इस वर्ष प्राथमिक शिक्षा से नौ शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया गया. शिक्षकों को पुरस्कार स्वरूप 25 व 15 हजार का चेक, शाल व प्रशस्ति पत्र दिये गये. शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चों की आवश्यकता एक शिक्षक ही समझ सकते हैं. शिक्षक स्कूल में नामांकित बच्चे को अपना बच्चा समझें. शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2015 की मैट्रिक व इंटरमीडिएट परीक्षा में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों ने शानदार सफलता हासिल की है. इससे यह धारणा समाप्त हो गयी कि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलाें में पढ़ाई नहीं होती, तो वहां के बच्चे टॉप नहीं करते. शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चों को आदर्श नगारिक बनायें. सरकारी स्कूलों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करना हम सब की जिम्मेदारी है. झारखंड को एजुकेशन का हब बनाना है.
शिक्षा सचिव आराधना पटनायक ने कहा कि राज्य के शत-प्रतिशत स्कूल को मॉडल स्कूल बनाना है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों की पढ़ाई का दारोमदार शिक्षक पर ही होता है, उनके अभिभावक समान्यत: निजी स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों के अभिभावक के तरह जागरूक नहीं होते हैं. सरकारी स्कूल के बच्चों पर अगर शिक्षक ध्यान नहीं देंगे, तो वे बेहतर पढ़ाई नहीं कर पायेंगे. मध्यमिक शिक्षा निदशक मनीष रंजन ने कहा कि शिक्षक बच्चों को ऊंचा सपना देखना सिखायें. बच्चों की प्रतिभा को पहंचानें. शिक्षक बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ायें. मंच संचालन सरिता चंद्रा व धन्यवाद ज्ञापन माध्यमिक उप शिक्षा निदेशक शशि मिश्रा ने किया. मौके पर झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ आनंद भूषण, प्राथमिक शिक्षा निदेशक कमल शंकर श्रीवास्तव समेत अन्य लोग उपिस्थत थे.