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प्रीति केस : सरकार निर्दोष युवकों को क्यों न दे मुआवजा

गृह सचिव को राज्य मानवाधिकार आयोग का नोटिस, पूछा सुरजीत सिंह रांची : प्रीति के जिंदा रहते उसकी हत्या के आरोप में पुलिस द्वारा बेकसूर युवकों को जेल भेजे जाने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने गृह सचिव को नोटिस भेजा है. पूछा है कि क्यों नहीं युवकों (अमरजीत और अभिमन्यु) को सरकार उचित […]

गृह सचिव को राज्य मानवाधिकार आयोग का नोटिस, पूछा
सुरजीत सिंह
रांची : प्रीति के जिंदा रहते उसकी हत्या के आरोप में पुलिस द्वारा बेकसूर युवकों को जेल भेजे जाने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने गृह सचिव को नोटिस भेजा है. पूछा है कि क्यों नहीं युवकों (अमरजीत और अभिमन्यु) को सरकार उचित मुआवजा दे.
चुटिया व बुंडू थाने का मामला : 14 फरवरी 2014 को चुटिया से प्रीति गायब हो गयी थी. 15 फरवरी को बुंडू इलाके में एक युवती का शव मिला था.
उसे प्रीति का शव बता कर चुटिया पुलिस ने प्रीति के संपर्क में रहे तीन निदरेष युवकों को जेल भेज दिया था. उनके खिलाफ हत्या का आरोप साबित करने के लिए पुलिस ने केस डायरी में कई झूठ लिखे. मामला 14 जून 2014 को तब सामने आया, जब रिम्स के पास कुछ लोगों ने प्रीति को जिंदा पकड़ा. 17 जून को तत्कालीन डीजीपी राजीव कुमार ने चुटिया थाना के प्रभारी कृष्ण मुरारी, बुंडू थाना के प्रभारी और मामले के अनुसंधानक दारोगा सुरेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया था. मामले की सीआइडी जांच का आदेश दिया था.
यह भी आदेश दिया था कि युवक अजीत, अमरजीत और अभिमन्यु को किन-किन अफसरों ने फंसाया? उन्हें जेल भेजने में तत्कालीन सिटी एसपी पीएन सिंह और बुंडू के एसडीपीओ रामसरेक राय की कोई भूमिका है या नहीं?

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