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यहां स्मार्ट फोन से भी सस्ता है बंदूक

दाराअदमखेल में मशीनगन स्मार्टफोन से भी सस्ते हैं. यहां दुनिया के सबसे अच्छी मानी जानेवाली मशीनगनें एमपी-5 मात्र 67 डॉलर में उपलब्ध है. हांलाकि शरीफ सरकार बनने के बाद तलाशी अभियान तेज हो गयी है, जिससे असलहों का यह धंधा मंदा हो रहा है. पेशावर से 20 मील दूर छोटा सा कस्बा है दाराअदमखेल. यहां […]

दाराअदमखेल में मशीनगन स्मार्टफोन से भी सस्ते हैं. यहां दुनिया के सबसे अच्छी मानी जानेवाली मशीनगनें एमपी-5 मात्र 67 डॉलर में उपलब्ध है. हांलाकि शरीफ सरकार बनने के बाद तलाशी अभियान तेज हो गयी है, जिससे असलहों का यह धंधा मंदा हो रहा है.

पेशावर से 20 मील दूर छोटा सा कस्बा है दाराअदमखेल. यहां दुकानों में सजी रहती हैं खिलौनों की तरह असली बंदूकें. पाकिस्तान का पश्चिमोत्तर हिस्से का यह इलाका हथियार और गोला बारूद का सबसे बड़ा अवैध बाजार है. एके 47 रायफल के लिए प्रयोग में लाये जानेवाली धातु यहां सस्ती मिलती है. पहाड़ियों से घिरा यह इलाका कई दशकों से आपराधिक गतिविधियों का अड्डा है. ड्रग्स की तसकरी हो या चोरी की कार या फिर यूनिवर्सिटियों की फर्जी डिग्रियां, यहां सब कुछ बेहद सस्ती दर पर उपलब्ध है.

1980 में बढ़ा हथियारों का व्यापार

रूस से लगनेवाली सीमाओं की रक्षा के लिए मुजाहिद्दीनों ने अफगानिस्तान के लिए यहां से हथियार खरीदना शुरू किया. बाद में यह तालीबान लड़ाकों का गढ़ बन गया. हाल में यहां आपराधिक गतिविधियां कुछ कम हुई हैं, लेकिन बंदूकों का बाजार अब भी आबाद है. 45 साल के खिताब गुल कहते हैं कि नवाज शरीफ की सरकार ने जगह-जगह चेक प्वाइंट्स बना दिये हैं. इसने व्यापार खत्म कर दिया. गुल को मशीन गन एमपी-5 की तरह बंदूकें बनाने में महारत हासिल है, जो विश्व में बेहद लोकप्रिय हैं. ये गन अमेरिका की सुरक्षा एजेंिसयां भी इस्तेमाल करती हैं. एमपी-5 गन विश्व में सबसे महंगी बिकनेवाली मशीनगन हैं. लेकिन गुल की बनायी गन एक साल की गारंटी के साथ सात हजार रुपये (67 डॉलर) में उपलब्ध हैं.

असली से बिलकुल कम नहीं
गुल का दावा है कि ये गन असली से किसी भी मामले में कम नहीं. गुल बताते कहते हैं कि यहां काम करनेवाले कारीगर इतने कुशल हैं कि वे किसी भी बंदूक को एक बार देख लेने के बाद ठीक वैसी ही बंदूक बना सकते हैं.

शरीफ की सरकार बनने से बढ़ गयी चेकिंग

आर्मी के इलाके में दस्तक से पहले गुल एक दिन में 10 बंदूकें बना लिया करते थे. लेकिन अब यह जरा मुश्किल हो गया है. मांग भी दिनों-दिन गिरती जा रही है, तो गुल अब चार ही बंदूकें बना पाते हैं. पिछले 10 सालों में उन्होंने 10,000 से भी ज्यादा बंदूकें बेची हैं. आज तक कोई शिकायत नहीं मिली. शरीफ सरकार ने अब दारा आने के रास्ते में चेक प्वाइंट बना दिया है. इससे ग्राहकों को परेशानी होती है. विदेशियों को तो इस ओर आने पर बैन लगा दिया गया है. अब तक 3,000 बंदूक की दुकानें बंद हो गयी हैं. माहिर कारीगरों को अब दूसरे काम सीखने पड़ रहे हैं. एक जमाने में यह बाजार गुलजार रहता था. यहां आज भी बिजली, पानी नहीं हैं जिंदगी जंग के समान है.

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