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विधानसभा सत्र : सदन में सरकार की किरकिरी

कृषि मंत्री के बयान पर विपक्ष के विधायकों का हंगामा रांची : कृषि विपणन कार्यशाला में कृषि मंत्री रणधीर सिंह की ओर से बाजार समिति भंग किये जाने पर दिये गये बयान को लेकर सदन में सरकार की किरकिरी हुई. सत्ता पक्ष के विधायक विरंची नारायण ने सदन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि […]

कृषि मंत्री के बयान पर विपक्ष के विधायकों का हंगामा
रांची : कृषि विपणन कार्यशाला में कृषि मंत्री रणधीर सिंह की ओर से बाजार समिति भंग किये जाने पर दिये गये बयान को लेकर सदन में सरकार की किरकिरी हुई. सत्ता पक्ष के विधायक विरंची नारायण ने सदन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि कृषि मंत्री ने उस कार्यक्रम में कहा था कि कुछ स्वार्थी लोग बाजार समिति को भंग कराना चाहते हैं.
बाजार समिति भंग करने का मामला उन्होंने ही उठाया था. कृषि मंत्री का यह बयान आपत्तिजनक है. मुख्यमंत्री ने सदन में ही घोषणा की थी कि वह बाजार समिति को लेकर समीक्षा करायेंगे. विधायक प्रदीप यादव ने भी कहा कि यह सदन की अवमानना है. मंत्री कह रहे हैं कि बाजार समिति भंग नहीं होगी, मुख्यमंत्री कुछ और कह रहे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा कि मंत्री ने अपना विचार व्यक्त किया है. इस मामले में अखबार की रिपोर्ट पर चर्चा का औचित्य नहीं है. बाद में कृषि मंत्री ने सदन में कहा कि उनकी मंशा किसी को ठेस पहुंचाने की नहीं थी, बावजूद इसके किसी को ठेस पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं.
इसके पूर्व संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि किसी एक अखबार में कोई बात छप गयी है, तो उसके लिए अखबार उत्तरदायी है. अखबार पर अवमानना का मामला चलना चाहिए. सत्ता पक्ष के राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि अखबार की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाना चाहिए. इसे हम हल्के में नहीं ले सकते. मंत्री सीपी सिंह का कहना था कि विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया जा रहा है. कई बार अर्थ का अनर्थ हो जाता है.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का से बाइट मंगा कर देखा जाये मंत्री ने क्या कहा है. विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि मंत्री से ही पूछ लिया जाये. इसके बाद कृषि मंत्री ने कहा कि बुधवार को कृषि विपणन कार्यशाला में मैंने जरूर कहा था कि कुछ व्यापारी वर्ग का दबाव बाजार समिति को भंग करने में है. हम सुधार के लिए राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, जयपुर से सुझाव मांग रहे हैं.
विधायक विरंची नारायण ने कहा कि पशुपालन, मत्स्य, प्लाइवुड, अंडा जैसे गैर कृषि उत्पाद को बाजार समिति से हटाया जाये. विधायक योगेश्वर महतो ने कहा कि सड़क किनारे दो-चार किलो लहसून बेचने वाले से भी बाजार समिति टैक्स मांगती है. सत्ता पक्ष के विधायक बाजार समिति का एक प्रतिशत टैक्स खत्म करने की मांग कर रहे थे.
मंत्री सीपी सिंह ने भी माना कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद, मंत्री के बयान मायने नहीं रखते. राधाकृष्ण किशोर ने सवाल खड़ा कि आप भंग करने को लेकर समीक्षा करेंगे, तो फिर जयपुर की संस्थान से सुझाव का क्या मतलब है. मंत्री के बयान से साफ है कि वह भंग करने की मंशा नहीं रखते. मंत्री सरयू राय ने कहा कि जो सुझाव जयपुर के संस्थान से मांग रहे हैं, उससे समीक्षा प्रभावित नहीं होगी.
कृषि मंत्री बयान वापस लें, वरना आंदोलन : चेंबर
रांची : कृषि मंत्री रणधीर सिंह के बयान पर फेडरेशन चेंबर ने कड़ी निंदा की है. चेंबर ने कहा कि इस ब्यान ने पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा किये गये वायदे को निष्प्रभावी बना दिया है. चेंबर महासचिव पवन शर्मा और अध्यक्ष रतन मोदी ने पत्र के माध्यम से कहा कि बाजार समिति पर सरकार द्वारा लिया गया यू-टर्न अत्यंत ही दुखदायी है. चेंबर ने मंत्री से बयान वापस लेने व बाजार समिति भंग करने की मांग की.
ऐसा नहीं होने पर फेडरेशन चेंबर प्रदेश में राज्यव्यापी आंदोलन करेगा. चेंबर महासचिव पवन शर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान 23 सितंबर 2014 को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने चेंबर के साथ बैठक में कृषि बाजार समिति को 100 दिन के अंदर भंग करने की बात कही थी. सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इसे भंग करने का आश्वासन दिया, परंतु अब तक इसे भंग करने में कोई रुचि नहीं दिखायी है. चेंबर अध्यक्ष रतन मोदी ने कहा कि इस मामले को लेकर चेंबर नौ अप्रैल को राज्य के सभी जिलों के व्यवसायियों के साथ बैठक करेगा. इसमें बाजार समिति भंग कराने के लिए रणनीति पर चर्चा की जायेगी.
विपक्ष ने लाया कार्य स्थगन, मांगा पिछड़ों का आरक्षण
रांची : शुक्रवार को विपक्ष ने राज्य में पिछड़े वर्ग के लोगों की आबादी के अनुसार 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर कार्य स्थगन का प्रस्ताव लाया था. विपक्ष इस पर चर्चा की मांग कर रहा था. स्पीकर दिनेश उरांव ने कार्य स्थगन को नामंजूर कर दिया.
झाविमो विधायक प्रदीप यादव के कार्य स्थगन में स्टीफन मरांडी, कुशवाहा शिवपूजन मेहता सहित कई विधायक प्रस्तावक थे. सदन में श्री यादव ने कहा कि राज्य में पिछड़ों की आबादी 90 प्रतिशत है. राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था, लेकिन मामला कोर्ट में गया.
50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण को लेकर आपत्ति थी. तमिलनाडू में आरक्षण संबंधी फैसला आ गया है. 50 प्रतिशत आरक्षण के सीमा की बाध्यता खत्म हो गयी है. सरकार इस पर चर्चा कराये. स्पीकर ने कहा कि आपकी बात आ गयी है. फिलहाल चर्चा नहीं हो सकती है.

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