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खून की जांच बतायेगी – कितना जियेंगे आप

खून की जांच से बीमारियों का पता लगाने की बात अब पुरानी हो चुकी है. अब खून की जांच से यह पता करना भी मुमकिन हो गया है कि भविष्य में व्यक्ति को कौन सी बीमारी होगी और कितने वर्ष वह जिंदा रहेगा. बोस्टोन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लड टेस्ट से उम्र […]

खून की जांच से बीमारियों का पता लगाने की बात अब पुरानी हो चुकी है. अब खून की जांच से यह पता करना भी मुमकिन हो गया है कि भविष्य में व्यक्ति को कौन सी बीमारी होगी और कितने वर्ष वह जिंदा रहेगा. बोस्टोन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लड टेस्ट से उम्र बढ़ने पर होनेवाले डिमेंशिया के खतरे को भी पहले पता करना संभव होगा. इसके लक्षण के सामने आने के बहुत पहले डिमेंशिया को पहचाना जा सकेगा. पांच हजार लोगों पर किये गये शोध के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं. वैज्ञानिकों ने शोध के लिए खून के नमूनों से बायोमार्कर डाटा एकत्र किये. बायोमार्कर प्राकृतिक मॉलीक्यूल या जीन है.

इनकी कुछ जांच के बाद बीमारियों के बारे में बताया जा सकता है. शोध में पता चला कि एक छोटे से समूह के लोगों का बायोमार्कर सामान्य नहीं था. असामान्य बायोमार्कर बताता है कि वैसे लोगों को किसी विशेष प्रकार की बीमारी होने की आशंका है. ऐसे लोगों की मौत भी जल्दी हो सकती है. शोध में शामिल डॉ पाओरा सेबेस्टियन और डा़ थॉमस पेरिल्स की मानें तो अब यह पता करना संभव होगा कि लोगों की उम्र कैसे बढ़ेगी. वह सेहतमंद रहेंगे कि नहीं. उनमें किस तरह का परिवर्तन होगा. उम्र बढ़ने पर किस तरह की बीमारियों की चपेट में आने का खतरा है.

दोनों शोधकर्ताओं का कहना है कि दिल की बीमारी और कैंसर की भविष्यवाणी को भी इस जांच ने संभव बना दिया है. शोध में 26 अलग – अलग तरह के बायोमार्कर का पता चला है, जिनकी मदद से उम्र, जीवन और बीमारियों के बारे में भविष्यवाणी की जा सकती है. इस नयी खोेज का फायदा यह होगा कि इससे होनेवाली बीमारियों को लेकर लोग पहले से ही सचेत रहेंगे और उससे बचने के उपाय तलाशेंगे. इस खोज से दवाइयों के विकास में भी मदद मिलेगी.

खून से प्लाज्मा अलग करेगा पेपरफ्यूज

भारतीय मूल के मनु प्रकाश स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं. उन्होंने सेट्रीफ्यूज की तरह पेपरफ्यूज बनाया है. यह 125000 प्रति मिनट परिक्रमा कर सकता है. यह 1.5 मिनट में खून से प्लाज्मा को अलग कर देता है जिससे मलेरिया का पता लगाया जा सकता है. इसकी कीमत बहुत कम हैं और इसे चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं है. इस संबंध में ‘नेचर‘ में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है.

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