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आत्मसमर्पण करने पर नक्सलियों को मिलेंगे पांच लाख

रांची: नक्सली समाज के मुख्यधारा में लौटे, इसके लिए राज्य सरकार अपना खजाना खोल रही है. मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने पर दी जानेवाली राशि को दोगुना करने का निर्देश दिया है. फिलहाल, राज्य में आत्मसमर्पण करने पर नक्सलियों को अनुदान के रूप में 2.5 लाख रुपये दिये जाते हैं. श्री […]

रांची: नक्सली समाज के मुख्यधारा में लौटे, इसके लिए राज्य सरकार अपना खजाना खोल रही है. मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने पर दी जानेवाली राशि को दोगुना करने का निर्देश दिया है.

फिलहाल, राज्य में आत्मसमर्पण करने पर नक्सलियों को अनुदान के रूप में 2.5 लाख रुपये दिये जाते हैं. श्री प्रसाद ने नयी सरेंडर पॉलिसी में अनुदान की राशि बढ़ा कर पांच लाख रुपये करने को कहा है. इसमें से दो लाख रुपये का भुगतान आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सली को तुरंत किया जायेगा, जबकि शेष तीन लाख रुपये उसके नाम से बैंक में फिक्स डिपोजिट कर दिये जायेंगे.

बैंक में फिक्स की गयी राशि का 75 फीसदी नक्सली को लोन के रूप में प्रदान किये जाने का प्रावधान भी प्रक्रिया में है. मुख्य सचिव ने नयी सरेंडर पॉलिसी में कई तरह के बदलाव के निर्देश दिये हैं.

उन्होंने आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सलियों के बच्चों की स्कूल फीस का एकमुश्त वार्षिक भुगतान करने का प्रावधान भी करने को कहा है. फिलहाल आत्मसर्मपण कर चुके नक्सलियों के बच्चों की फीस का भुगतान वाउचर के माध्यम से होता है. भुगतान की प्रक्रिया में छह माह लग जाते हैं. स्कूल फीस के एकमुश्त वार्षिक भुगतान में काफी कम समय लगेगा. मुख्य सचिव ने इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान (आइएपी) के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त राशि का उपयोग नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए करने के निर्देश भी दिये हैं. उन्होंने आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सली के वकील की फीस का भुगतान आइएपी के माध्यम से करने को कहा है.

अभी आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सली के वकील की फीस के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है. इस वजह से उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है. मुख्य सचिव ने नयी सरेंडर पॉलिसी में नक्सलियों के पुनर्वास के लिए उनकी स्कील ट्रेनिंग के संबंध में भी उचित प्रावधान का निर्देश दिया है, जिससे जेल से बाहर निकलने के बाद संबंधित व्यक्ति जीवन यापन कर सके. श्री प्रसाद ने कहा है कि स्कील ट्रेनिंग करानेवाली संस्थाओं को आइएपी में प्राप्त फंड से ही भुगतान की व्यवस्था की जाये. अभी ट्रेनिंग देनेवाली संस्थाओं को राशि समय पर नहीं उपलब्ध हो पाती है, जिसकी वजह से वह संस्थाएं बीच में ही स्कील ट्रेनिंग बंद कर देती हैं.

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