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Friday, March 29, 2024

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झारखंड विस चुनाव में महिलाओं को टिकट देना भी बनेगा मुद्दा

सुनील चौधरी रांची : हेमंत सोरेन की सरकार महिलाओं के लिए दनादन घोषणाएं करती जा रही है. नि:शुल्क शिक्षा से लेकर शिक्षक, पुलिस बहाली और पंचायत सचिव तक की बहाली में महिलाओं को आरक्षण दिया गया है. हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार तक को इस मामले में चुनौती दे डाली है. अब दूसरी तरफ से […]

सुनील चौधरी
रांची : हेमंत सोरेन की सरकार महिलाओं के लिए दनादन घोषणाएं करती जा रही है. नि:शुल्क शिक्षा से लेकर शिक्षक, पुलिस बहाली और पंचायत सचिव तक की बहाली में महिलाओं को आरक्षण दिया गया है. हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार तक को इस मामले में चुनौती दे डाली है.
अब दूसरी तरफ से यह मांग भी उठने लगी है कि महिलाओं के लिए इतना किया जा रहा है, तो फिर राजनीतिक हिस्सेदारी भी बढ़नी चाहिए. अमूमन महिलाओं को राजनीतिक हिस्सेदारी के मामले में सारे राजनीतिक दल पीछे हैं.
महिलाओं को जहां उम्मीदवार बनाने की बात होती है तो तमाम राजनीतिक दल दो-चार महिलाओं को टिकट देकर अपनी जिम्मेवारी को पूरा मान लेते हैं. झारखंड बनने के बाद ऐसा देखा गया है कि महिलाओं को चुनाव में टिकट देने से बड़े-बड़े राजनीतिक दल कतराते रहे हैं.
107 महिलाओं में आठ ने ही जीत दर्ज की थी
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में 81 सीट पर 1491 उम्मीदवार खड़े हुए थे. जिसमें 107 महिलाएं थी. कुल मत पड़े थे 1,02,81,002. इसमें महिलाओं का वोट 46,42,565 था. पर केवल आठ महिलाओं ने ही जीत दर्ज की. 94 महिला उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी थी.
महिलाओं को पार्टियों ने कम दिया था टिकट
वर्ष 2009 विधानसभा के चुनाव में पार्टियों ने महिलाओं को टिकट बांटने में दरियादिली नहीं दिखायी. भाजपा ने सात महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें तीन जीत कर आयीं. वहीं झामुमो व कांग्रेस ने तीन-तीन महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें से एक-एक जीती. महिलाओं को सबसे अधिक टिकट राजद ने दिया था. राजद ने नौ महिलाओं को टिकट दिया था. इसमें एक ही जीत कर आ सकी. जदयू व जय भारत समानता पार्टी ने एक-एक महिलाओं को टिकट दिया और एक-एक सीट पर जीत दर्ज की. अन्य दलों में आजसू ने पांच महिलाओं को टिकट दिया था. सीपीआइ(एमएल)(एल) ने पांच महिलाओं को टिकट दिया था. बसपा ने सात को टिकट दिया था. पर किसी ने जीत नहीं दर्ज की.
50 फीसदी टिकट महिलाओं को मिले
जिस तरह सरकार महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दे रही है. उसी तरह अब राजनीतिक दलों को भी चाहिए कि महिलाओं की उपेक्षा न करें. चुनाव के दौरान पार्टी महिलाओं को 50 फीसदी टिकट दे. पूरे देश में जब इनकी भागीदारी 50 फीसदी हो रही है तो राजनीति में 50 फीसदी हिस्सेदारी क्यों न हो. महिलाएं अब सशक्त बन रही हैं. अबल नहीं सबला हो रही हैं.
आभा सिन्हा, महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष
महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए
महिलाओं के बिना जब परिवार नहीं चल सकता. समाज नहीं चल सकता. महिलाओं की अहमियत है, तो राजनीतिक भागीदारी भी महिलाओं को समान रूप से मिलनी चाहिए. जिस तरह से राजनीतिक विकृतियां आयीं है. महिलाएं ज्यादा से ज्यादा आयेंगी तो विकृतियां भी दूर होंगी.
उषा पांडेय, भाजपा महिला मोरचा की प्रदेश अध्यक्ष
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