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ब्रेन ट्यूमर का इलाज एम-6 साइबर नाइफ से, ये है ब्रेन ट्यूमर के प्रमुख लक्षण, दादी के नुसखे भी कारगार

एक समय मौत का दूत माने जानेवाले ब्रेन ट्यूमर का उपचार आज रेडियो सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी के अलावा कंप्यूटर आधारित स्टीरियोटॉक्सी एवं रोबोटिक सर्जरी जैसी नवीनतम तकनीकों से अत्यंत कारगर, सुरक्षित एवं कष्ट रहित हो गया है. इसकी पहचान जितनी पहले हो, इलाज उतना आसान है. मस्तिष्क के पीछे ट्यूमर के कारण दृष्टि संबंधी […]

एक समय मौत का दूत माने जानेवाले ब्रेन ट्यूमर का उपचार आज रेडियो सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी के अलावा कंप्यूटर आधारित स्टीरियोटॉक्सी एवं रोबोटिक सर्जरी जैसी नवीनतम तकनीकों से अत्यंत कारगर, सुरक्षित एवं कष्ट रहित हो गया है. इसकी पहचान जितनी पहले हो, इलाज उतना आसान है. मस्तिष्क के पीछे ट्यूमर के कारण दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
वहीं बाहरी भाग में होनेवाले ट्यूमर के कारण बोलते समय रुकावट आने जैसी समस्या आती है. ट्यूमर का आकार बढ़ने के परिणास्वरूप सिर दर्द, उल्टी आना, जी मचलना, दृष्टि संबंधी या चलने-बोलने में समस्याएं आती हैं. ट्यूमर की वजह से सिर में पानी इकट्ठा होने लगता है, जिसे मेडिकल टर्म में हाइड्रोसिफेलस कहते हैं. यह स्थिति खतरनाक हो सकती है.
अब साइबरनाइफ रेडियो सर्जरी सिस्टम को सर्जरी के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो मस्तिष्क के कैंसर युक्त और कैंसर रहित ट्यूमरों के प्रबंधन में दूसरे उपचारों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके द्वारा कैंसर युक्त ट्यूमरों और कैंसर-रहित ट्यूमरों का उपचार संभव है, जैसे- प्रोस्टेट, फेफड़े, लिवर आदि के ट्यूमर. अब स्पाइन के ट्यूमरों को नष्ट करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा रहा है. साइबर नाइफ रेडिएशन सर्जरी सर्वाधिक विकसित, नॉन-इनवेसिव रेडिएशन थेरेपी टूल है. इसमें रेडिएशन की हाइ डोज परिशुद्ध किरणों का इस्तेमाल किया जाता है. उपचार में न कोई दर्द होता है, न ही खतरा.
अस्पताल में रुकने की जरूरत भी नहीं पड़ती. सेशन पूरा होते ही छुट्टी दे दी जाती है. अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम, मेदांता व बीएलके हॉस्पिटल, दिल्ली में व्यवस्था है.
जानिए मस्तिष्क ट्यूमर की खास बातें
दुनिया भर में लगभग 2,50,000 लोग हर साल मस्तिष्क ट्यूमर से पीड़ित होते हैं.
ब्रेन ट्यूमर का आसानी से पता लगाकर निदान किया जा सकता है.
उचित देखभाल व दवाओं से रोगी के जीवन में काफी सुधार लाया जा सकता है.
दादी-नानी के नुसखे
दैनिक जीवन में लोग कई छोटी-छोटी समस्या का सामना करते हैं और इलाज के तौर पर एलोपैथिक दवाएं लेते हैं. इसका साइड इफेक्ट भी हो सकता है. जबकि बुजुर्गों के बताये कई नुसखे हैं, जो सदियों से आजमाये जा रहे हैं और बेहद प्रभावी भी हैं. जानिए कुछ उपाय.
ज्यादातर लोग मुंह की बदबू से परेशान रहते हैं. इसके कारण किसी के करीब जाने से भी कतराते हैं. इससे छुटकारा पाने के लिए रोजाना ब्रश करने से पहले एक चम्मच नारियल का तेल अपने मुंह में कुल्ले के रूप में 20 मिनट तक रखें और उसके बाद ब्रश कर लें.
महिलाओं को पीरियड के दौरान कमर और पेट दर्द की आम समस्या का सामना करना पड़ता है. कोई पेनकिलर लेने से अच्छा है कि इस दौरान अदरक की चाय बना कर पीएं.
पीले दांतों को सफेद करने के लिए शीशम के तेल में थोड़ा बेकिंग सोडा मिला कर उससे दांतों को साफ करें. यह आप उंगली या मुलायम ब्रश से भी कर सकते हैं.
ब्रेन ट्यूमर के प्रमुख लक्षण
सिरदर्द : ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षणों में एक है सिरदर्द. इसमें अक्सर सुबह उठते ही भयानक सिरदर्द शुरू हो जाता है, जो दिन में धीरे-धीरे ठीक हो जाता है. झुकने में, व्यायाम करने में सिरदर्द बढ़ जाता है.
मानसिक व व्यक्तित्व बदलाव : मरीजों के स्वभाव संबंधी व्यवहार व व्यक्तित्व में बदलाव पाया जाता है. मरीज को बोलने में तकलीफ महसूस होती है व स्मरण शक्ति भी कम हो जाती है.
मास इफेक्ट : यह इंट्राक्रेनियल दबाव के बढ़ने से होता है, जिसके लक्षण हैं- उल्टी व जी मिचलाना, चक्कर आना, दृष्टि संबंधी दोष, नेत्र के नसों (पापिलेडेमा) में सूजन. ये लक्षण छोटे बच्चों, उम्रदराज लोगों व जिनमें धीरे-धीरे ट्यूमर बढ़ता है, देखे जा सकते हैं.
फोकल लक्षण : इन फोकल लक्षणों जैसे साफ सुनाई न देना, कानों में कुछ बजने की आवाज, कमजोरी, बोलने व चलने में दर्द, मांसपेशियों पर घटता नियंत्रण, दोहरा दिखाई देना और घटती चेतना (सेंसेशन) आदि भी ट्यूमर के कारण हो सकते हैं.
उपचार की सफलता दर
डॉ आदित्य गुप्ता डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
साइबर नाइफ रेडिएशन थेरेपी की सफलता दर काफी अधिक है. हालांकि, यह उन ट्यूमरों के उपचार में सर्वश्रेष्ठ कार्य करती है, जिनका आकार लगभग 2-2.5 सेमी होता है. हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में भी विकल्प के रूप में भी किया जाता है. उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत से अधिक हो सकती है अगर उपचार शुरुआती समय में ही कराया जाये.
साइबर नाइफ की अगली जनरेशन-एम-6 भारत में पहले इस्तेमाल की जानेवाली सर्जरियों की तुलना में अत्यधिक परिष्कृत है. इसमें रेडिएशन का अधिकतम डोज कई अलग-अलग कोणों से सीधे ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है. गहन उर्जा की उत्सर्जित केंद्रित किरणें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं और ट्यूमर के विकास को नियंत्रित (ट्यूमर सिकुड़ जाता है) करती हैं.

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