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आदिवासियों -मूलवासियों की समस्याओं का निदान होगा: लुईस मरांडी

राज्य की समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ लुईस मरांडी जनजातीय आबादी समेत गरीब तबके के विकास को लेकर गंभीर हैं. उन्होंने कहा है कि राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों की समस्याओं का निदान ग्रास रूट पर किया जायेगा. सरकार अलग-अलग प्रमंडलों की जरूरतों के आधार पर योजनाएं तैयार कर जनता को बुनियादी […]

राज्य की समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ लुईस मरांडी जनजातीय आबादी समेत गरीब तबके के विकास को लेकर गंभीर हैं. उन्होंने कहा है कि राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों की समस्याओं का निदान ग्रास रूट पर किया जायेगा. सरकार अलग-अलग प्रमंडलों की जरूरतों के आधार पर योजनाएं तैयार कर जनता को बुनियादी सुविधाओं का लाभ पहुंचायेगी. उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता नौकरीपेशा महिलाओं, युवतियों, बालिकाओं की सुरक्षा है. इसके लिए जिला मुख्यालयों में वर्किग हॉस्टल, कल्याण विभाग के बालिका छात्रवास और जजर्र आवासीय विद्यालयों को और सुदृढ़ किया जायेगा. पेश है डॉ मरांडी से बातचीत के प्रमुख अंश..

आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

कल्याण विभाग और समाज कल्याण विभाग बड़े विभाग हैं. इसलिए मैंने अपनी कुछ प्राथमिकताएं तय की हैं, ताकि जनजातीय आबादी, अल्पसंख्यक, महिलाओं और कुपोषित बच्चों के जीवन स्तर को सुधारा जा सके. समेकित बाल विकास परियोजनाओं को और सुदृढ़ किया जायेगा और आंगनबाड़ी केंद्रों को क्रियाशील करते हुए यह सुनिश्चित किया जायेगा कि वहां लाभुकों को समय पर पोषाहार का लाभ मिले. यहां पानी और शौचालय की व्यवस्था की जायेगी. झारखंड में कुपोषण काफी अधिक है. महिलाओं और बच्चों में कुपोषण 55 फीसदी से भी अधिक है. 4.50 लाख से अधिक कुपोषित बच्चे हैं.

महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है. इस पर आपकी क्या योजनाएं हैं?

राज्य सरकार महिलाओं, बालिकाओं, युवतियों की सुरक्षा को लेकर कृतसंकल्प है. नौकरी पेशा महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा प्रदान करायी जायेगी. महिलाएं कैसे सुरक्षित रहें, इस पर ध्यान दिया जा रहा है. बालिका छात्रावास में रहनेवाली छात्रओं के लिए शौचालय और पानी की सुविधा प्रदान की जायेगी. कल्याण विभाग के छात्रवासों की स्थिति काफी दयनीय है. वहां की लड़कियां काफी असुरक्षित हैं. मैंने तय किया है कि इन छात्रवासों में रात्रि प्रहरी, दिन के गार्ड और रसोइया की व्यवस्था की जाये. जल्द ही इन छात्रवासों में इन तीनों पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. राजधानी रांची समेत उप राजधानी और सभी प्रमुख शहरों में ग्रामीण महिलाएं नियमित रूप से आती हैं. इनके लिए सेल्टर होम, ट्रांजिट भवन की व्यवस्था की जायेगी.

कल्याण विभाग की ओर से संचालित आवासीय विद्यालयों और छात्रवासों की स्थिति दयनीय है. इसे कैसे सुधारेंगी?

कल्याण विभाग की ओर से राज्य में दो सौ से अधिक आवासीय विद्यालय और 400 से अधिक छात्रवास संचालित किये जाते हैं. इनकी स्थिति काफी जजर्र है. आवासीय विद्यालयों और छात्रवासों की री-मॉडलिंग की जायेगी. शिक्षकों की कमी को दूर किया जायेगा. शिक्षकों के लिए आवासीय विद्यालयों में ही रहने की व्यवस्था की जायेगी. आसपास के इलाके में छोटे-छोटे मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स भी स्थापित किये जायेंगे. शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया जायेगा.

पलायन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक बड़ी समस्या है. इससे निबटने की क्या योजनाएं हैं?

पलायन और ह्यूमन ट्रैफिंकिंग की समस्या पूरे राज्य में व्याप्त है. आज भी गांवों से बड़ी संख्या में महिलाएं, बालिकाओं, बच्चों का पलायन हो रहा है. संताल परगना और दक्षिण छोटानागपुर प्रमंडल के कई जिलों से मानव व्यापार हो रहा है. इससे निबटने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनायी जायेंगी. ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए अधिक से अधिक स्वंयसेवी संस्थानों को जोड़ा जायेगा. वैसे यूनिसेफ और भारतीय किसान संघ जैसे कुछ संस्थान इस दिशा में काम कर रहे हैं. इसको लेकर कार्यक्रम तय किये जा रहे हैं.

कल्याण विभाग की योजनाएं भवन निर्माण विभाग की वजह से समय पर पूरी नहीं होती हैं. आप क्या बदलाव करेंगी?

हां, यह सच है कि कल्याण विभाग की योजनाओं का एग्जिक्यूशन भवन निर्माण विभाग से होता है. आवासीय विद्यालय, छात्रवास, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसे महत्वपूर्ण भवनों के निर्माण की तकनीकी और इंजीनियरिंग स्वीकृति समय पर नहीं मिलती है. जल्द ही विभाग में मुख्यालय के स्तर पर एक अलग तकनीकी प्रकोष्ठ स्थापित करने पर विचार किया जायेगा, ताकि योजनाएं समय पर पूरी हो.

झारखंड के छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति नहीं मिलना एक बड़ी समस्या है. इस पर सरकार क्या कर रही है?

झारखंड के छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति समय पर मिले, इसके प्रयास किये जा रहे हैं. हाल ही में पूरक बजट में 195 करोड़ रुपये की मांग की गयी थी. इससे बैकलॉग छात्रवृत्ति की मांग को क्लीयर कर लिया जायेगा. सरकार थोड़े ही समय में स्कॉलरशिप की प्रक्रिया को अप-टू-डेट कर लेगी. प्रत्येक वर्ष 25 हजार से अधिक झारखंडी छात्र-छात्रएं देश भर के 1959 शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला लेते हैं. इन्हें समय पर छात्रवृत्ति मिले. यह सरकार का प्रयास होगा.

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