चों को उनके शारीरिक वृद्धि, माहवारी एवं शारीरिक बदलाव के बारे में सही-सही जानकारी दें. – बच्चे को सिखाएं कि गंदा स्पर्श और अच्छा स्पर्श क्या होता है. उसे उसके अंगों से परिचित कराएं. – बच्चे के जीवन में क्या घट रहा है, जानने की हमेशा कोशिश करते रहें. – अगर परिवार के किसी सदस्य या रिश्तेदार की हरकतें बच्चों के प्रति गलत दिखें, तो खुल कर विरोध करें. – अगर बच्चा कुछ बात बताना चाहता हो, तो उसे ध्यान से सुनें, उसकी बात को अनदेखा न करें. – किसी भी सूरत में बच्चे को दोषी न ठहराएं, बल्कि उसे प्रोत्साहित करें.
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