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छोटे कद के बड़े कारनामे शिक्षक

42 इंच के गौतम शिक्षा के क्षेत्र में जगा रहे अलख कद छोटा होने के बावजूद गौतम व्याख्याता बन छात्र-छात्राओं को बना रहे शिक्षित उपहास व मजाक की नहीं की परवाह बेगूसराय(नगर) : सच ही कहा गया है कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो बड़ी-से-बड़ी बाधा व मुसीबत भी उसकी […]

42 इंच के गौतम शिक्षा के क्षेत्र में जगा रहे अलख
कद छोटा होने के बावजूद गौतम व्याख्याता बन छात्र-छात्राओं को बना रहे शिक्षित
उपहास व मजाक की नहीं की परवाह
बेगूसराय(नगर) : सच ही कहा गया है कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो बड़ी-से-बड़ी बाधा व मुसीबत भी उसकी तरक्की में बाधा नहीं बन सकती है. इसे चरितार्थ किया है चेरियाबरियारपुर पंखंड के बिक्रमपुर निवासी 42 इंच के गौतम ने. गौतम आज इस ऊंचाई तक पहुंच गये हैं कि वे लोगों के लिए खास कर विकलांग, मजबूर, लाचार लोगों के लिए प्रेरणा का स्नेत बन गये हैं. पिता रामनरेश सिंह व माता चमचम देवी की कोख से गौतम का जन्म वर्ष 1983 में हुआ.
गौतम की मां व पिता कहते हैं कि जन्म के समय से ही गौतम विलक्षण बुद्धि का दिखने लगा. जन्म के दो वर्षो के बाद गौतम अचानक पोलियो का शिकार हो गया. इस कारण उसका शारीरिक विकास थम गया. काफी प्रयास के बाद भी उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं हो पाया. वह जब पांच वर्ष का हुआ तो उसमें पढ़ाई की ललक दिखी. गौतम के माता-पिता ने कहा कि उसकी यादाश्त काफी अच्छी है. वह एक बार किसी चीज की जानकारी प्राप्त करने के बाद भूलता नहीं है.
छोटे कद के कारण होती थी उपहास : छोटे कद के चलते गौतम जब किताब व पेंसिल लेकर घर से निकलता था तो लोग उसका उपहास उड़ाते थे. स्कूल में भी उसकी शारीरिक बनावट का लोग मजाक उड़ाते थे. इसके बाद भी गौतम निराश नहीं हुआ. प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से प्राप्त की. गौतम बचपन से मेधावी छात्र था. वह हमेशा बेहतर अंक लाता था. उसने संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना से वर्ष 1998 में 10 वीं की परीक्षा पास की.
बीआइइसी, पटना में कला से 12 वीं की परीक्षा 2000 में पास की. वर्ष 2005 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से बीए एवं 2008 में जेआरएचयू, चित्रकूट से बीएड एवं 2009 में एमएड किया. इसी क्रम में वह 2009 में एजुकेशन से नेट एवं 2011 में संस्कृत से एमए की परीक्षा पास की. वर्ष 2015 में गौतम पीएचडी कर चुका है. कुछ समय बाद ही इसका विधिवत प्रमाणपत्र गौतम को मिल जायेगा. वर्ष 2012 में दीवान बहादुर कामेश्वर नारायण महाविद्यालय, नरहन समस्तीपुर में गौतम को व्याख्याता पद पर नौकरी मिल गयी. वे कॉलेज में छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा दे रहे हैं.
गौतम के वर्ग में दिखता है अनुशासन:व्याख्याता बनने के बाद गौतम जब वर्ग लेने के लिए कॉलेज में जाते हैं तो अब वे मजाक के पात्र नहीं वरन उनके वर्ग में पूरी तरह से अनुशासन दिखता है.
गौतम कहते हैं कि पहले वे समाज व परिवार के लिए समस्या थे, लेकिन अब वे राष्ट्रीय समस्या के समाधान का हिस्सा बन गये हैं. गौतम समाज को खास कर विकलांग व लाचार लोगों को अपने माध्यम से संदेश देते हैं कि किसी प्रकार की मजबूरी हो, उससे हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. आपमें अगर कर्तव्य के प्रति लगनशील हो, तो जो लोग आपको उपहास का पात्र बनाते हैं, वही लोग आपकी कामयाबी पर आपको प्रेरणा का स्नेत मानेंगे.
केंद्रीय विश्वविद्यालय तक पहुंचने की तमन्ना :मात्र 42 इंच के 32 वर्षीय गौतम की शिक्षा के क्षेत्र में अंतिम अभिलाषा केंद्रीय विश्वविद्यालय तक पहुंचना है. क्षसके लिए गौतम कठिन मेहनत कर रहे हैं.
उनका कहना है कि इस सफलता के बाद ही वे शादी कर अपना परिवार बसायेंगे. हालांकि, गौतम की शैक्षणिक योग्यता को देख कर उनके घर रिश्ते के लिए लोगों का आना-जारी है.

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