झारखंड में नाकेबंदी, सड़क जाम, धरना-प्रदर्शन, जेल भरो कार्यक्रम का नेतृत्व करते रहे. आंदोलन व संघर्ष के सभी मोर्चों पर हाथ में झंडा लिए हमेशा आगे चलते थे. कंधे पर हरा गमछा उनकी पहचान बन गयी थी. झारखंड की संस्कृति व पार्टी के झंडे के प्रतीक उनकी सादगी थी. गरीब अमीर में कभी फर्क नहीं करते थे. विष्णुगढ़ स्थित झोपड़ी वाले घर में हमेशा रहते थे. जनता जब भी उनके घर आती. वे उनसे मिलते थे.
इसके विरुद्ध ग्रामीण आंदोलित हुए. टेकलाल महतो के नेतृत्व में गांव में ढोल व नगाड़ा पीटा गया. रेंजर फॉरेस्टर को गांव में घुसने से रोकना है. मुर्गा व खस्सी कोई गांववाला नहीं देगा. गांववालों ने जंगल की सुरक्षा का जिम्मा लिया. गांव वाले तीर धनुष उठा लिये. इस आंदोलन का व्यापक असर हुआ. जंगल में नगाड़ा बजते ही वन अधिकारी भाग जाते थे.