रांची. आइएफएस अफसर पारितोष उपाध्याय ने कहा कि रंजीत उर्फ रकीबुल मामले में मुझ पर लग रहे सारे आरोप आधारहीन एवं सत्य से कोसों दूर हैं. श्री उपाध्याय ने कार्मिक सचिव व ग्रामीण विकास सचिव के साथ ही अखबारों को अपना पक्ष भेजा है.
इसमें कहा है कि अखबारों में आधारहीन आरोपों के साथ मेरा नाम जोड़ा जा रहा है. सरकारी परियोजनाओं में रंजीत उर्फ रकीबुल व उसके मित्रों को नियमों की अनदेखी कर लाभ पहुंचाने की बात भी गलत है.
श्री उपाध्याय ने आरोप वार अपना पक्ष दिया है. उन्होंने अपने ऊपर लगे पहले आरोपों पर कहा कि कयान प्रोजेक्ट के लिए वन विभाग की पैरवी की बात पूर्णत: असत्य है. इस प्रोजेक्ट की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. दूसरे आरोप पर कहा कि टाटा मोटर्स से एंबुलेंस का क्रय सरकार के मानकों व मूल्यों के तहत अधिकृत विक्रेता से किया गया है.
एंबुलेंस में लगनेवाले उपकरण के लिए निविदा आमंत्रित की गयी है, पर एजेंसी का चयन नहीं किया गया है. साथ ही वित्तीय कांट्रेक्ट भी नहीं दिया गया है. वहीं तीसरे आरोप पर कहा कि भारत सरकार की इकाई एनआइइएलटीएस से स्कील डेवलपमेंट, हैंडी क्राफ्ट डेवलपमेंट, बंबू क्राफ्ट डेवलपमेंट व हेल्थ केयर में सहयोग तथा इनोवेटिव प्रोजेक्ट के लिए मात्र एक एमओयू किया गया है. एमओयू सीधे एनआइइएलटीएस के साथ हुआ है. इसमें कोई वित्तीय लेन-देन की बात नहीं है. एनआइइएलटीएस ने कई प्रस्ताव दिया है, जिस पर सक्षम स्तर पर फैसला होगा. इस तरह बिना तथ्यों की पुष्टि किये आधारहीन साक्ष्यों के आलोक में रंजीत की पैरवी करने व उसे आर्थिक लाभ पहुंचाने की खबर प्रकाशित की गयी है. इससे उनकी छवि धूमिल हो रही है, जिसकी जांच होनी चाहिए.