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फैसला: कमेटी की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने लगायी मुहर, सी-सैट हुआ समाप्त

रांची : राज्य सरकार ने छठी जेपीएससी परीक्षा से सी-सैट को समाप्त कर दिया है. परीक्षा में शामिल होने के लिए पूर्व निर्धारित अवसर को भी समाप्त कर दिया गया है. अर्थात अब कोई भी अभ्यर्थी जितनी बार चाहे परीक्षा में शामिल हो सकता है. इसके अलावा इंटरव्यू में पूर्व निर्धारित न्यूनतम अंक लाने की […]

रांची : राज्य सरकार ने छठी जेपीएससी परीक्षा से सी-सैट को समाप्त कर दिया है. परीक्षा में शामिल होने के लिए पूर्व निर्धारित अवसर को भी समाप्त कर दिया गया है. अर्थात अब कोई भी अभ्यर्थी जितनी बार चाहे परीक्षा में शामिल हो सकता है. इसके अलावा इंटरव्यू में पूर्व निर्धारित न्यूनतम अंक लाने की बाध्यता को भी खत्म कर दिया गया है. मुख्य सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में गठित कमेटी की अनुशंसा के आलोक में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह फैसला किया है.
क्या है उम्र सीमा की अनुशंसा : विभिन्न राज्यों के अध्ययन के बाद समिति ने पाया कि झारखंड गठन के बाद जेपीएससी प्रति वर्ष परीक्षाओं का आयोजन नहीं करता है. इस बात के मद्देनजर इससे पूर्व हुई परीक्षाओं में उम्र सीमा की गणना के लिए तिथि में परिवर्तन किया गया था. इसलिए मुख्य सचिव की अध्यक्षतावाली कमेटी ने छठी जेपीएससी परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिकतम उम्र सीमा की गणना के लिए एक अगस्त 2010 और न्यूनतम सीमा के लिए एक अगस्त 2015 को कट अॉफ डेट मानने की अनुशंसा की थी.
कई राज्यों में अवसरों की बाध्यता नहीं है : समिति ने बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में लागू नियम के आधार पर झारखंड में भी परीक्षा में शामिल होने के लिए निर्धारित अवसरों की बाध्यता समाप्त करने की अनुशंसा की. पूर्व में अारक्षित कोटि के लिए चार अवसर और ओबीसी के लिए पांच अवसर निर्धारित थी. एसटी-एससी के लिए अवसर की कोई संख्या निर्धारित नहीं थी. साक्षात्कार के मामले में पूर्व निर्धारित अंकों पर विचार के बाद समिति ने यह पाया कि इसमें ज्यादातर विषयनिष्ठ सवाल होते हैं. यह झारखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से आनेवाले अभ्यर्थियों के लिए अलाभकारी होता है. इसलिए समिति ने इंटरव्यू में न्यूनतम अर्हतांक की बाध्यता भी समाप्त करने की अनुशंसा की थी.
क्या है सी-सैट
सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूट टेस्ट को ही सी-सैट के नाम से जाना जाता है. यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा में साल 2011 में इसे पहली बार लागू किया गया था. इसी क्रम में छठी जेपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में भी इसे लागू किया गया था. इसमें दो पेपर था. पहला पेपर सामान्य अध्ययन का, वहीं एप्टीट्यूट टेस्ट का था. दोनों ही पेपर दो सौ नंबर के थे. पहला पेपर में भारत के इतिहास, भूगोल, भारतीय राजनीति एवं गवर्नेंस, अर्थव्यवस्था, विज्ञान व प्रोद्योगिकी के अलावा झारखंड से जुड़े सवाल थे. वहीं दूसरे पेपर में हिंदी व अंगरेजी व्याकरण, कंप्रीहेंसन, रिजनिंग, गणित व जेनरल मेंटल एबिलिटी से जुड़े प्रश्न. परीक्षार्थी को दोनों ही पेपर में 33 फीसदी अंक लाने थे, तभी वे प्रारंभिक परीक्षा में सफल हो सकते. पूरी चयन प्रक्रिया में सीसेट के अंक को जोड़ा जाना था. लेकिन इसके विपरीत यूपीएससी ने इस साल की सिविल सेवा की परीक्षा में सी-सैट को केवल क्वालिफाइंग रखा था.
फैसले के पूर्व छात्रों के दोनों पक्षों से सीएम ने बात की थी
इस मामले में सीएम ने छात्रों के दोनों पक्षों से टेलीफोन पर बात की. एक पक्ष सी-सैट को समाप्त करने के पक्ष में थे. दूसरा पक्ष का कहना था कि इसे खत्म नहीं किया जाये, बल्कि न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स रखा जाये. सीएम ने फिर कमेटी की रिपोर्ट देखी और मुख्य सचिव से बात की. इसके बाद उन्होंंने सीसैट समाप्त करते हुए कमेटी की सारी अनुशंसाओं को मंजूर कर लिया है.
कमेटी ने किया था कई राज्यों का अध्ययन
राज्य में सी-सैट लागू किये जाने के बाद हो रहे विरोध के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने मामले पर अध्ययन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने ओड़िशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार सहित कुछ अन्य राज्यों में राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली परीक्षाओं के लिए निर्धारित अर्हताओं का अध्ययन किया. इसमें पाया गया कि ओड़िशा, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सी-सैट प्रणाली को लागू किया गया है, जिसमें क्वालीफाइंग मार्क्स 33 प्रतिशत है. बिहार, बंगाल, राजस्थान में सी-सैट प्रणाली को लागू नहीं किया गया है.

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